झारखंड का 12वीं पास ‘पावर मैन’, 18 साल में देसी जुगाड़ से पैदा की बिजली और रौशन कर दिया गांव

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सच ही कहा गया है कि विपत्ति कायर को ही दहलाती, सूरमा इस विपत्ति से निकलने का रास्ता खुद खोज लेते हैं. आज जिस शख्स की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं उसने भी अपने गांव के मुख्य संकट के आगे हार नहीं मानी और ज्यादा पढ़ा लिखा न होने के बावजूद भी वो कमाल कर दिखाया जिसने सबको हैरान कर दिया.

देसी जुगाड़ से पैदा की बिजली

Kedar Mahto Prabhat

ये कहानी है झारखंड के दुलमी प्रखंड के बयांग गांव के पावर मैन की । 33 वर्षीय केदार प्रसाद महतो ने जब अपने गांव में बिजली की समस्या देखी तो मन ही मन ये प्राण ले लिया कि वह बिजली उत्पादन कर के ही मानेंगे.

उन्होंने अपने इस प्राण को पूरा करने में अपने जीवन के बहुमूल्य 18 साल लगा दिए लेकिन आखिरकार वह अपने अथक प्रयास के दम पर देशी जुगाड़ लगाकर पानी से पांच किलोवाट बिजली का उत्पादन कर के ही माने. आज इसी बिजली से गांव के चौक-चौराहे व दुर्गा मंदिर में रोशन रहती है.

18 साल से लगे हैं इस प्रयोग में

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केदार ने साल 2004 में बिजली उत्पादन का काम शुरू किया था. केदार उस समय 12 वोल्ट का बिजली उत्पादन करने में सफल रहे थे. एक बार सफल होने के बाद उन्होंने इस रास्ते में आगे बढ़ने का मन बना लिया. इसके बाद साल 2014 में उन्होंने एक किलोवाट बिजली का उत्पादन किया.

12 वीं पास हैं केदार

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केदार पेशे से किसान हैं और उन्होंने हाइस्कूल डभातू से मैट्रिक, छिन्नमस्ता इंटर कॉलेज से इंटर व रामगढ़ कॉलेज से बीए पार्ट-वन की पढ़ाई की है. 1 किलोवाट बिजली पैदा करने के बाद वह लगातार अपने इस प्रयोग में लगे रहे और आखिरकार 2021 में उन्होंने अपना सपना पूरा कर लिया और पांच किलोवाट बिजली उत्पादन करने में सफलता रहे.

इस प्रयोग पर लगभग तीन लाख रुपये खर्च हुए हैं. जो केदार ने अपनी जेब से खर्च किए हैं. 12वीं पास केदार वायरिंग का काम करते हैं और इसी से पैसे जमा कर वह अपनी सपनों को सींच कर हकीकत में बदल रहे हैं.

केदार ने बिजली बनाने का पहला परीक्षण सेनेगढ़ा नदी के अमझरिया नामक स्थान में किया. लेकिन उनके सपनों को अचानक आयी बारिश बहा कर ले गई. इसके बाद उन्होंने नदी के बीच में सीमेंट से कॉलम ढलाई कर बिजली के लिए कार्य शुरू किया.

सरकारी सहयोग चाहते हैं

इसमें पानी में उन्होंने खुद से बनाया गया टर्बाइन के साथ आर्मेचर, क्वायल, मैगनेट सहित कई पार्ट्स-पुर्जे लगाए. बिजली हाउस तक जाने के लिए उन्होंने बांस की पुलिया भी बनाई. केदार ने पांच केवीए बिजली में 100 वाट के 40-45 बल्ब जला दिए. वह फिलहाल गांव के घरों में बिजली नहीं दे रहे हैं.

केदार का कहना है कि उनके इस देसी जुगाड़ से 300 केवी बिजली का उत्पादन हो सकता है. इससे गांव में बिजली की सप्लाई आ जाएगी. लेकिन इसमें 30 से 35 लाख रुपये खर्च होगा, जो फिलहाल उनके पास नहीं है. केदार अपने सपने को बड़ा बनाने और अपने गांव को रोशन करने के लिए सरकार सहयोग की आस लगाए बैठे हैं.