क्‍या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट पर लगने वाली फीस टैक्‍स फ्री है, एक्‍सपर्ट से समझें क्‍या इस पर ले सकते हैं क्‍लेम?

नई दिल्‍ली. हर निवेशक की यह चाह होती है कि उसके लगाए पैसे पर तगड़ा रिटर्न मिले और इसके लिए एक्‍सपर्ट की सलाह लेना सबसे कॉमन चीज है. लिहाजा निवेशक को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का सहारा लेना पड़ता है, जिसके बाद हर निवेश विकल्‍प पर एक्‍सपर्ट का ओपिनियन मिल जाता है.

यहां तक तो बात सामान्‍य लगती है, लेकिन असर मुद्दा तब उठता है जबकि निवेशक को अपने पैसों पर कमाए रिटर्न पर आयकर विभाग को कैपिटल गेन के रूप में टैक्‍स देना पड़ता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या इस टैक्‍स का भुगतान करने वाला निवेशक अपने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के लिए दे रहे शुल्‍क पर टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. यानी इस राशि को अपनी टैक्‍स देनदारी में शामिल कर सकता है.

क्‍या कहता है आयकर कानून
टैक्‍स मामलों के जानकार बलवंत जैन का कहना है कि आयकर की धारा 48 के तहत कैपिटल गेन के रूप में हुई आमदनी पर टैक्‍स सभी तरह के खर्चों को काटने के बाद लगाया जाता है. यह शेयर ट्रांसफर के पूरी तरह और विशेष रूप से जुड़े सभी खर्चों को शामिल करता है. पोर्टफोलियो मैनेजर को भी दी गई फीस के संबंधन में यह कहा जा सकता है कि इनका शेयरों के ट्रांसफर में निकट संबंध है

हालांकि, टैक्‍स अथॉरिटी का कहना है कि यह फीस शेयर ट्रांसफर से पूरी तरह अथवा विशेष रूप से कतई नहीं जुड़ी है. लिहाजा निवेशक इस पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं कर सकते हैं. फिलहाल इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण भी इस मसले पर कोई फैसला नहीं दे सका है.

अभी तक क्‍या रहें हैं ट्रिब्‍यूनल के फैसले
इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण की पुणे पीठ ने एक फैसले में कहा था कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट फीस को भी कर शेयर ट्रांसफर खर्च का हिस्‍सा माना जाना चाहिए और इस पर निवेशक टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. हालांकि, मुंबई ट्रिब्‍यूनल ने पुणे पीठ के फैसले को सही नहीं बताया और कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजर को दी गई फीस पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं किया जा सकता है.

इसके बाद कोलकाता टिब्‍यूनल ने जॉय ब्‍यूटी केयर प्राइवेट लिमिटेड के मामले में अपना फैसला पुणे पीठ के पक्ष में दिया. कोलकाता ट्रिब्‍यनल ने कहा कि निवेशक पोर्टफोलियो फीस पर टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. बैंगलोर ट्रिब्‍यूनल ने एक फैसले में कहा कि इस फीस पर टैक्‍स कटौती को लेकर आयकर कानून में कभी सवाल नहीं उठाया गया है.

कितनी राशि का प्रबंधन करते हैं पोर्टफोलियो मैनेजर
पोर्टफोलियो मैनेजर्स की ओर से सेबी को दी गई जानकारी के अनुसार, अभी देश में रजिस्‍टर्ड पोर्टफोलियो मैनेजर्स के पास करीब 4.5 लाख करोड़ की संपत्ति है, जिसका वे प्रबंधन करते हैं. अगर सरकार इस फीस पर टैक्‍स छूट के दावे को स्‍वीकार करती है तो निवेशकों के लिए यह बड़ा कदम होगा. मामले में बाम्‍बे हाईकोर्ट को भी फैसला देना है, जिससे उम्‍मीद लगाई जा रही कि निवेशकों को कुछ स्‍पष्‍ट डिसीजन मिल सकता है.