जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने हैदरपोरा मुठभेड़ मामले में सुनवाई की। खंडपीठ ने हाईकोर्ट से बेटे आमिर माग्रे की मौत पर उसके पिता मोहम्मद लतीफ माग्रे को मुआवजे की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट से कहा है कि वह उस व्यक्ति की याचिका पर एक हफ्ते में सुनवाई करे, जिसमें उसने अपने बेटे के शव को कब्र से निकालने की गुहार लगाई है। दरअसल पिछले वर्ष नवंबर में श्रीनगर के हैदरपोरा में सुरक्षाबलों ने चार लोगों को मुठभेड़ में मार गिराया था। उनमें रामबन निवासी आमिर माग्रे भी शामिल था।
कब्रिस्तान में शव को दफनाने का मौका मिलना चाहिए
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने हाईकोर्ट से बेटे आमिर माग्रे की मौत पर उसके पिता मोहम्मद लतीफ माग्रे को मुआवजे की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई करने को कहा है। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील आनंद ग्रोवर की दलील पर भी सहमति जताई कि पिता को बेटे के शव को कब्र निकालकर पारिवारिक कब्रिस्तान में नमाज-ए-जनाजा के साथ दफनाने का मौका मिलना चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील ने शुरुआत में कहा कि वह बेटे के शरीर के अवशेषों को निकालने और सौंपने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा दी गई पहली राहत के लिए दबाव नहीं डालना चाहता वह अंतिम संस्कार धार्मिक प्रथाओं के अनुसार करना चाहता है।
इससे पहले 24 जून को एक अन्य अवकाश पीठ अंतिम संस्कार करने के लिए शव को निकालने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुई थी। मालूम हो कि 15नवंबर 2021 को हैदरपोरा में सुरक्षाबलों ने चार लोगों को मुठभेड़ में मार गिराया था।
जिसमें अल्ताफ अहमद भट और डॉ. मुदासिर गुल, के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए थे परंतु।आमिर माग्रे का शव नहीं दिया गया था। इसे लेने के लिए लतीफ माग्रे ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।