जॉबलेस चायवाली: कोरोना में नौकरी-दोस्त दोनों साथ छोड़ गए, लोगों का विरोध झेल अपने दमपर बनाई पहचान

देश में लाखों युवा अच्छे रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. बेरोजगारी के आलम में भी कुछ लोग अपना एक स्तर निर्धारित कर उससे नीचे नहीं उतरना चाहते, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हर काम को एक समान मान कर अपने दम पर एक नई शुरुआत करते हैं. आज एक ऐसी ही लड़की की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं. जिसने अपनी नौकरी खोने के बाद एक ऐसा फैसला जो बहुत से युवाओं के लिए मिसाल की तरह है.

कोरोना काल में चली गई नौकरी

Jobless Chaiwali Success Story Twitter

ये कहानी है वाराणसी की रहने वाली पूजा की, जिसने यूपी की राजधानी लखनऊ में अपने दम पर एक अलग पहचान बनाई है. वाराणसी की पूजा लखनऊ में जॉब करती थीं. लाखों लोगों की तरह कोरोना इनके लिए भी काल तब साबित हुआ जब इस दौरान इनकी जॉब चली गई. स्थिति जब कुछ सामान्य हुई तो पूजा ने फिर से जॉब के लिए कई कंपनियों में कोशिश की लेकिन वह लगातार असफल रहीं. लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई कर चुकी पूजा को ये बात अच्छे से पता थी कि अगर जॉब छूटने की बात उनके घर तक पहुंची तो उन्हें वापस वाराणसी बुला लिया जाएगा. इसके बाद उनके सारे सपने सपने ही रह जाएंगे.

दोस्तों ने भी छोड़ दिया साथ

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रोजगार का कोई रास्ता न दिखने पर पूजा ने दोस्तों के साथ मिलकर एक स्टार्टअप शुरू किया. ये स्टार्ट अप था चाय का, जिसका नाम इन्होंने जॉबलेसचाय वाली रखा. हालांकि, परेशानियां यहां भी कम नहीं हुई थीं. उन्हें लड़की होने के कारण अपने इस स्टार्ट अप को लेकर खूब विरोध झेलना पड़ा. एक समय ऐसा आया कि सभी दोस्त भी साथ छोड़ गए. अंत में स्टार्टअप भी बंद करना पड़ा. कुछ हफ्ते तक स्टार्टअप बंद रहा लेकिन पूजा हार मानने वालों में से नहीं थीं. उन्होंने अपने अकेले दम पर जॉबलेसचाय वाली नामक अपने स्टार्टअप को फिर से शुरू किया.

फिर खुद के दम पर शुरू किया स्टार्ट अप

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आज लखनऊ के गोमती नगर के चौराहे की चटोरी गली से अपनी शुरुआत करने वाली पूजा का ये स्टार्टअप यहां के युवाओं में खासा प्रचलित है. ये पूजा की मेहनत ही है जिसके दम पर वो आज अपनी पहली नौकरी से ज्यादा इस स्टार्टअप से कमा रही हैं. पूजा ने न्यूज 18 से बात करते हुए बताया कि वह दोपहर 3 बजे से चाय बेचना शुरू कर देती हैं. और ये चाय का सिलसिला रात 11:30 बजे तक चलता रहता है. चाय के अलावा इनके पास मैगी भी मिल जाती है.

पूजा ने अपने इस सफर और अनुभव के बारे में बताया कि जब वह लखनऊ की एक निजी कंपनी में नौकरी करती थीं तब उन्हें सुबह से लेकर शाम तक जी सर, नो सर और यस सर करते हुए बिताना पड़ता था. लेकिन जब उन्होंने खुद का स्टार्टअप शुरू किया तो उन्हें पता चला कि इसमें पूरी आजादी है और वहां से ज्यादा कमाई भी हो रही है.