शिमला, 01 अक्तूबर : समय बड़ा बलवान है। किसी समय कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा की कांगड़ा की राजनीति में तूती बोलती थी। पूर्व मंत्री स्वर्गीय बाली के साथ श्रेष्ठता की जंग में भी सुधीर शर्मा उनसे आगे दिखते रहे। क्योंकि उन्हें स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का आशीर्वाद मिलता रहा। राजनीति में कहावत है कि कई दफा ऊंट पर बैठे आदमी को भी कुत्ता काट लेता है। आदमी कई बार गलत निर्णय के कारण मुश्किल में आ जाता है।
सुधीर शर्मा ने भी 2019 के विस उपचुनाव में एक ऐसा निर्णय लिया जो उनके लिए जी का जंजाल बन गया। उस दौरान चुनाव लड़ने से इंकार करने के कारण आज उनके राजनीतिक विरोधी उनकी राह में रोड़े अटका रहे है। अभी तक धर्मशाला से उनका टिकट कांग्रेस पार्टी ने होल्ड पर रखा है। कांगड़ा जिला में औरो के टिकट की पैरवी करने वाले सुधीर स्वयं की टिकट के लिए दिल्ली में जदोजहद कर रहे है। राजनीतिक सूत्रों से पता चला है कि वह टिकट के लिए सोनिया गांधी को भी मिलने गए। उनके भाजपा में शामिल होने की अफवाएं भी आए दिन मीडिया की चर्चा में बनी रहती है। धर्मशाला में सुधीर शर्मा को काफी मजबूत माना जाता है। वर्ष 2012 में बैजनाथ विधानसभा के रिजर्व होने के कारण सुधीर शर्मा को धर्मशाला का रुख करना पड़ा। यहां आकर उन्होंने धमाकेदार जीत भी दर्ज की। उन्हें शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग की कमान मिली। वर्ष 2017 में वह किशन कपूर से चुनाव हार गए।
2019 में किशन कपूर के सांसद बनने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ। सुधीर शर्मा ने ऐन वक्त पर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। वहां से पार्टी उम्मीदवार विजय इंद्र करण को हार मिली। अब इसका खामियाजा शर्मा भुगत रहे है। उनके राजनीतिक विरोधी इस बात को बार बार उठा रहे है। वहीं भाजपा में उनके विरोधी उनको पार्टी में शामिल करने के खिलाफ जुटे हुए है। इस वक्त सुधीर भारी परेशानी के दौर से गुजर रहे है। भाजपा में विशाल नेहरिया के अलावा कई उम्मीदवार पहले ही टिकट की दौड़ में है। देखना है कि सुधीर अपना टिकट कांग्रेस में मैनेज कर पाते है या अन्य नेताओं की तरह बिना शर्त भाजपा में शामिल हो सकते है।