प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस इस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों को सम्मान देने
जिला मंडी से कैप्टन दीपक गुलेरिया, नायब सूबेदार खेम चंद राणा, हवलदार कृष्ण चंद, नायक सरवन कुमार, सिपाही टेक राम मस्ताना, सिपाही राकेश कुमार चौहान, सिपाही नरेश कुमार, सिपाही हीरा सिंह, जीडीआर पूर्ण सिंह, एल/हवलदार गुरदास सिंह। जिला हमीरपुर से हवलदार कश्मीर सिंह(एम-इन-डी), हवलदार राजकुमार (एम-इन-डी), सिपाही दिनेश कुमार, हवलदार स्वामी दास चंदेल, सिपाही राकेश कुमार, आरएफएन प्रवीण कुमार, सिपाही सुनील कुमार, आरएफएन दीप चंद(एम-इन-डी)। जिला बिलासपुर से हवलदार उधम सिंह, नायक मंगल सिंह, आरएफएन विजय पाल, हवलदार राजकुमार, नायक अश्वनी कुमार, हवलदार प्यार सिंह, नाइक मस्त राम। जिला शिमला से जीएनआर यशवंत सिंह, आरएफएन श्याम सिंह (वीआरसी), जीडीआर नरेश कुमार, जीडीआर अनंत राम। जिला ऊना से कैप्टन अमोल कालिया वीर चक्र, आरएफएन मनोहर लाल, जिला सोलन से सिपाही धर्मेंद्र सिंह, आरएफएन प्रदीप कुमार। सिरमौर जिला से आरएफएन कुलविंद सिंह, आरएफएन कल्याण सिंह (सेना मेडल), जिला चंबा से सिपाही खेम राज, जिला कुल्लू से हवलदार डोला राम (सेना मेडल) कारगिल युद्ध के हीरो थे। पिता की शहादत पर आर्मी में जाने की ठानी, बतौर लांस नायक दे रहे सेवाएं
पिता की शहादत पर सेना में जाने का जज्बा पाले हुए शहीद स्वामी दास चंदेल का बेटा भी भारतीय सेना में है। बेटा सेना में लांस नायक है। जिला हमीरपुर के आठ शूरवीर कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए थे। इनमें से बगवाड़ा के गांव समलेहड़ा के स्वामी दास चंदेल भी शामिल थे। जब स्वामी दास कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे, तब उनका छोटा बेटा रजनीश नौ साल का था। पिता की शहादत के बाद रजनीश ने उसी समय भारतीय सेना में जाकर पिता की तरह सरहदों की रक्षा करने की ठानी और मेहनत कर 2009 में सेना में भर्ती हो गए।
शहीद का बेटा 13 वर्षों से मातृभूमि की रक्षा कर रहा है। स्वामी दास के बड़े बेटे मुनीष ने बताया कि जब कारगिल युद्ध में तीन जुलाई 1999 को उनके पिता की शहादत हुई तो उनकी बहन दसवीं कक्षा में, वह नौवीं कक्षा में और उनका छोटा भाई रजनीश तीसरी कक्षा में पढ़ता था। मुनीष उपायुक्त कार्यालय हमीरपुर में वरिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत है, जबकि रजनीश सेना में सेवाएं दे रहा है। बड़ी बहन की शादी हो गई है।
कारगिल युद्ध में अद्वितीय था भारतीय सेना का जोश : आर्लेकर
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कारगिल युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सेना के वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी है। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना का जोश और वीरता अद्वितीय थी। पूरा देश भारतीय सेना के कारगिल नायकों के साथ खड़ा था। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर युद्ध नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इन्होंने हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।