Kamran Akmal Retire: ये पाकिस्तान में ही हो सकता है… सिलेक्टर बनने के बाद खिलाड़ी ने लिया संन्यास

पाकिस्तान नेशनल टीम के चयनकर्ता बनने के बाद कामरान अकमल ने सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है। हालांकि, रोचक बात यह है कि 2017 में आखिरी बार इंटरनेशनल मैच खेलने वाले कामरान अभी भी संन्यास नहीं लेना चाहते थे।

कराची: यूं नहीं कहा जाता है कि पाकिस्तान में कुछ भी हो सकता है। अब पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज कामरान अकमल को ही ले लीजिए। उन्होंने पाकिस्तान टीम का सिलेक्टर बनने के बाद क्रिकेट को अलविदा कहा। पाकिस्तान की विश्व विजेता टीम के खिलाड़ी रहे कामरान अकमल ने कहा- तुरंत प्रभाव से संन्यास ले रहा हूं। सिलेक्टर बनने या कोचिंग में आने के बाद खेल पर ध्यान नहीं दिया जा सकता है।

उनके बयान से ऐसा लगा है कि वह अब भी क्रिकेट खेलना चाहते थे, जबकि लंबे समय से इंटरनेशनल क्रिकेट टीम से बाहर थे और यही नहीं, पाकिस्तान सुपर लीग की टीम पेशावर ने भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था। यानी क्रिकेट खेलना तो चाहते थे, लेकिन कोई अपनी टीम में शामिल नहीं कर रहा था। हालांकि, बाद में पेशावर ने उन्हें कोचिंग स्टाफ में शामिल किया। अब वह पाकिस्तान टीम के सिलेक्टर बन गए हैं, जो बाबर आजम सहित खिलाड़ियों को चुनेंगे।

क्रिकेट करियर की बात करें तो कामरान अकमल ने 53 टेस्ट खेले और इस दौरान 30.79 की औसत से 2648 रन बनाए, जबकि उनका स्ट्राइकरेट 63.10 का रहा। उनके नाम 6 शतक और 12 अर्धशतक दर्ज हैं। उोंने वनडे करियर में 157 मैचों में 26.09 की औसत से 3236 रन बनाए, जिसमें 5 शतक और 10 अर्धशतक शामिल हैं। टी-20 इंटरनेशनल की बात करें तो कामरान ने 58 मैचों में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया, जबकि 21 की औसत से 987 रन बनाए।

कामरान ने आखिरी मुकाबला कश्मीर प्रीमियर लीग में Bagh Stallions के लिए खेला था। Overseas Warriors के खिलाफ वह खाता नहीं खोल पाए थे। कामरान के सिलेक्शन कमिटी में आने से उनके भाई उमर अकमल के नेशनल टीम में आने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। इसके बीच औसत खिलाड़ी के सिलेकटर बनने से यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या वह अपने से अधिक मैच खेलने वाले कप्तान बाबर आजम पर दबाव बना पाएंगे।

Aaron Finch Retirement: आरोन फिंच के करियर की तीन सबसे यादगार पारियां, टीम इंडिया के भी उड़ा दिए थे होश
  • 156-2013

    36 वर्षीय आरोन फिंच ने साल 2013 में अपने चिर प्रतिद्वंदी इंग्लैंड के खिलाफ भी अपने नाम का डंका बजाया था। वह पहली बार था जब फिंच ने अपनी क्षमता से सबको परिचित करवाया था। फिंच ने उस पारी में तूफानी अंदाज़ से बल्लेबाज़ी करते हुए 156 रन बनाए थे।

    जिसमें उनके बल्ले से 14 गगनचुंबी छक्के देखने को मिले थे। उनहोंने इंग्लिश गेंदबाज़ों की जमकर धुनाई की थी। उनकी इस ज़बरदस्त पारी के बदौलत ऑस्ट्रेलिया पहले बल्लेबाज़ी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में 248 रन बोर्ड पर लगाने में सक्षम रही। वह इस विशाल लक्ष्य के चलते 39 रनों से मुकाबला जीत गई।

  • 172-2018

    आरोन फिंच अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते हैं। उनका तूफानी अंदाज़ ही उन्हें अन्य सलामी बल्लेबाज़ों से अलग बनाता है। वहीं फिंच को सबसे ज़्यादा सफलता अगर किसी प्रारूप में मिली है तो वह है T20 क्रिकेट। उन्होंने इस फॉर्मेट में रनों का अंबार लगाया है. इतना ही नहीं बल्कि उनके नाम 2 अंतरराष्ट्रीय T20 शतक भी हैं।

    जब-जब फिंच के करियर की सबसे बेहतरीन पारी की बात की जाएगी तब-तब ज़िम्बाब्वे के गेंदबाज़ों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। साल 2018 और ज़िम्बाब्वे के लोकप्रिय मैदान हेरारे क्रिकेट स्टेडियम में फिंच नाम का तूफ़ान आया था। जो अपनी विस्फोटक बल्लेबाज़ी के चलते ज़िम्बाब्वे टीम पर कहर बनकर टूटा था। आरोन ने T20 में 172 रन की अविश्वसनीय पारी खेल कोहराम मचा दिया था। वह बस यूनिवर्स बोस क्रिस गेल के कीर्तिमान से 3 रनों से चूक गए थे। बता दें कि गेल के नाम T20 के इतिहास में सबसे ज़्यादा 175 रन बनाने का रिकॉर्ड है।

  • 74-2016

    भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच साल 2016 में 3 मैचों की रोमांचक T20I श्रृंखला खेली गई थी. जिसमें फिंच अपनी हैमस्ट्रिंग की चोट से रिकवर करते हुए 15 से भी अधिक महीने के बाद क्रिकेट के मैदान में वापसी करते हुए नज़र आए थे.

    जिसमें उन्होंने पहले मुकाबले में 44 रनों की अच्छी पारी खेली थी. जिसको वह बड़ी पारी में तब्दील करने में नाकाम रहे थे. लेकिन उसके बाद फिंच ने दूसरे T20 में दमखम दिखाया था. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए 185 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 74 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली थी. उन्होंने महज़ 27 गेंदों में ही अपना अर्धशतक पूरा कर लिया था. ग़ौरतलब है कि वह 74 के स्कोर पर रन आउट हो गए. जिसके चलते कंगारू वह मुकाबला 27 रन से हार गई.

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  • 156-2013

    36 वर्षीय आरोन फिंच ने साल 2013 में अपने चिर प्रतिद्वंदी इंग्लैंड के खिलाफ भी अपने नाम का डंका बजाया था। वह पहली बार था जब फिंच ने अपनी क्षमता से सबको परिचित करवाया था। फिंच ने उस पारी में तूफानी अंदाज़ से बल्लेबाज़ी करते हुए 156 रन बनाए थे।

    जिसमें उनके बल्ले से 14 गगनचुंबी छक्के देखने को मिले थे। उनहोंने इंग्लिश गेंदबाज़ों की जमकर धुनाई की थी। उनकी इस ज़बरदस्त पारी के बदौलत ऑस्ट्रेलिया पहले बल्लेबाज़ी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में 248 रन बोर्ड पर लगाने में सक्षम रही। वह इस विशाल लक्ष्य के चलते 39 रनों से मुकाबला जीत गई।