अपनों को खोने का दर्द क्या होता है ये सिर्फ़ वो ही समझ सकते हैं जिन्होंने किसी अपने को खोया हो. कोविड पैंडमिक (Covid Deaths in India) में देश और दुनिया के कई लोगों ने अपनों को खोया. मौत की सच्चाई को स्वीकारना आसान नहीं होता है, जाने वाले तो चले जाते हैं लेकिन जो पीछे रह जाते हैं उन्हें इस सच को मानने में बहुत समय लगता है. कानपुर, उत्तर प्रदेश (Kanpur, Uttar Pradesh) के एक परिवार के साथ ही हुआ. इस परिवार के एक सदस्य की 2021 में ही कोविड से मौत हो गई थी, परिवार इस सच को स्वीकार नहीं कर पाया और लगभग 18 महीने से शव के साथ ही रह रहा था.
Dainik Bhaskar
आयकर अधिकारी विमलेश सोनकर का परिवार तकरीबन 1.5 साल से उसके मृत शरीर के साथ रह रहा था. बीते शुक्रवार को 35 वर्षीय विमलेश के शरीर को अधिकारियों ने रिकवर किया. The Times of India की रिपोर्ट के अनुसार महीनों पहले विमलेश की 22 अप्रैल, 2021 को मौत कोविड से हो गई थी. अस्पताल ने डेथ सर्टिफ़िकेट भी दे दिया था. इसके बावजूद परिवार ने उसके शरीर को अपने साथ ही रखा था इस उम्मीद में एक दिन विमलेश उठ खड़ा होगा.
गुजरात IT में काम करता था, पत्नी बैंक कर्मचारी
TOI
पुलिस ने बताया कि विमलेश अहमदाबाद, गुजरात के आयकर विभाग में काम करता था. कानपुर के रावतपुर पुलिस स्टेशन के दायरे में आने वाले इनकम टैक्स चौराहा, कृष्णापुरी में ये परिवार रहता था. विमलेश की पत्नी, मिताली एक कोपरेटिव बैंक में काम करती थी.
दो अस्पतालों में हुई थी मौत की पुष्टि?
TOI
बिरहना रोड स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में विमलेश को ले जाया गया जहां उसकी मृत्यु की पुष्टि की गई और डेथ सर्टिफ़िकेट दिया गया. इसके बाद परिवार उसे दूसरे अस्पताल में ले गए, वहां भी डॉक्टर्स ने उसे मृत बताया. इसके बाद परिवार विमलेश की बॉडी को घर ले आया. परिवार को ये यकिन था कि एक दिन विमलेश उठ खड़ा होगा और परिजन उसके शरीर पर रोज़ गंगाजल छिड़कते थे.
जब भी आस-पड़ोस के लोग विमलेश के बारे में पूछते तब उन्हें बताया जाता कि विमलेश कोमा में हैं और उसका इलाज चल रहा है.
मांस सूख गया था, तख्त पर पाया गया शव
Amar Ujala
विमलेश 1.5 साल से नौकरी से छुट्टी पर था और उसके विभाग ने कानपुर के अधिकारियों से संपर्क किया. कानपुर अधिकारी जब विमलेश के घर पुहंचे जब बीते शुक्रवार को विमलेश के घर पहुंचे तब पूरा मामला सामने आया. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और पुलिस जब विमलेश के घर पहुंचे तब परिवार ने बॉडी देने से मना कर दिया. किसी तरह उन्हें समझा-बुझाकर बॉडी को पोस्टमोर्टम के लिए लाला लाजपत राय अस्पताल भेजा गया. अधिकारियों ने बताया कि शरीर का मांस सूख कर हड्डियों पर चिपक गया था. बॉडी एक तख्त पर रखी हुई थी.
चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर, आलोक रंजन ने कहा, ‘मृतक गुजरात के IT विभाग में काम करता था. लंबे समय से छुट्टी पर था. विभाग जब भी परिवार से पूछता तो परिवार के सदस्य कहते कि वो बीमार है. विभाग की तरफ़ से कानपुर डीएम के पास चिट्ठी आई और जांच की गई. पोस्टमोर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मृत्यु का समय पता चलेगा.’
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, विमलेश के पित राम अवतार ने कहा कि धड़कन चल रही थी इसलिए रखा था. विमलेश के भाई दिनेश ने कहा, ‘हमने शरीर पर कोई लेप नहीं लगाया. जब मरे थे हम लोग शवयात्रा की तैयारी कर रहे थे, तभी धड़कन चलने लगी तो हमने अंतिम संस्कार रो दिया. शरीर से बदबू नहीं आ रही थी.’