अफगानिस्‍तान तक CPEC ले जाने के लिए बेताब हुए जिनपिंग-शहबाज, भारत कर रहा विरोध, समझें चाल

पाकिस्‍तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) इस समय चीन (China) के दौरे पर हैं। यहां पर उन्‍होंने कई अहम मसलों के अलावा चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का भी जिक्र किया है। इसके साथ ही इस बात पर भी जोर दिया गया है कि इस प्रोजेक्‍ट का विस्‍तार अफगानिस्‍तान (Afghanistan) तक कर दिया जाये।

बीजिंग: चीन और पाकिस्‍तान ने बुधवार को एक नए प्‍लान पर सोचना शुरू कर दिया है। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जो इस समय चीन के दौरे पर हैं, उन्‍होंने यहां पर चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है। इस मीटिंग में चीन के पीएम ली केकियांग और दूसरे सीनियर लीडर्स मौजूद थे। इसी मीटिंग में सीपीईसी पर भी चर्चा हुई। पीएम शरीफ की मुलाकात के बाद दोनों देशों की तरफ से एक साझा बयान जारी किया गया जिसमें चीन के महत्‍वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) का जिक्र खासतौर पर था। दोनों देश इस प्रोजेक्‍ट के तहत आने वाले चीन पाकिस्‍तान आर्थिक कॉरिडोर को अब अफगानिस्‍तान तक लेकर जाना चाहते हैं।

जल्‍द होगा पूरा
प्रधानमंत्री बनने के बाद यह शहबाज शरीफ का पहला चीन दौरा था जिससे पाकिस्‍तान को काफी उम्‍मीदें थी। देश की अर्थव्‍यवस्‍था जिस स्थिति से गुजर रही है, उसमें यह संभावना जताई गई थी कि सरकार को सीपीईसी के लिए चीन से मदद मिल सकती है। सीपीईसी करीब 60 अरब डॉलर वाला प्रोजेक्‍ट है जिसके जरिये पाकिस्‍तान में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट पर काम चल रहा है। पीएम शहबाज ने इस दौरान जिनपिंग से 6.3 अरब डॉलर के चीनी कर्ज पर भी चर्चा की। इस बारे में क्‍या निष्‍कर्ष निकला, इस पर तो कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। लेकिन चीन ने सीपीईसी के एक रणनीतिक प्रोजेक्‍ट को जल्‍द से जल्‍द पूरा करने पर रजामंदी जताई है।

तीन हजार किलोमीटर तक
सीपीईसी प्रोजेक्‍ट तीन हजार किलोमीटर तक फैला हुआ है और पाकिस्‍तान के ग्‍वादर बंदरगाह से शिनजियांग को कवर करता हे। दोनों देशों की मानें तो अगर इसे अफगानिस्‍तान तक लेकर जाया जाता है तो इसे क्षेत्रीय संपर्क मजबूत होगा। इस साल जुलाई में चीन के विदेश मंत्री वांग वाई की तरफ से भी इच्‍छा जताई गई थी कि सीपीईसी को अफगानिस्‍तान तक लेकर जाया जाना चाहिए। साल 2013 में लॉन्‍च हुया यह प्रोजेक्‍ट ग्‍वादर बंदरगाह को अरब सागर और शिनजियांग के काश्‍गर से जोड़ता है।

भारत ने किया विरोध
भारत की तरफ जुलाई में ही इस बात की आलोचना की गई थी कि किस तरह से चीन और पाकिस्‍तान एक तीसरे देश को इस प्रोजेक्‍ट में शामिल करने को बेताब हैं। भारत,सीपीईसी के तहत बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का विरोध करता आया है क्‍योंकि यह पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर से होकर गुजरता है। भारत मानता है कि सीपीईसी और बीआरई दोनों ही उसकी संप्रभुता के खिलाफ हैं। भारत,सीपीईसी के तहत बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का विरोध करता आया है क्‍योंकि यह पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर से होकर गुजरता है। भारत मानता है कि सीपीईसी और बीआरई दोनों ही उसकी संप्रभुता के खिलाफ हैं।