हम 21वीं सदी में जी रहे हैं पर स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर पौष्टिक आहार तक… भारत बुनियादी सुविधाओं को लेकर आज भी लड़ाई लड़ रहा है. गांव-गांव जोड़ने, बिजली देने की बातें तो होती हैं लेकिन हकीकत थोड़ी अलग है. ज़िला सिंगरौल, मध्य प्रदेश से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़ने के बाद यकिन करना मुश्किल है कि हम 2022 में जी रहे हैं. यहां एक बेबस पिता को अपने नवजात को बाइक की डिक्की में लेकर जाना पड़ा क्योंकि उन्हें ऐंबुलेंस नहीं मिली (Madhya Pradesh man takes dead baby to DM office in bike bag).
कलेक्टर के पास नवजात का शरीर लेकर पहुंचा पिता
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एक रिपोर्ट के अनुसार, ज़िला सोनभद्र, उत्तर प्रदेश निवासी दिनेश भारती के साथ जो हुआ वो देश की स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था का सबूत है. दिनेश का आरोप है कि सिंग्रौली ज़िला अस्पताल के एक डॉक्टर ने उसकी पत्नी को डिलीवरी से पहले एक प्राइवेट क्लिनिक भेजा. बीते रविवार को दंपत्ति ज़िला अस्पताल पहुंचा था लेकिन एक डॉक्टर ने कुछ टेस्ट्स करवाने के लिए कहा और प्राइवेट क्लिनिक भेज दिया.
दिनेश ने बताया कि प्राइवेट क्लिनिक में कुछ टेस्ट्स, अल्ट्रासाउंड आदि करवाने के लिए उनसे 5000 रुपये लिए गए.
मृत नवजात को ले जाने के लिए नहीं मिली ऐंबुलेंस
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सोमवार को दिनेश की पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया लेकिन बच्चे की मौत हो गई. जब पत्नी और मृत बच्चे को घर ले जाने के लिए दिनेश ने ऐंबुलेंस की मांग की तब अस्पताल स्टाफ़ ने कोई मदद नहीं की. मंगलवार सुबह को दिनेश बाइक की डिक्की में बच्चे का शव लेकर कलेक्टर के दफ़्तर पहुंचा. इसके बाद उसे ऐंबुलेंस मिली.
सिंग्रौली के कलेक्टर राजीव रंजन मीणा ने कहा कि SDM की अध्यक्षता में एक टीम पूरे मामले की जांच करेंगी.
देश में ऐंबुलेंस न मिलने की घटनाएं आम हो चुकी हैं
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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी अस्पातल ने मृतक को ले जाने के लिए ऐंबुलेंस न दिया हो. कई राज्यों से ऐसी खबरें आई हैं कि परिजनों को ऐंबुलेंस न मिलने पर कंधे पर शव को उठाकर ले जाना पड़ा.
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