2 अप्रैल को करौली, 2 मई को जोधपुर और 28 जून को उदयपुर में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की गूंज पूरे भारत में सुनाई दी.
ज़ाहिर है, अपने मध्यकालीन इतिहास और संस्कृति के अलावा शांति के लिए जाना गया राजस्थान अब लगातार बड़ी घटनाओं के लिए एकाएक चर्चा और सोशल मीडिया ट्रेंड में आ जाता है.
लेकिन लगातार तीन महीनों में इन तीन बड़ी घटनाओं के बावजूद राजस्थान प्रशासन का रवैया अब भी उतना सख़्त नज़र नहीं आ रहा जितना इन हालातों में होना चाहिए.सवाल उठ रहे हैं कि सख़्ती सिर्फ़ कागज़ों और सरकारी निर्देशों में ही क्यों की जा रही है?
क्या राज्य की सुरक्षा से ज़्यादा ज़रूरी भी कोई कार्यक्रम या आयोजन हो सकते हैं जहां हज़ारों की संख्या में भीड़ एकजुट होने दी जाए?