ख़ुश है ज़माना आज पहली तारीख़ है… यह गाना हर महीने की पहली तारीख़ को ‘रेडियो सीलोन’ पर सुबह-सुबह सुनाई पड़ता था.
हर महीने की पहली तारीख़ ख़ास होती है. ख़ास इसलिए कि नया महीना शुरू होता है. तनख़्वाहें मिलती हैं, ख़र्च की गुंजाइश बनती है, कुछ नई चीज़ें आती हैं, कुछ फ़रमाइशें पूरी होती हैं.
लेकिन इस बार जुलाई की पहली तारीख़ कुछ ख़ास है. कई चीज़ें बदल रही हैं, जो शायद आपकी ज़िंदगी पर और आपकी जेब पर भी असर डालेंगी. इनके बारे में ख़बर रहे और आप इनके लिए तैयार रहें तो अच्छा रहेगा.
सबसे बड़ा बदलाव तो नौकरीपेशा लोगों की ज़िंदगी में आ सकता है, यदि नया लेबर कोड लागू हो गया तो. इस बात की संभावना जताई जा रही हैं और ज़बरदस्त अटकलें भी हैं कि एक जुलाई से यह कोड लागू हो रहा है.
नया लेबर कोड
हालांकि अभी निजी क्षेत्र की तरफ़ से शंकाओं और शिकायतों का सिलसिला जारी है और कहा जा रहा है कि देश अभी इसके लिए तैयार नहीं है. लेबर कोड लागू करने का काम राज्य सरकारों को करना है. आधे से ज़्यादा राज्य इसे मंज़ूरी दे भी चुके हैं.
लेकिन अगर यह क़ानून लागू हो गया तो लोगों के हाथ में आने वाले वेतन से लेकर काम के घंटों तक में बड़ा फेरबदल हो जाएगा. ख़ासकर प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए.
- पैन और आधार कार्ड लिंक करने की आज है आख़िरी तारीख़
- आयकर रिटर्न के लिए पैन के साथ आधार ज़रूरी
कंपनियों को यह इजाज़त मिल जाएगी कि वो काम के घंटे हर रोज़ आठ या नौ से बढ़ाकर 12 तक कर सकें. हालांकि हफ़्ते में 48 घंटे से ज़्यादा काम की इजाज़त नहीं होगी यानी 12 घंटे काम करने वालों को हफ़्ते में तीन दिन छुट्टी या ऑफ़ मिलेगा.
वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.
ड्रामा क्वीन
समाप्त
यही नहीं अभी तक फ़ैक्टरी एक्ट में कामगारों से हर तिमाही में ज़्यादा से ज़्यादा 50 घंटे का ओवरटाइम करवाया जा सकता है. लेबर कोड में इसे बढ़ाकर 125 घंटे करने का प्रस्ताव है.
लेकिन सबसे बड़ा बदलाव होगा वेतन के मामले में. कोड के अनुसार, किसी भी कर्मचारी के कुल वेतन या ग्रॉस सैलरी का कम-से-कम आधा हिस्सा बेसिक वेतन के तौर पर होना ज़रूरी होगा. इसका मतलब है कि इसी हिसाब से पीएफ भी कटेगा और जमा होगा.
इसका असर यह हो सकता है कि प्राइवेट दफ़्तरों में काम करनेवाले लोगों को कटौती के बाद जो वेतन मिलता है वो और कम हो सकता है. लेकिन बदले में उनके प्रॉविडेंट फंड में ज्यादा रकम जमा होगी, जो बाद में उनके ही काम आएगी. यही नहीं, रिटायरमेंट के बाद मिलनेवाली ग्रेच्युटी की रक़म भी बढ़ जाएगी.
छुट्टियों के मामले में उन लोगों के लिए ख़ुशख़बरी है, जिन्होंने अभी नई नौकरी शुरू की है. अभी तक 240 दिन काम करने के बाद ही ‘अर्न्ड लीव’ या अर्जित अवकाश मिलते थे, लेकिन नए लेबर कोड में 180 दिन बाद ही मिलने लगेंगे.
हां, छुट्टियों की गिनती और गणित में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अब भी हर 21 दिन के काम पर एक दिन छुट्टी आपके खाते में जुड़ेगी.
टैक्स में बदलाव
लेबर कोड के अलावा कुछ बड़े बदलाव टैक्स के मोर्चे पर हैं. पैन और आधार को जोड़ने की फ़ीस 30 जून तक 500 रुपए है, लेकिन एक जुलाई से यही काम करवाने के लिए 1,000 रुपए भरने पड़ेंगे.
अगर आपने अभी तक अपने डीमैट या शेयर ट्रेडिंग एकाउंट का केवाईसी नहीं करवाया है, तो एक तारीख़ से आपकी ट्रेडिंग या नया निवेश भी बंद हो जाएगा और आपके खाते में जो शेयर हैं, वो बेचे भी नहीं जा सकेंगे. यही नियम म्यूचुअल फंड खातों पर भी लागू है.
क्रिप्टोकरेंसी से होनेवाली कमाई पर 30 प्रतिशत आयकर लेने का एलान तो बजट में हो गया था. लेकिन एक जुलाई से सरकार क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के हर सौदे पर एक प्रतिशत टीडीएस यानी स्रोत पर कर कटौती लागू कर रही है.
इसमें सौदा फ़ायदे में हो या नुक़सान में इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा. जो भी व्यक्ति क्रिप्टोकरेंसी ख़रीद रहा है, उसे भुगतान की रक़म से एक प्रतिशत काटकर उसे सरकारी ख़ज़ाने में जमा करना होगा.
जो लोग यह काम एक्सचेंज के ज़रिए करेंगे उनके मामले में तो टैक्स काटने और जमा कराने की जिम्मेदारी एक्सचेंज की होगी, लेकिन अगर आप बिना किसी बिचौलिए के यह लेनदेन कर रहे हैं, तो टैक्स काटने और जमा करवाने के लिए आपको क्या करना है, इसके नियम जारी हो चुके हैं.
इसमें यह भी साफ़ है कि अगर भुगतान नकद में नहीं हो रहा है, तो भुगतान करने से पहले टैक्स की रक़म सरकारी ख़ज़ाने में जमा हो जानी चाहिए.
- पीएम मोदी के 8 साल: नोटबंदी से लॉकडाउन तक 8 बड़े फैसले- कितने मारक कितने चूके?
- क़र्ज़ में डूबे भारत के राज्य क्या ‘मिनी श्रीलंका’ बन जाएंगे?
और क्या–क्या होंगे बदलाव?
आयकर नियमों में एक बड़ा बदलाव डॉक्टरों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों के लिए हो रहा है. इन लोगों को कंपनियों की तरफ से सेल्स प्रमोशन के तौर पर अगर साल में 20 हज़ार रुपए से ज्यादा की रक़म, उपहार या दवाओं के सैंपल वग़ैरह मिलते हैं तो उनकी क़ीमत पर 10 फ़ीसदी टीडीएस लगाना ज़रूरी होगा.
ब्याज बढ़ने के दौर में उम्मीद तो ये भी की जा रही थी कि सरकार पीपीएफ और लघु बचत योजनाओं पर ब्याज बढ़ाने का एलान कर सकती है. लेकिन वहां निराश करनेवाला एलान आ चुका है. लगातार नवीं तिमाही में सरकार ने इन पर ब्याज में फेरबदल नहीं करने का फ़ैसला किया है.
एक जुलाई की सुबह गैस सिलिंडरों के दाम बढ़ने की ख़बर लेकर भी आ सकती है. क्योंकि यह दाम बढ़ने या घटने का एलान भी पहली तारीख़ को ही होता है.