क्या बिहार में BJP का खेल बना रहे हैं ओपी राजभर? रैलियों से निकले सवाल, नीतीश कुमार के लिए बनेंगे मुसीबत

Om Prakash Rajbhar in Bihar Politics: एक तरफ नीतीश कुमार के बिहार के राजनीतिक मैदान में उतरने की चर्चा से यूपी में राजनीति माहौल गरमाया हुआ है। वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर बिहार में सक्रिय हो गए हैं। यूपी से लेकर बिहार तक के राजनीतिक महकमे में इसको लेकर चर्चा का बाजार गर्म है।

लखनऊ: क्या ओम प्रकाश राजभर बिहार में भारतीय जनता पार्टी का खेल बनाने में लगे हैं? ये सवाल कुछ ऐसा है, जो बिहार की राजनीति में इस समय खूब उठ रहा है। कारण, ओपी राजभर की बिहार में सक्रियता से जोड़कर देखा जा रहा है। बिहार में नीतीश कुमार करीब 8 फीसदी वोट बैंक की पॉलिटिक्स करते रहे हैं। यह वोट बैंक पूरी ईमानदारी के साथ नीतीश कुमार से जुड़ा रहा है। वे जिस भी पाले में गए हों, उनका यह वोट बैंक उसके साथ जुड़ जाता है। एनडीए का साथ छोड़ महागठबंधन में जाने का फैसला करने के बाद इस वोट के अलग होने के दावे किए जा रहे हैं। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम भाजपा नेताओं ने जोर लगा लिया, लेकिन कुर्मी-कोयरी-महादलित वोट बैंक में सेंधमारी नहीं कर पाए। अब एक बार फिर नीतीश पाला बदल चुके हैं। ऐसे में ओम प्रकाश राजभर बिहार में सक्रिय हैं। उनकी सक्रियता महादलित वोट बैंक सेंध की संभावना बढ़ने लगी है। इस पर राजनीति भी खूब हो रही है। राजभर का फोकस अति पिछड़ा वर्ग को अपनी तरफ लाना है। ठीक वैसे ही जैसे एक समय मायावती ने दलित वोटों को अपनी तरफ लाकर किया था।

यूपी विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी से आगे निकली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बिहार में संभावनाओं की तलाश कर रही है। या फिर, भाजपा की संभावनाओं को मजबूत कर रही है। यही चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। दरअसल, सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर ने बिहार के करीब दर्जन भर जिलों में अपनी सक्रियता बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसमें से गया समेत करीब 9 जिलों में उनकी रैली हो चुकी है। गया जिले में एससी- ओबीसी आबादी ही जीत का समीकरण तय करती रही है। इसे भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट जदयू के पाले में चली गई थी। जदयू ने यहां से जीत भी दर्ज की। अब जदयू के राजद के साथ जाने के बाद गठबंधन से नाराज होने वाले दलित, महादलित और ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश में राजभर जुटे दिखते हैं। या फिर, नाराजगी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर ये वोट राजभर के पाले में शिफ्ट होते हैं तो नुकसान में राजद-जदयू गठबंधन होगा। सीधा फायदा भाजपा को हो जाएगा। इसलिए, सवाल यह उठ रहा है कि क्या राजभर भाजपा की मदद कर रहे हैं।

बक्सर में आम लोगों से मुलाकात करते ओम प्रकाश राजभर

बक्सर में आम लोगों से मुलाकात करते ओम प्रकाश राजभर

राष्ट्रपति चुनाव में अघोषित समर्थन
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अघोषित रूप से भारतीय जनता पार्टी की मदद की थी। उन्होंने भाजपा की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर दिया था। इसके बाद समाजवादी पार्टी से उनका गठबंधन भी टूट गया। बिहार में उनकी सक्रियता ने सवाल खड़े किए हैं। दावा किया जा रहा है कि ओमप्रकाश राजभर भाजपा के साथ घुलमिल गए हैं। राजभर ने कहा कि रैली में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठा दिया जातिगत जनगणना का मुद्दा नीतीश कुमार ने सबसे पहले उठाया था इसको लेकर वह प्रस्ताव भी पारित किए और केंद्र सरकार को भेजा। जातिवार जनगणना के मामले में नीतीश के समर्थन में भाजपा भी खड़ी थी और राजद भी।

