आसान नहीं है शत्रु संपत्तियों पर अवैध कब्जे हटाना, योगी आदित्यनाथ का आदेश काफी नहीं, ये होंगी चुनौतियां

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थित शत्रु सम्पत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर अतिक्रमण की भी सूचना है, ऐसे में सभी शत्रु सम्पत्तियों की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट तैयार की जाए। हालांकि, यह काम आसान नहीं रहने वाला है।

योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ

लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शत्रु संपत्तियों पर बढ़ती कब्जेदारी को लेकर बुधवार को महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में स्थित शत्रु सम्पत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी जरूरी है। कई स्थानों पर अतिक्रमण की भी सूचना है। ऐसे में सभी शत्रु सम्पत्तियों की अपडेटेड स्थिति की रिपोर्ट तैयार की जाए। अवैध कब्जेदारों और भूमाफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही योगी आदित्यनाथ की सरकार का यह फैसला महत्वपूर्ण और आवश्यक तो है लेकिन इसकी राह इतनी आसान नहीं रहने वाली है। शत्रु संपत्तियों से कब्जेदारी हटाने के दौरान यूपी सरकार को कई तरह की चुनौतियां झेलनी पड़ सकती हैं, जो कानूनी के अलावा राजनैतिक कारकों से प्रभावित हो सकती हैं। इसके अलावा बेहद पुराने दस्तावेजी दांव-पेच से भी सरकार को जूझना पड़ सकता है।

क्या होती है शत्रु संपत्ति
योगी सरकार के सामने शत्रु संपत्तियों पर कब्जेदारी हटाने के दौरान क्या-क्या चुनौतियां सामने आएंगी, इस बारे में हम बात करेंगे लेकिन उससे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर ये शत्रु संपत्ति क्या चीज है? दरअसल, भारत के भूलेखीय दस्तावेजों में निष्क्रांत संपत्ति के नाम से उन लोगों की संपत्ति दर्ज है, जो लोग विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे। बाद में शत्रु संपत्ति अध्यादेश 1968 आने के बाद से ऐसी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था। इन संपत्तियों पर केंद्र सरकार का अधिकार होता है।

इस अध्यादेश के जरिए, जो लोग 1965, 1971 या 1962 की लड़ाईयों के बाद पाकिस्तान या चीन चले गए और वहां की नागरिकता ले ली थी, उनकी संपत्तियों पर भारत सरकार ने कब्जा कर लिया। अध्यादेश को लेकर अदालतों में कई कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई। साल 2017 में शत्रु संपत्ति के संशोधित अध्यादेश को सदन के दोनों सदनों में पारित होने के बाद कानून बना दिया गया। फिलहाल, यूपी में शत्रु संपत्ति एक बार फिर से चर्चा में इसलिए है क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसी प्रॉपर्टी को कब्जा मुक्त कराने का आदेश दिया है।

योगी की राह नहीं होगी आसान
हालांकि, शत्रु संपत्तियों पर कब्जेदारी को हटाने के लिए योगी सरकार की राह आसान नहीं रहने वाली है। उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि सबसे पहली चुनौती ऐसी संपत्तियों के चिह्नीकरण की होगी। उन्हें चिह्नित करने का काम मुश्किल है। इसके लिए जमीदारी और बंदोबस्त के समय की खतौनी की आवश्यकता होगी। लोगों ने इसमें भी काफी हेरफेर किए होंगे। हालांकि जिन जमीनों को निष्क्रांत संपत्ति के रूप में दस्तावेजों में दर्ज किया गया जा चुका है, उन्हें खाली कराने में कोई परेशानी नहीं आएगी क्योंकि इन पर किसी की दावेदारी नहीं बनती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन संपत्तियों को निष्क्रांत संपत्ति में इसीलिए दर्ज किया गया था कि इनके दावेदार सामने नहीं आए।

जमीनों के साथ हेराफेरी
इसके अलावा लोगों ने चकबंदी के दौरान ऐसी जमीनों के साथ हेराफेरी की होगी। ऐसे में शत्रु संपत्ति की पहचान को लेकर योगी प्रशासन को काफी मुश्किलें पेश आएंगी। अगर किसी शत्रु संपत्ति को सरकार कब्जा मुक्त कराती है तो उसके दावेदार उसे लेकर कोर्ट में भी जा सकते हैं। ऐसा पहले भी कई संपत्तियों को लेकर हो चुका है। इसके अलावा कब्जेदार लोग संपत्ति छोड़कर गए लोगों का उत्तराधिकारी होने का भी दावा कर सकते हैं। वे कह सकते हैं कि अचल संपत्ति छोड़कर जाने वाले लोगों के वंशज होने के नाते उस पर उनका अधिकार है। ऐसे में सरकार और कब्जेदारों के बीच जबर्दस्त टकराव भी देखने को मिल सकता है।

ऐसी जमीनों पर अतिक्रमण करके तमाम संस्थाएं या अन्य निर्माण हो चुके होंगे। ऐसे में जब कब्जामुक्त करने के लिए इन संपत्तियों पर बुलडोजर चलेंगे तो प्रशासन को स्थानीय लोगों का विरोध भी झेलना पड़ सकता है।

राजनीतिक कारक भी होंगे अहम
दरअसल, प्रशासनिक अधिकारी ग्रामसभा आदि की सरकारी जमीनों पर तो नजर रखते हैं लेकिन शत्रु संपत्तियों पर उनका ध्यान नहीं होता। इसलिए ऐसी संपत्तियों पर कब्जे बढ़े। ज्यादातर ऐसी संपत्तियां मुस्लिम बहुल इलाके में हैं, जहां के लोग विभाजन के बाद पाकिस्तान या अन्य देशों में चले गए। ऐसे में कर्रवाई करने पर योगी सरकार को एक राजनैतिक विरोध भी झेलना पड़ सकता है। आरोप लगता है कि पिछली सपा, बसपा या कांग्रेस की सरकारों ने शत्रु संपत्ति पर कब्जे को हटाने की इसलिए भी कोशिश नहीं की क्योंकि इससे उनके वोट बैंक प्रभावित होते हैं। कोई भी मुस्लिमों को नाराज नहीं करना चाहता था। कथित तौर पर मुस्लिम विरोधी छवि वाली योगी सरकार के लिए भी यह काम आसान नहीं रहने वाला है।