अंगूठे का निशान लेना आसान नहीं, नेटवर्क की तलाश में उपभोक्ताओं को गाड़ी में लेकर भटक रहे राशन डीलर

उत्तरकाशी जिले में करीब 60 फीसदी क्षेत्र नेटवर्क विहीन है। मोरी विकासखंड के लगभग पूरा हिस्सा में ही नेटवर्क नहीं है। ऐसे में जनपद के राशन विक्रेताओं के लिए यह व्यवस्था परेशानी का कारण बन गई है। राशन विक्रेता उपभोक्ताओं को वाहन में भरकर नेटवर्क क्षेत्र में ले जाते हैं

सांकेतिक तस्वीर
सरकारी राशन के लिए बायोमीट्रिक प्रक्रिया जी का जंजाल बन गई है। इसके लिए इंटरनेट की सुविधा चाहिए, लेकिन उत्तरकाशी जिले का 60 फीसदी हिस्सा नेटवर्क विहीन है। ऐसे में राशन विक्रेता लोगों को गाड़ी में भरकर नेटवर्क क्षेत्र में ले जाते हैं। वहां बायोमीट्रिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद गांव लौटकर लोगों को राशन देते हैं। 

उत्तरकाशी जिले में 77 हजार राशन कार्ड धारक हैं और सरकारी सस्ते गल्ले की 556 दुकानें हैं। शासन ने सरकारी राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए बायोमीट्रिक प्रणाली अनिवार्य कर दी है। इसके तहत राशन देने से पहले उपभोक्ता के अंगूठे के निशान का ऑनलाइन मिलान करना होता है। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है और इसके लिए इंटरनेट जरूरी है। 
उत्तरकाशी जिले में करीब 60 फीसदी क्षेत्र नेटवर्क विहीन है। मोरी विकासखंड के लगभग पूरा हिस्सा में ही नेटवर्क नहीं है। ऐसे में जनपद के राशन विक्रेताओं के लिए यह व्यवस्था परेशानी का कारण बन गई है। 

सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष कृष्णा ने बताया कि कई बार राशन विक्रेता उपभोक्ताओं को वाहन में भरकर नेटवर्क क्षेत्र में ले जाते हैं, लेकिन कई बार वहां भी नेटवर्क गायब मिलता है। कई घंटे इंतजार करने के बाद भी नेटवर्क नहीं आता है तो फिर बैरंग लौटना पड़ता है।

हमें बायोमीट्रिक प्रणाली से दिक्कत नहीं हैं, लेकिन रिजार्च के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाए। साथ ही नेटवर्क की समस्या का भी समाधान किया जाए। -कृष्णा गुसाईं, जिलाध्यक्ष, सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता एसोसिएशन।

जनपद में नेटवर्क की समस्या के संबंध में शासन को अवगत कराया गया है। जल्द ही इस संबंध में कोई निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल राशन का वितरण नहीं रोका गया है। -संतोष भट्ट, डीएसओ, उत्तरकाशी।