कानपुर. नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव का कानपुर से गहरा नाता रहा और यहां उनके कई किस्से हमेशा याद किए जाते हैं. वह जब भी वह कानपुर आते या फिर कानपुर हाईवे से गुज़रते तो वह भौती के दीपू चौहान के ढाबे में ज़रूर रुकते थे. इस ढाबे का शुभारंभ भी यादव ने ही किया था. असल में सोमवार को यादव के निधन के बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर दिख रही है और इसी बीच सभी उनसे जुड़े संस्मरण याद कर रहे हैं. कानपुर से खास रिश्ते की यह रोचक कहानी देखिए.
ढाबे के मालिक दीपू चौहान ने बताया कि मुलायम सिंह यादव का उनसे खास लगाव रहा. वह उन्हें अपने दत्तक पुत्र के तरह मानते थे. 18 साल की उम्र में इस ढाबे की शुरूआत करने वाले चैहान के मुताबिक 29 जनवरी 1992 को पहली बार उनकी मुलाकात यादव से हुई थी. उसके बाद लगाव इतना खास हो गया कि वह जब भी कानपुर आते, तो इसी ढाबे में आकर रुकते थे. यहीं भोजन करते थे और अपने कार्यकर्ताओं से भी यहीं मिलते थे. उन्होंने बताया कि जब भी वह इटावा या लखनऊ से इस रूट से निकलते तो तो ढाबे पर पहले ही सूचना आ जाती थी. चैहान ही शहर के कार्यकर्ताओं व जनप्रतिनिधियों को सूचना देते थे और ढाबे पर ही सब नेताजी से मुलाकात करने पहुंचते थे.
अखिलेश की शादी का कार्ड देने खुद आए थे यादव
चौहान से मुलायम सिंह यादव का रिश्ता बेहद पारिवारिक था. इसका उदाहरण चौहान ने बताया कि अखिलेश यादव की शादी का कार्ड देने नेताजी खुद चौहान के यहां आए थे और खुद शादी का कार्ड देकर आमंत्रित किया था. परिवार से नज़दीकी रिश्ता रखने वाले चौहान 2 दिन पहले यादव की सेहत जानने मेदांता अस्पताल भी गए थे. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात भी हुई थी और उन्होंने नेताजी के स्वास्थ्य की जानकारी भी दी थी.
अमरूद था पसंदीदा फल
विशेष बातचीत में बताया कि यादव का पसंदीदा फल अमरूद था. वह जब भी कानपुर आते थे, तो उनके लिए सचेंडी के एक फार्म हाउस से अमरूद मंगाते थे, जिसे यादव चाव से खाते थे.