जगदानंद vs तेजस्वी: बेटा या फिर सबसे पुराना दोस्त, लालू यह गांठ कैसे सुलझाएंगे?

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में इस बात के बड़े चर्चे हैं कि लालू के सबसे बड़े सेनापति और RJD प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह तेजस्वी पर उखड़े हुए हैं। इसके पीछे सिर्फ उनके बेटे सुधाकर सिंह का कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा ही नहीं बल्कि उनका खुद का एक बयान भी है।

पटना: दिल्ली में रविवार से आरजेडी का राष्ट्रीय अधिवेशन है, जिसमें पार्टी के संरक्षक लालू प्रसाद के नए अध्यक्ष चुने जाने की उम्मीद है। इसी बीच उनके वफादार दोस्त और प्रमुख उच्च जाति के चेहरे जगदानंद सिंह लालू से नहीं बल्कि तेजस्वी यादव से नाराज हैं। चर्चा है कि सुधाकर सिंह को मंत्री परिषद से हटाने का फैसला तेजस्वी का ही था। ऐसा भी लग रहा है कि तेजस्वी ने पिता लालू यादव के कंधे पर बंदूक रखकर सुधाकर सिंह की बर्खास्तगी की गोली दागी। हालांकि, लालू RJD के आधिकारिक अध्यक्ष बने हुए हैं, लेकिन तेजस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ महागठबंधन सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए आदेश जारी कर रहे हैं।

2024 के लिए सुधाकर सिंह को किया कुर्बान
माना जा रहा कि 2024 में RJD नीतीश कुमार को केंद्र में देखना चाहता है। जिससे तेजस्वी की बतौर सीएम बिहार में ताजपोशी हो सके। इसी वजह से तेजस्वी का ये कदम जगदानंद सिंह के मन के खिलाफ चला गया। जगदानंद सिंह RJD की स्थापना के दिन यानि 1997 से ही लालू के सबसे वफादार रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि जगदानंद हाल की दो कार्रवाइयों से आहत थे। तेजस्वी ने पार्टी पदाधिकारियों को नीतीश के बारे में बयान देने से परहेज करने के लिए कहा और फिर उन्हें जगदानंद के बेटे और कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को हटाने के लिए अपने पिता के माध्यम से अवगत कराया।
निराश हुए जगदा बाबू
बताया जाता है कि तेजस्वी के इस कदम ने जगदानंद सिंह को नाराज और निराश कर दिया। क्योंकि उन्होंने लालू के बेटे के लिए बिहार के नए सीएम के रूप में 2023 की शुरुआत वाला बयान देकर बड़ा मोर्चा खोला था। लेकिन उनके इसी बयान ने नीतीश को नाराज कर दिया। इसके बाद जगदानंद सिंह को ही इसको लेकर बयान रोकने की चिट्ठी जारी करनी पड़ी। रही-सही कसर तेजस्वी के बयान ने पूरी कर दी जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें न तो जल्दी है और न ही सीएम बनने की कोई इच्छा है।

सुधाकर सिंह का टिप्पणी से इनकार
इधर सुधाकर सिंह ने अपने पिता को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि उन्हें पार्टी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। आरजेडी के राज्य प्रवक्ता चितरंजन गगन ने दावा किया कि जगदानंद के नाराज होने के बारे में अफवाहें चल रहीं। उन्होंने कहा, ‘जगदा बाबू ने पार्टी के जन्म से ही इससे जुड़े रहे हैं। हालांकि, इससे लालू की दुविधा दूर नहीं होती। उन्हें जगदानंद को शांत करना है, जिन्हें व्यापक रूप से उनके ‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ के रूप में माना जाता है। जो उनके साथ तब भी रहे, जब कई लोगों ने आरजेडी सुप्रीमो को धोखा दे दिया था।

लालू के लिए बेटे के खिलाफ प्रचार किया था जगदानंद ने
जगदानंद ने एक उदाहरण स्थापित किया था जब उन्होंने अपने बेटे के खिलाफ प्रचार किया था और 2010 के विधानसभा चुनावों में उनकी हार सुनिश्चित की थी। वो तब की बात है जब बीजेपी ने जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को रामगढ़ सीट के लिए टिकट दे दिया था। तब जगदा बाबू लालू के लिए बेटे के खिलाफ ही प्रचार करने मैदान में उतर गए थे। लालू ने एक बार नहीं बल्कि दो बार अपनी पार्टी की बागडोर अपने दोस्त को सौंपकर इस पद के कई प्रबल दावेदारों को पछाड़ दिया।

उधर रविवार से शुरू हो रहे पार्टी के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने के लिए आरजेडी के प्रमुख पदाधिकारी दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। हालांकि पार्टी के मंत्री शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचेंगे। बैठक में कई राज्यों के 5,000 से अधिक प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है।