इस्तकबाल : 75 साल बाद भारत में ‘चीता’…जानिए प्रोजैक्ट से जुड़ी खास बातें

नई दिल्ली, 17 सितंबर : भारत में वन्य प्राणी प्रेमियों के लिए शनिवार का दिन खास हो गया। ये रोचक इत्तफाक है कि देश आजादी के 75 साल पूरे होने का अमृत महोत्सव मना रहा है। वहीं, 75 साल बाद भारत में “चीतों” (cheetah) की कदमताल शुरू हुई है। विशेष विमान द्वारा नामीबिया (Namibia) से लाए गए 8 चीते अब मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में विचरण करने लगे हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर खूबसूरत वन्यप्राणी चीता को नेशनल पार्क में छोड़ा। वैसे तो चीता की कई खूबियां हैं, लेकिन सबसे खास बात ये है कि जब वो शिकार के पीछे भागता है तो उसकी रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटा भी हो सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के आजाद होते ही भारत में चीतों की संख्या भी शून्य हो गई थी।

1990 में प्रोजैक्ट ‘टाइगर’ के सकारात्मक परिणाम मिले। इसके बाद चीता को भारत लान की कोशिश भी शुरू हो गई। हालांकि, भारत में पहले ईरान से चीता लाने की कोशिश हुई थी, लेकिन ये कोशिश सिरे नहीं चढ़ी, क्योंकि ईरान ने इसके लिए भारत को एशियाटिक लाॅयन (Asiatic Lion) देने की शर्त लगा दी थी।

 ईरान की असहमति के बाद भी भारत के वन्यप्राणी विशेषज्ञों ने मुहिम को जारी रखा। रोचक बात ये है कि 2000 में सीसीबीएम (Central for Cellular & Molecular Biology) हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने ये भी प्रस्ताव दिया था कि यदि  चीते के कुछ सैल्स या टिशू (cells or tissue) मिल जाएं तो कोलोन करके चीता बनाया जा सकता है। मगर ईरान इसके लिए भी तैयार नहीं हुआ। एक जानकारी के मुताबिक 2008-09 में चीता को भारत लाने की कोशिश दोबारा शुरू की गई।

इस बात का शोध किया गया कि क्या अफ्रीकन चीते (African cheetah)भारत में सरवाइव कर सकते हैं। ये बात स्पष्ट हुई कि ऐसा संभव है, फिर नामीबिया से बातचीत को आगे बढ़ाया गया। गौरतलब है कि  25 अप्रैल 2010 को तत्कालीन मंत्री जयराम रमेश चीतों को देखने के लिए नामीबिया भी गए थे।

वर्ष 2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने प्रोजेक्ट चीता के लिए 50 करोड़ की राशि जारी की थी। मामला, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक भी पहुंचा था। 2012 में प्रोजैक्ट पर रोक लगाई गई। 2019 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पेश की। इसके बाद रोक हटा दी गई। इसके तीन साल बाद 16 सितंबर 2022 को वो दिन आ गया, जब विशेष विमान से 8 चीतों को भारत लाया गया।

जयपुर से इन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क पहुंचाया गया। ऐसा भी माना जाता है कि जब इकोलाॅजी (ecology)में कोई जीव लुप्त होता है तो उसकी जगह दूसरे जीव लेते हैं। इसे इको सिस्टम संतुलित रहता है। विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि भारत में जंगली कुत्तों व भेड़ियों ने चीतों की जगह ले ली है।

दिलचस्प बात ये भी है कि नामिबिया से चीतों को भूखे-प्यासे लाया गया, ताकि यहां अपने पसंदीदा वन्यजीव का शिकार कर सकें।

उल्लेखनीय है कि 2011 में चीतों के लिए 300 करोड़ का बजट था। अब ये उम्मीद की जानी चाहिए कि सात समुंदर पार से भारत पहुंचे चीते कुनो नेशनल पार्क में सरवाइव कर जाएं, साथ ही इनका कुनबा बढ़ें। बताया जा रहा है कि 8 चीतों की टोली में 2 मादा भी हैं।