शिमला, 28 सितंबर : कांगड़ा जिले की नूरपुर विधानसभा हमेशा से हॉटसीट मानी जाती है। इस बार यहां प्रदेश के वन एवं युवा सेवा व खेल मंत्री राकेश पठानिया दो तरफा चक्रव्यूह में फसे हुए है। दबंग माने जाने वाले मंत्री पर अपनी ही पार्टी के लोग भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे है। भाजपा के अन्य नेता यहां से टिकट की दावेदारी जता रहे है। अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता तो वह निर्दलीय मैदान में उतरेंगे।
वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व दिग्गज नेता स्वर्गीय सत महाजन के पुत्र अजय महाजन उन्हें चुनौती पेश कर रहे हैं, वहीं भाजपा के टिकट के तलबगार रणबीर निक्का उनके सामने राजनीतिक अवरोध पैदा कर रहे है। काबिले जिक्र है कि राकेश पठानिया 1998 से यहां कांग्रेस के लिए चुनौती पेश करते आए हैं। इससे पहले यहां कांग्रेस के स्वर्गीय नेता सत महाजन का दबदबा रहा है। कांग्रेस की हर सरकार में सत महाजन मंत्री रहे हैं। 1977 की कांग्रेस विरोधी लहर में महाजन पहली बार विधायक चुने गए। उसके बाद उन्होंने पीछे मूड कर नहीं देखा। वह 1982, 1985, 1993 व 2003 में जीतकर विधानसभा पहुंचे।
केवल दो दफा यहां जनता दल की केवल सिंह व उप चुनाव में रणजीत सिंह बक्शी विधायक बन पाए। बक्शी को 1996 में उपचुनाव में यह मौका मिला। उसके बाद पहली दफा 1998 में भाजपा के युवा नेता राकेश पठानिया को नूरपुर से चुनावी मैदान में उतारा व जीत का स्वाद चखा। 2003 में उन्हें सत महाजन ने फिर परास्त कर दिया। 2007 में राकेश पठानिया फिर विधायक बने 2012 में कांग्रेस के उम्मीदवार अजय महाजन से वह हार गए। 2017 में फिर पठानिया जीतने में सफल हुए।
कयास लगाए जा रहे थे कि इस दफा उन्हें हर हाल में उन्हें मंत्री पद मिलेगा मगर जयराम ठाकुर की पहली कैबिनेट की सूची में उनका नाम नदारद रहा। इससे उनके समर्थकों में काफी आक्रोश भी दिखा। कैबिनेट के दूसरे विस्तार में पठानिया को मंत्री पद मिला। इस दौरान उनके पार्टी में ही विरोधी रहे। रणबीर निक्का व उनके समर्थकों ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए। यदि निक्का निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे तो पठानिया की डगर मुश्किल होगी इसमें कोई शक नहीं है।