प्रदेश हाईकोर्ट ने ठाकुर पीजी कालेज ऑफ एजुकेशन ढलियारा जिला कांगड़ा के तहत वैटरिनरी फार्मासिस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए सरकार को आदेश दिए कि वह 29 अगस्त से पहले नवीनीकरण प्रमाण पत्र जारी करे। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार के 27 जुलाई, 2022 के आदेशों पर रोक लगाते हुए प्रार्थी संस्था को अस्थायी नवीनीकरण अनिवार्यता प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए। प्रार्थियों के अनुसार उनके संस्थान को वैटरिनरी फार्मासिस्ट कोर्स करवाने के लिए शैक्षणिक सत्र 2019-2021 के लिए अनिवार्यता प्रमाण पत्र दिया गया था। 15 सितंबर, 2021 को प्रार्थी संस्था ने आवेदन दायर कर सत्र 2021 -23 के लिए नवीनीकरण प्रमाण पत्र की मांग की। इसके बाद 11 नवंबर को संस्थान का निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण समिति की रिपोर्ट के मुताबिक संस्थान के पास कोर्स करवाने की सभी जरूरी सुविधाएं मौजूद थी। इसलिए समिति ने संस्थान को 100 सीटों के लिए नवीनीकरण प्रमाण पत्र जारी करने की अनुशंसा की। समिति की इस अनुशंसा को दरकिनार करते हुए सरकार ने 27 जुलाई को यह कहते हुए नवीनीकरण प्रमाण पत्र जारी करने से इकार कर दिया कि शैक्षणिक सत्र 2021 -23 समाप्त हो चुका है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया सरकार के इस आदेश का अवलोकन करने पर पाया कि यह आदेश बिना दिमाग का इस्तेमाल कर जारी किया है क्योंकि वैटरिनरी फार्मासिस्ट कोर्स का शैक्षणिक सत्र 2023 तक चलना है। प्रार्थी संस्था का दावा है कि प्रदेश में 31 संस्थान वैटरिनरी फार्मासिस्ट कोर्स करवा हैं और अन्य सभी संस्थानों को अनिवार्यता अथवा नवीनीकरण प्रमाण पत्र दाखिले होने के बाद जारी किए हैं। प्रार्थी संस्था ने अन्य सभी संस्थानों का रिकार्ड तलब करने की मांग भी की है। प्रार्थियों का कहना है कि केवल उन्हें ही बार-बार अपने हक के लिए कोर्ट में आना पड़ता है। कोर्ट ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए माना की उनके साथ दुर्भावना से ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।