James Webb Galaxy: जेम्स वेब टेलीस्कोप ने खींची दुर्लभ रिंग गैलेक्सी की फोटो, दो आकाशगंगा के टकराने से बनी, 44 करोड़ साल से फैल रही

James Webb Galaxy: नासा का जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप 12 जुलाई से काम कर रहा है। लेकिन वह हर रोज नई खोज करने में लगा हुआ है। अब टेलीस्कोप ने एक दुर्लभ आकाशगंगा की खोज की है। ये आकाशगंगा कार्टव्हील आकाशगंगा है, जो दो आकाशगंगाओं के टकराने से बनी है।

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कार्टव्हील गैलेक्सी। (Credit-NASA)
वॉशिंगटन:जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप अंतरिक्ष में लगातार नई-नई खोज कर रहा है। अब जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने एक दुर्लभ प्रकार की आकाशगंगा को देखा है। टेलीस्कोप की नई तस्वीर में कार्टव्हील आकाशगंगा दिख रही है, जो 500 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित एक रिंग आकाशगंगा है। ये आकाशगंगा एक बड़ी स्पाइरल आकाशगंगा और छोटी आकाशगंगा के टकराने से बनी थी। जब आकाशगंगाएं टकराती हैं तो उनका आकार बदल सकता है। बाद में ये स्पाइरल आकाशगंगा नहीं रह गईं।

कार्टव्हील आकाशगंगा एक घोड़ा गाड़ी के पहिए की तरह दिखती है। इसके चारों ओर एक रंगीन व्हील है और इसके बीच में एक चमकदार रिंग है। टकराव के कारण दोनों एक दूसरे से दूर हो गईं। इन विशेषताओं के कारण वैज्ञानिक कार्टव्हील आकाशगंगा को रिंग के रूप में वर्गीकृत करने हैं, जो स्पाइरल आकाशगंगा की तुलना में बहुत दुर्लभ है। वेब टेलीस्कोप की क्षमताओं के कारण खगोलविदों को इस आकाशगंगा के भीतर अलग-अलग सितारों और सितारों के बनने के साथ-साथ ब्लैक होल के बारे में नइ अंतर्दृष्टि मिली है।

44 करोड़ साल से फैल रही है रिंग
गैलेक्सी का विकास अरबों वर्षों में कैसे हुआ इस बारे में नई फोटो से ज्यादा पता चलता है। तस्वीरों में दिख रहा है कि रिंग के अंदर गर्म धूल के बीच सितारों का एक विशाल युवा समूह बन रहा है। इस गैलेक्सी की बाहरी रिंग पिछले 44 करोड़ वर्षों से फैल रही है। यही वह जगह है जहां तारों का निर्माण और सुपरनोवा विस्फोट हो रहा है। जैसे-जैसे रिंग और फैलती है वैसे ही ये गैसों से टकराती है, जिसके कारण और नए सितारे बनते हैं। इस तस्वीर में गैलेक्सी के पास दो छोटी गैलेक्सी भी दिख रही हैं।

इन्फ्रारेड कैमरे से दिखी डिटेल्स
हबल समेत अन्य टेलीस्कोप ने कार्टव्हील गैलेक्सी का अध्ययन किया है, लेकिन धूल के कारण आकाशगंगा के रहस्य अस्पष्ट थे। वेब एक इन्फ्रारेड टेलीस्कोप है, जो इंसानी आंखों से न दिखने वाले प्रकाश को भी देख लेता है। यही कारण है कि ये टेलीस्कोप उन डिटेल्स को पकड़ने में सक्षम रहा जो बाकी अन्य टेलीस्कोप नहीं कर सके। 12 जुलाई 2022 से वेब टेलीस्कोप ने आधिकारिक तौर पर काम शुरू कर दिया। इसी दिन नासा ने पहली तस्वीर जारी की थी।