Kader Khan Birth Anniversary: अगर कादर ख़ान नहीं होते, तो बॉलीवुड की ये 9 फ़िल्में कभी बनती ही नहीं

कादर ख़ान का नाम भारतीय सिनेमा में जिस अदब से लिया जाता है, उसके तीन बड़े कारण हैं. पहला उनकी एक्टिंग, दूसरा उनके लिखे ज़बरदस्त डायलॉग और तीसरा उनकी असरदार स्क्रिप्ट. कादर खान न सिर्फ सफलता की बुलंदी पर पहुंचे, बल्कि उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में कई लोगों का करियर भी बनाया.

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कादर ख़ान का योगदान भारतीय सिनेमा में कितना बड़ा है, ये साबित करने के लिए हम कुछ फ़िल्मों के नाम गिना रहे हैं. जो शायद कभी नहीं बनती, अगर कादर साहब नहीं होते.

1. सिक्का

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ये वो पहली फ़िल्म थी, जिसके लिए कदर खान को Best Comedian का Filmfare नॉमिनेशन मिला था. धर्मेंद्र, जैकी श्रॉफ़ जैसे बड़े नाम होने के बावजूद कादर खान की Performance की चर्चा हर तरफ़ हुई थी.

2. मेरी आवाज़ सुनो

इस फ़िल्म के लिए कादर ख़ान को बेस्ट डायलॉग का Filmfare अवॉर्ड मिला था.

3. बाप नम्बरी, बेटा दस नंबरी

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इस फ़िल्म तक आते-आते कदर ख़ान की फ़ैन फॉलोविंग काफ़ी बढ़ चुकी थी. ये फ़िल्म याद की जाती है उनके और शक्ति कपूर की आइकॉनिक जोड़ी के लिए. ये कम ही लोग जानते होंगे कि ये फ़िल्म 90 के दशक में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़िल्मों में से एक थी. इसके लिए भी कदर खान को बेस्ट कॉमेडियन का Filmfare अवॉर्ड मिला था.

4. जुड़वा

इस फ़िल्म में कदर खान ने करिश्मा कपूर के पिता का रोल प्ले किया था. उनका ये Character भी काफ़ी पसंद किया गया था. इस फ़िल्म में सलमान खान और रम्भा की एक जोड़ी थी और एक जोड़ी सलमान-करिश्मा

5. मुझसे शादी करोगी

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इस फ़िल्म के दुग्गल साहब को कौन भूल सकता है. थोड़े से स्पेस में कादर ख़ान ने अपने टैलेंट का कमाल दिखा दिया.

6. अग्निपथ

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अमिताभ बच्चन को इस फ़िल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था. इसका बहुत बड़ा श्रेय कादर ख़ान साहब को जाता है. उन्होंने ही इस फ़िल्म के डायलॉग और इसकी स्क्रिप्ट लिखे थे. फ़िल्म में हरिवंशराय बच्चन की कविता को शामिल करने का आईडिया भी उन्हीं का था.

7. आंखें

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ये फ़िल्म अपने टाइम की सबसे बड़ी हिट फ़िल्मों में से एक थी. फ़िल्म में कदर ख़ान के किरदार को ख़ासा-पसंद किया गया था. वो ऐसे दो बेटों के पिता बने थे, जो नालायक थे. इनको रास्ते पर लाने के लिए एक पिता की जद्दोजहद की कहानी है आंखें.

8. ख़ून पसीना

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इस फ़िल्म में उनके किरदार ‘ज़ालिम सिंह’ को हिंदी फ़िल्मों के सबसे Iconic किरदारों में से एक माना जाता है. इस फ़िल्म के बाद उनके पास नेगेटिव रोल्स की झड़ी लग गई थी. हालांकि इस फ़िल्म के बाद उन्होंने सभी बड़े ‘Villian’ वाले रोल ठुकरा दिए. वैसे ये उनका पहला बड़ा रोल भी था.

9.  रोटी

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कादर ख़ान ने भले ही जवानी दीवानी से डायलॉग लिखने का काम शुरू कर दिया था, लेकिन मनमोहन देसाई की फ़िल्म ‘रोटी’ ने उन्हें डायलॉग राइटर के तौर पर पहचान दिलाई. इन फ़ैक्ट इस फ़िल्म के बाद कादर ख़ान-मनमोहन देसाई की जोड़ी ने बॉलीवुड को कई क्लासिक फ़िल्में दी.