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चार साल में जान्हवी कपूर की छठी फिल्म रिलीज होने को है। सिर्फ 25 साल की जान्हवी अपनी उम्र से कहीं ज्यादा समझदारी की बातें करती हैं और मेहनत को ही सफलता का मूल मंत्र मानती हैं। वह कहती हैं कि श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी होने का फायदा हो सकता है उन्हें शुरू की एक, दो फिल्मों में मिला हो लेकिन उसके आगे अब उन्हें अपने काम से ही पहचान बनानी है। रीमेक फिल्मों में लगातार काम करने, फिल्म ‘धड़क’ में अपने काम को कमतर मानने और अपने निर्देशकों के हिसाब से खुद को ढाल लेने के अलावा ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल से जान्हवी ने इस इंटरव्यू में लंबी बातचीत की है।
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जान्हवी, आपकी नई फिल्म ‘मिली’ अगले महीने रिलीज होने वाली है और ये आपकी तीसरी फिल्म है जो किसी दूसरी फिल्म की रीमेक है, ये सोचा समझा फैसला है या बस एक इत्तेफाक?
इत्तेफाक ही है सर। मैं ये कभी नहीं देखती कि ये फिल्म पहले बन चुकी है। हिट हो चुकी है तो फिर से बनेगी तो हिट रहेगी। ऐसा बिल्कुल नहीं है। मेरे लिए कहानी मायने रखती है। और, कहानी से ज्यादा फिल्म के निर्देशक और लेखक की नीयत महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि, अगर कोई एक हिट फिल्म को सिर्फ दूसरी भाषा में सिर्फ हिट फिल्म बनाने की वजह से बना रहा है तो मैं वह फिल्म बिल्कुल नहीं करूंगी। लेकिन, अगर मुझे ये बताया जा रहा है कि ये कहानी पहले बनी हुई है पर अब हम इसे अलग तरह से दर्शाने की कोशिश करना चाहते हैं। कहानी में कुछ ऐसा मजेदार तत्व है जो मूल फिल्म में फोकस में आने से रह गया और इसी वजह से ये कहानी नए रूप में नए दर्शकों तक पहुंचनी चाहिए तो मुझे लगता है कि हां ये सही नीयत से आए हैं। इनके साथ काम करना मजेदार रहेगा।
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इस नई फिल्म पर बात जारी रखने से पहले मैं आपकी कुछ पिछली फिल्मों की बात करना चाहता हूं, क्या आप अपनी पिछली फिल्मों के अंतिम स्वरूप से पूरी तरह संतुष्ट हैं?
मैं इन फिल्मों में अपने काम बारे में बात कर सकती हूं। किसी और के काम पर टिप्पणी करने लायक मैं अभी हूं नहीं। मुझे हमेशा ये लगता रहा है कि फिल्म ‘धड़क’ में मेरा काम और भी बेहतर हो सकता था। उस समय मैं बहुत नई थी। एक फिल्मी परिवार से होने के बावजूद जो आत्मविश्वास मुझमें होना चाहिए था, वह काफी कम था। लेकिन, मैं यही कहना चाहती हूं कि मेरी नीयत साफ है। मैं ईमानदारी से काम करना चाहती हूं। और, मैं हमेशा सच्चाई को दर्शाना चाहती हूं। मैं कुछ भी दिखावा नहीं करना चाहती, न तो असल जिंदगी में और न ही फिल्मों में। मेरी पिछली फिल्म ‘गुडलक जेरी’ में मेरे निर्देशक ने मुझे पूरी आजादी दी और उस आजादी में मुझे खेलने का बहुत मजा आया। इस उन्मुक्तता का असर कहीं न कहीं फिल्म में उभर के भी आया है।
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तो किसी फिल्म की रीमेक पर जब आप काम करती हैं तो उसकी मूल फिल्म देखती हैं? ‘मिली’ जिस मलयालम फिल्म ‘हेलेन’ पर बनी है, वह देखी है आपने? किस तरह की मेहनत होती है आपकी अपनी तरफ से इन किरदारों को जीने में?
फिल्म ‘हेलेन’ मैंने टुकड़ों टुकड़ों में देखी है। किसी किरदार की तैयारी जहां तक बात है तो ये उस फिल्म के निर्देशक पर निर्भर करता है। जैसे ‘गुंजन सक्सेना’ के लिए हमने बहुत तैयारी की। इसके निर्देशक शरन शर्मा की अगली फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ मैं कर रही हूं तो पिछले एक साल से मेरी क्रिकेट की ट्रेनिंग चल रही है। वह तैयारी में बहुत यकीन करते हैं। लेकिन, ‘मिली’ के निर्देशक मथकुट्टी जेवियर का तरीका अलग है। उन्होंने मुझे पटकथा पढ़ने को दी और कहा कि इसे रटना बिल्कुल मत। जो भी हम करेंगे शूटिंग के समय करेंगे। मेरी एक और निर्माणाधीन फिल्म ‘बवाल’ के निर्देशक नितेश तिवारी का तरीका इन दोनों के बीच में कहीं हैं।
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श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी की पहचान आपके कितने काम आती है, इस पहचान से आगे जाने का भी तो मन होता ही होगा?
मैं बिल्कुल आगे जाना चाहती हूं और मैं खुद तो नहीं बता सकती कि कितना आगे आई हूं। ये आप जैसे समीक्षक ही बता सकते हैं। मैं मानती हूं कि श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी होने के चलते मुझे एक दो फिल्में जरूर मिली हैं। काम करने का मेरा पहला विचार भले इस पहचान से आगे जाने का न रहता हो लेकिन मेरा आखिरी विचार ये जरूर है। श्रीदेवी की बेटी होने के चलते शुरू में लोगों को लगता होगा कि इसको फिल्म में ले लो तो ओपनिंग अच्छी मिलेगी, लोगों में उत्सुकता भी रहेगी। लेकिन, वह सब हो चुका। अब मुझे लोग हर रोज देखते हैं। अब मेरी पहचान मेरे काम और मेरे हुनर से बनेगी। और, इसी के चलते जो भी किरदार मुझे अब मिल रहे हैं, उनसे मैं बहुत खुश हूं। मेरा अपने ऊपर विश्वास भी इसी के चलते बढ़ा है। मैं मानती हूं कि मेहनत के सिवा सफलता का कोई दूसरा रास्ता है भी नहीं।