Fake Cashew Nuts In Market: ड्राई फ्रूट्स में गिना जाने वाला काजू भी क्या नकली हो सकता है? सुनने में जरूर अटपटा लगे लेकिन यह सच है। ताजा मामला गोवा का है जहां उत्तर की ओर समुद्र तटीय इलाकों में घटिया काजू की अवैध तरीके से बिक्री की जा रही है।
नई दिल्ली: भारत में फेस्टिव सीजन की शुरुआत हो गई है। बाजारों में चहल-पहल और रौनक है। हो भी क्यों ना आखिर कोरोना के चलते दो सालों तक गायब रही यही रौनक वापस जो लौट आई है। आने वाले हफ्ते में दिवाली है तो वहीं उसके बाद शादियों का दौर भी शुरू हो जाएगा। दिवाली में गिफ्ट्स के रूप में लोग तरह-तरह की चीजे देते हैं। इसमें मिठाई से लेकर ड्राई फ्रूट्स तक शामिल होते हैं। वहीं शादियों में भी लड़का-लड़की वालों की तरफ से खाने की चीजें शामिल होती हैं। इनमें ड्राई फ्रूट्स तो प्रमुखता से होते हैं। आप अपने घर में भी रोजाना इन ड्राई फ्रूट्स का सेवन करते हैं। अगर हम आपसे कहें कि ड्राई फ्रूट्स में शामिल काजू नकली हो सकता है तो आप क्या सोचेंगे। पहली बार में शायद विश्वास न करें कि काजू में भी मिलावट हो सकती है मगर क्या कहेंगे जनाब जब मिलावट का जमाना है। दूध से से लेकर दही, पनीर, खोवे में तक में मिलावट है तो ऐसे में काजू कैसे अछूता रह सकता है। खबर मिली है कि उत्तरी गोवा के समुद्रीय तटीय इलाकों में घटिया काजू की अवैध तरीके से बिक्री की जा रही है। इन काजू को खाने से सेहत बिगड़ने का खतरा है। गोवा जाकर स्वादिष्ट काजू के मजे लेने वाले लोगों के लिए तो और जरूरी खबर है।
कैसे चल रहा नकली काजू का यह खेल
गोवा में काजू बनाने वाली प्रमुख संस्था गोवा काजू मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने उत्तरी गोवा के समुद्र तटीय इलाकों में नकली काजू की बिक्री के खिलाफ आवाज उठाई है। GCMA ने राज्य में, खासकर उत्तरी गोवा के समुद्र तटीय इलाकों में घटिया काजू की अवैध तरीके से की जा रही बिक्री पर कार्रवाई की मांग की है। बताया गया है कि इन काजू को खाने से तबीयत बिगड़ सकती है। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, GCMA के अध्यक्ष रोहित जन्त्ये ने कहा कि कुछ दुकानदार पैकेट पर FSSAI नंबर, पैकिंग एड्रेस, सामाग्री, शुद्ध वजन, एमआरपी और पैकिंग की तारीख लिखने जैसे खाद्य सुरक्षा अधिनियम के किसी भी निर्देश का पालन नहीं करते। पैकेट का वजन भी लिखे वजन से कम होता है
कैसे करें असली और नकली काजू में पहचान
अब इन सबके बाद यह जनाना बेहद जरूरी हो जाता है कि अगर काजू में भी मिलावट है या काजू घटिया हैं तो उनकी पहचान कैसे हो। हम आपको बताते हैं। काजू का वास्तविक रंग सफेद ही होता है। अगर खरीदते समय आपको लगे कि इसका रंग सफेद की जगह हल्का पीला है तो उसे बिल्कुल न खरीदें। इस बीच काजू में घुन या सुंडी दिखे तो बिल्कुल न खरीदें। काजू के क्वालिटी की पहचान उसका मोटा और एक इंच लंबा होना है। काजू अगर अच्छी क्वालिटी का है तो उसे सूंघने पर भीनी खुशबू आती है। अगर आपको लगे कि काजू में तेल सी महक है तो उसे बिल्कुल न खरीदें। अच्छा काजू दांतों में चिपकता नहीं है मगर नकली वाला दांतो में चिपकता है। इससे आप आसानी से नकली और असली काजू में फर्क कर पाएंगे।
सबसे ज्यादा काजू पाया कहां जाता है (Where is most cashew grown in India?)
भारत की ही बात करें तो हमारा देश दुनिया में 23 प्रतिशत से अधिक काजू का उत्पादन करता है। राज्यों की बात करें तो केरल में सबसे ज्यादा काज का उत्पादन होता है वहीं महाराष्ट्र दूसरे, आंध्र प्रदेश तीसरे नंबर पर है। ओडीशा, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी इसकी खेती पहले से होती रही है। हालांकि 2020- 21 में यह पाया गया कि महाराष्ट्र में काजू का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। पहले भारत काजू उत्पादन के नाम पर दूसरे स्थान पर था लेकिन बाद में भारत खपत और उत्पादन दोनों में नंबर 1 हो गया है।
काजू के फायदे पता हैं? (Benefits of Cashew Nuts)
काजू खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। असल में काजू में कैल्शियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। यह आपकी हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद है। अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं तो आपके लिए काजू फायदेमंद हो सकता है। काजू शरीर में ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल कर करकर रखता है। अगर आपको अपना पाचन सही रखना है तो आपको सीमित मात्रा में काजू जरूर खाना चाहिए। काजू में मौजूद फाइबर गैस और कब्ज की समस्या को दूर करता है। काजू वजन घटाने में भी सहायक है। 3-4 काजू रोजाना खाते हैं तो आपका वजन भी कंट्रोल में रहता है। त्वचा पर आ रहीं झुर्रियों को भी हटाने में काजू सहायक है। काजू में विटामिन ई और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इससे आपकी स्किन और बाल हेल्दी रहते हैं।