Jet Fuel From Air: स्पेन के मोस्टोल्स में शोधकर्ताओं ने एक अनोखा कारनामा करते हुए एक टॉवर के जरिए जेट फ्यूल बनाया है। ये ऑल इन वन टावर है, जहां सूर्य के प्रकाश, कार्बन डाईऑक्साइड और पानी के कणों से जेट फ्यूल का निर्माण होता है। ये भविष्य में ऊर्जा का विकल्प हो सकता है।
ये सोलर केरोसिन पेट्रोलियन से मिलने वाले जेट फ्यूल का विकल्प बन सकता है, जो विमान से निकलने वाले ग्रीन हाउस गैस को कम करने में मदद करेगा। साइंस न्यूज की खबर के मुताबिक ETH ज्यूरिख के इंजीनियर एल्डो स्टीनफेल्ड ने कहा कि इस प्रक्रिया से मिलने वाले फ्यूल को जलाने पर उतना ही कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है, जितना इसे बनाने में इस्तेमाल किया गया हो। इस कारण ये फ्यूल कार्बन न्यूट्रल है।
ऊर्जा से भरा होता है जेट फ्यूल
उड्डयन क्षेत्र लगभग 5 फीसदी मानव जनित ग्रीन हाउस गैस के लिए जिम्मेदार हैं। एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के रासायनिक भौतिक विज्ञानी एलेन स्टेचेल जो इस रिसर्च में शामिल नहीं थे, कहते हैं कि जेट फ्यूल का स्थाई विकल्प खोजना मुश्किल साबित हुआ है, खासकर लंबी दूरी वाले विमानों के लिए क्योंकि जेट फ्यूल में बहुत ज्यादा ऊर्जा होती है। 2015 में स्टेनफेल्ड और उनके सहयोगियों ने लैब में सौर जेट फ्यूल बनाया था, लेकिन किसी ने भी इसे एक सिंगल सिस्टम के जरिए मैदान में नहीं बनाया।
कैसे बनाया जेट फ्यूल
स्टेनफेल्ड और उनकी टीम ने 169 कांच का इस्तेमाल कर सूर्य के प्रकाश को एक 15 मीटर लंबे टावर पर एक जगह फोकस किया। जिस जगह फोकस किया। इस रिएक्टर में एक खिड़की थी, जिसके जरिए लाइट अंदर जा सकती थी। इसमें सेरिया (Ceria) नाम का कैमिल लगाया गया जिसमें छोटे-छोटे छेद थे। जब सूर्य की गर्मी सेरिया को जलाने लगी तो इसने कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के वाष्प के साथ रिएक्शन किया, जिसके जरिए Syngas यानी Hydrogen और कार्बन मोनोऑक्साइड का मिश्रण तैयार हुआ। टावर के एक पाइप से सिनगैस नीचे आती और एक मशीन के जरिए केरोसिन और अन्य हाइड्रोकार्बन में कन्वर्ट किया जाता है। 9 दिन में 5,191 लीटर सिनगैस शोधकर्ताओं ने प्राप्त किया।