हैदराबाद की दृष्टिबाधित ज्योति हर एक उस दिव्यांग के लिए मिसाल हैं, जो अपनी किस्मत का रोना रोते रहते हैं. महज़ 25 साल की उम्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में अंग्रेज़ी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (EFLU), हैदराबाद से डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की और सबसे कम उम्र में पीएचडी पूरी करने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया.
आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले के कैकलुर गांव में जन्मीं ज्योति के लिए यहां तक का सफ़र आसान नहीं था. वह कई सारी चुनौतियों के साथ पली-बढ़ी. बचपन से ही दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई का रास्ता चुना. उनकी शुरुआती पढ़ाई आंध्र ब्लाइंड मॉडल हाई स्कूल, नरसापुर से हुई, जहां से उन्होंने दसवीं की पढ़ाई किया.
इसके बाद वह इतिहास, अर्थशास्त्र और नागरिक शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी, मगर कैकलूर गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज की प्रिंसिपल ने उन्हें अपने कॉलेज में प्रवेश देने से मना कर दिया. ऐसे में ज्योति की सामने बड़ी चुनौती थी कि वह क्या करें.
उनके सामने दो रास्ते थे. पहला कि वह पढ़ाई छोड़कर एक आम दृष्टिबाधित की तरह जीवन बिताए. दूसरा यह कि वह लोगों के लिए एक मिसाल बनें. पहला रास्ता आसान था. मगर उन्होंने दूसरा रास्ता चुना. परिणाम स्वरूप ढ़ेर सारी शैक्षणिक उपलब्धियां उन्हें मिलीं. 25 साल की उम्र में अंग्रेज़ी साहित्य में उनका पीएचडी पूरा करना इसका ताज़ा उदाहरण है.
आज ज्योति हर उस इंसान के लिए एक उदाहरण हैं, जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के कारण आगे बढ़ने से कतराते हैं. ज्योंकि उन लोगों के लिए भी एक बड़ा जवाब हैं, जो उन जैसे लोगों की बुद्धिमत्ता और उनकी क्षमताओं पर संदेह करते हैं.