पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर करने के फैसले पर अब राष्ट्रीय सुरक्षा जानकारों ने भी चिंता जताई है। उन्हें अंदेशा है कि टेरर फंडिंग के बंद पड़े चैनल फिर से खुल जाएंगे। इसका सीधा असर जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील प्रदेश पर पड़ेगा।
आतंकियों के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाले विशेष कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची से पाकिस्तान को बाहर करने के फैसले पर सुरक्षा मामलों के जानकारों ने चिंता जताई है। सितंबर माह में ही उत्तरी कमान की सोलहवीं कोर के जीओसी ने पाकिस्तान पर एफएटीएफ का दबाव कम होने पर आतंकी घुसपैठ में तेजी आने की आशंका जताई थी।
एफएटीएफ ग्रे सूची वाले देशों पर कई तरह की पाबंदियां लगाती है
पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर करने के फैसले पर अब राष्ट्रीय सुरक्षा जानकारों ने भी चिंता जताई है। उन्हें अंदेशा है कि टेरर फंडिंग के बंद पड़े चैनल फिर से खुल जाएंगे। इसका सीधा असर जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील प्रदेश पर पड़ेगा। टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े लेनदेन पर नजर रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसी एफएटीएफ ग्रे सूची वाले देशों पर कई तरह की पाबंदियां लगाती है।
पैसों का संदिग्ध लेनदेन करना मुश्किल हो जाता है
फंडिंग पर कड़ी नजर की वजह से पैसों का संदिग्ध लेनदेन करना मुश्किल हो जाता है। पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे सूची में शामिल किया गया था। इस निगरानी की वजह से टेरर फंडिंग का नेटवर्क बुरी तरह से प्रभावित हुआ। केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन विभाग के एचओडी डॉ. जे जगन्नाथन का कहना है कि पाकिस्तान में जमात जैसी तंजीमों को कल्याणकारी कार्यों की आड़ में बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय फंडिंग होती है।
चार वर्षों में टेरर नेटवर्क को फंड की कमी खल रही
पाकिस्तान की एजेंसियां इस पैसे को टेरर नेटवर्क के लिए डायवर्ट करती रही हैं। सबसे ज्यादा फंड तुर्की से आते थे। एफएटीएफ की ग्रे सूची में आने के बाद पिछले चार वर्षों में टेरर नेटवर्क को फंड की कमी खल रही थी। सीमा पार से घुसपैठ की घटनाएं कम होने और ड्रोन से ड्रग्स व हथियार भेजने की घटनाएं बढ़ने की एक प्रमुख वजह एफएटीएफ का दबाव भी था। पाकिस्तान को एफएटीएफ से राहत को लेकर भारत को कूटनीतिक स्तर पर इस फैसले का विरोध करना चाहिए।
यह कहा था जीओसी ने
उत्तरी कमान की सोलहवीं कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने नगरोटा में 28 सितंबर को कहा था कि वर्तमान में एलओसी पर घुसपैठ की कोशिशें बहुत कम हो गई हैं। सुरक्षा ग्रिड से इतर इसके पीछे एफएटीएफ का दबाव भी बड़ा कारण है, लेकिन जैसे ही हालात बदलेंगे तो टेरर नेटवर्क फिर सक्रिय होगा, जिससे घुसपैठ की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
दो साल में दोगुनी से भी ज्यादा बार ड्रोन से घुसपैठ
जम्मू-कश्मीर और पंजाब में पाकिस्तानी ड्रोन की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। इस साल सितंबर माह तक पंजाब में 171 और जम्मू सेक्टर में 20 बार पाकिस्तानी ड्रोन की गतिविधि रिपोर्ट हो चुकी है, जबकि बीते वर्ष पंजाब और जम्मू को मिलाकर कुल 95 बार पाकिस्तानी ड्रोन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की। इनमें 64 बार पंजाब और 31 बार जम्मू में पाकिस्तानी ड्रोन मंडराया। पाकिस्तान की ड्रोन गतिविधि पर शोध कर रहे डॉ. जे जगन्नाथन के अनुसार एफएटीएफ की पाबंदियां लगने के बाद से पाकिस्तान ड्रोन से ड्रग्स और हथियार भेज रहा है। इस साल बीते वर्षों से दोगुना से भी ज्यादा बार पाकिस्तानी ड्रोन से घुसपैठ की गई है।
बदले अंतरराष्ट्रीय समीकरण का भी संकेत
रूस-युक्रेन युद्ध में भारत का रूस के साथ खड़े होना पश्चिमी देशों को रास नहीं आ रहा। इसी बीच पाकिस्तान को एफएटीएफ से राहत को जानकार जियोपॉलिटिकल रीएलाइनमेंट की दृष्टि से देख रहे हैं। दिल्ली पॉलिसी ग्रुप के सदस्य रहे एक जानकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर चुनाव की ओर जा रहा है। ऐसे वक्त पर पाकिस्तान को क्लीन चिट मिलना नए अंतरराष्ट्रीय समीकरण से जोड़कर देखा जाना चाहिए।