ऐसे में अब जब नीतीश, भाजपा से पल्ला झाड़ चुके हैं। राजद के साथ मिल चुके हैं, तो फिर जातिवार जनगणना को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है। राजभर ने इसी मुद्दे में अपनी राजनीति ढूंढने की कोशिश की है। वह बिहार सरकार पर जातिवार जनगणना का दबाव बनाकर अति पिछड़ा वर्ग में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करते दिख रहे हैं।

लगातार बिहार में अपना अभियान चला रहे हैं राजभर

लगातार बिहार में अपना अभियान चला रहे हैं राजभर

बिहार में भी गरमाया माहौल
बिहार के राजनीतिक गलियारों में भी ओमप्रकाश राजभर के इन बयानों की खासी चर्चा हो रही है। प्रदेश में उनकी सक्रियता के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि उनका बिहार अभियान और प्रत्यक्ष रूप से भाजपा को मजबूत करने वाला साबित हो सकता है। राजभर की पिछले एक महीने की बिहार में सक्रियता को देखते हैं, तो आप पाएंगे कि वह हर 2 से 4 दिन के अंतराल पर एक रैली कर रहे हैं। इन रैलियों में उनके निशाने पर नीतीश कुमार रहते हैं। अगस्त के पहले पखवाड़े में भाजपा से अलग होने वाले नीतीश कुमार पर वे सीधा हमला बोल रहे हैं। पिछड़ा वर्ग के विकास को लेकर किए जाने वाले कार्यक्रमों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

जनसभाओं में राजभर कह रहे हैं कि नीतीश कुमार पिछड़ा वर्ग से हैं। तेजस्वी यादव भी इस वर्ग की राजनीति करते हैं। मंडल कमीशन के बाद बदले माहौल की राजनीति करने वाले दोनों नेता करीब 30 सालों तक बिहार की सत्ता में रहे हैं। राजभर का सवाल है कि इन 30 सालों में क्या अति पिछड़ों की स्थिति में सुधार हुआ।

ओपी राजभर सीधे नीतीश और तेजस्वी यादव पर साध रहे हैं निशाना

ओपी राजभर सीधे नीतीश और तेजस्वी यादव पर साध रहे हैं निशाना

गरमा रहे जातीय जनगणना का मुद्दा
बिहार में पिछले एक साल में जातीय जनगणना के मुद्दे को खासा गरमाया गया है। इसे पहले राजद की ओर से उठाया गया। लालू प्रसाद यादव भी जातीय जनगणना की वकालत करते रहे हैं। राजद की राजनीति का काउंटर करने के लिए पहले नीतीश कुमार ने इसकी वकालत की। फिर बड़े स्तर पर प्रयास शुरू किए। बिहार भाजपा भी गठबंधन धर्म निभाते हुए जदयू के साथ हो ली। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कभी इसकी बात करता नहीं दिखा। पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर मामला उठाया गया। मांग रखी गई। नीतीश कुमार ने कहा कि अगर केंद्र जातीय जनगणना नहीं कराती है तो राज्य सरकार के स्तर पर जातीय जनगणना कराई जाएगी। लेकिन, गठबंधन सरकार बनने के बाद से इस मामले में कोई चर्चा नहीं हो पाई है। अब ओम प्रकाश राजभर इसी मुद्दे को गरमा कर देश भर में विपक्षी एकता की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार को उनके ही घर में घेरने की कोशिश में जुट गए हैं।

सावधान महारैली के जरिए बिहार साधने की कोशिश
ओम प्रकाश राजभर ने 27 अक्टूबर को बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में सावधान महारैली का आयोजन किया है। इसके जरिए वे अपनी राजनीति बिहार में साधने की कोशिश करेंगे। इसमें अति पिछड़े और महादलित समुदाय को एकजुट होने का आह्वान किया जा रहा है। हालांकि, इससे पहले राजभर ने मधेपुरा, कैमूर, बक्सर, सासाराम, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, नवादा और राजापुर में बड़ी रैलियों को संबोधित किया है। इसमें जुटने वाली भीड़ ने सत्ताधारी गठबंधन के रणनीतिकारों को भी चौंकाया है। बक्सर में जिस प्रकार से वे लोगों से कनेक्ट करते दिखे हैं, वह भी बिहार की सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। ऐसे में राजभर के भाजपा से कनेक्शन की चर्चा भी छेड़ दी गई है। वैसे सावधान महारैली की सफलता या असफलता पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं।