Jupiter Significance: गुरु का ज्योतिष में महत्व, जानें गुरु ग्रह की खूबियां

Jupiter Astrological significance: गुरु को बृहस्‍पति और देवगुरु के नाम से भी जाना जाता है। इसे अन्‍य सभी ग्रहों में सबसे शुभ माना गया है। ज्‍योतिष में इन्‍हें धनु और मीन राशि का स्‍वामी माना जाता है। कर्क राशि में ये उच्‍च भाव में रहते हैं और मकर में नीच के माने जाते हैं। सूर्य, चंद्रमा और मंगल ग्रह बृहस्‍पति के मित्र ग्रह माने जाते हैं तो वहीं बुध शत्रु कहलाते हैं।

Jupiter Astrological significance
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ज्‍योतिष में गुरु की स्थिति

गुरु को ज्‍योतिष में एक शुभ ग्रह माना गया है जो कि जातकों को करियर और धन संबंधी मामलों में लाभ प्रदान करते हैं। कुंडली में गुरु के अनुकूल होने पर माना जाता है कि जातक अपने जीवन में खूब नाम कमाएगा और उसे तरक्‍की के साथ शुभ फल और आनंद की प्राप्ति होगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुरु ग्रह की खूबियों के बारे में और आपके जीवन पर ये क्‍या प्रभाव डालता है।


गुरु प्रथम भाव में हो

अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु प्रथम भाव में हो तो ऐसे लोग काफी विद्वान होते हैं और ये पेशे से ज्‍योतिषी, तेजस्‍वी, स्‍वाभिमानी, सुखी और सुंदर व धर्मात्‍मा होते हैं।

गुरु द्वितीय भाव में हो

किसी जातक की कुंडली में गुरु यदि दूसरे भाव में हो तो ऐसे लोग मधुरभाषी होते हैं। ऐसे लोग स्‍वभाव से बहुत ही सदाचारी, शांत और पुण्‍यात्‍मा होते हैं। ऐसे लोग अक्‍सर व्‍यवसाय को अपना पेशा चुनते हैं।

गुरु तृतीय भाव में हो

कुंडली में गुरु यदि तृतीय भाव में हो तो ऐसे जातक लेखक बनते हैं। ऐसे जातकों की रुचि विपरीत लिंग से संबंध बनाने में काफी होती है। ऐसे लोगों की अपने बहन और भाइयों से काफी पटरी खाती है। ऐसे लोग विदेश गमन भी करते हैं।

गुरु चतुर्थ भाव में हो

कुंडली के चौथे भाव में गुरु के होने पर जातक काफी शौकीन टाइप के होते हैं। ऐसे लोगों को आराम तलबी काफी पसंद होती है और इसके साथ ही ये सदैव उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त करने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

गुरु पांचवें भाव में हो
अगर किसी की कुंडली में गुरु पांचवें भाव में हो तो ऐसे लोग नीति में ज्ञान प्राप्‍त करने वाले और स्‍वभाव से काफी लोकप्रिय होते हैं। इनका अपने परिवार में सबसे ऊंचा स्‍थान होता है। ये ज्‍योतिष भी बनते हैं।
गुरु छठें भाव में हो

अगर आपकी कुंडली में जातक छठें भाव में गुरु हो तो ऐसे लोग रोग से घिरे रहते हैं। ऐसे लोग मुकदमे में जीत हासिल करते हैं और सदैव सफलता प्राप्‍त करते हैं व अपने शत्रुओं को भी पटखनी देने की क्षमता रखते हैं।

गुरु सातवें भाव में हो

अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु सातवें भाव में होते हैं तो उनकी बुद्धि श्रेष्‍ठ होती है और ऐसे लोग भाग्‍यवान, नम्र और धैर्यवान होते हैं। ऐसे जातकों को धार्मिक कार्यों में काफी रुचि रहती है। इसके साथ ही ऐसे जातक सभी से मिलने-जुलने वाले होते हैं।

गुरु आठवें भाव में हो

जिनकी कुंडली के आठवें भाव में गुरु होते हैं ऐसे जातक दीर्घायु होते हैं और इनका मन अधिक समय तक पिता के घर में नहीं लगता और ये अपने जीवन में अपने दम पर कुछ हासिल करना चाहते हैं। ऐसे जातक सभी प्रकार के सांसारिक सुखों को प्राप्‍त करते हैं। इनके भाग्‍य में भी वृद्धि होती है।

गुरु नवें भाव में हो

जिन लोगों की कुंडली में गुरु नवें भाव में होते हैं ऐसे जातक सुंदर से मकान का निर्माण करवाते हैं और भाई-बहनों से विशेष स्‍नेह रखते हैं। इस भाव में गुरु के होने पर जातक काफी प्रसिद्धि को प्राप्त करते हैं और इनका जन्‍म एक अमीर परिवार में होता है।

गुरु 10वें भाव में हो

जिन लोगों की कुंडली में गुरु 10वें भाव में होता है ऐसे जातकों की प्रॉपर्टी में काफी रुचि रहती है। ऐसे लोग अपना घर बनवाने में सफल होते हैं। इन लोगों की पेंटिंग में काफी रुचि होती है। इस भाव में गुरु के होने पर जातक सदैव खुश रहना पसंद करते हैं। आर्थिक रूप से भी ऐसे जातक समृद्ध रहते हैं।

गुरु 11वें भाव में हो

जिन लोगों की कुंडली के 11वें भाव में गुरु होता है ऐसे लोग व्‍यापार में काफी दक्षता लिए होते हैं। ऐसे लोगों को बिजनस में काफी सफलता प्राप्‍त होती है। इस घर में बृहस्पति अपने शत्रु ग्रहों बुध, शुक्र और राहु से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। नतीजतन, जातक की पत्नी दुखी रहती है।

गुरु 12वें भाव में हो

जिन लोगों की कुंडली में गुरु 12वें भाव में होते हैं ऐसे लोग स्‍वभाव से आलसी, कम खर्च करने और कई बार तो दुष्‍ट प्रकृति के भी होते हैं। ऐसे जातक स्‍वभाव से काफी लोभी और लालची भी होते हैं। इस प्रकार के लोग धर्म कर्म में काफी यकीन करते हैं।