Kargil Diwas Special: परमवीर चक्र विजेता विक्रम बतरा की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल नहीं होने से परिजनों को मला

कारगिल युद्ध में देश की रक्षा करते शहादत पाने वाले परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के परिजनों को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है, लेकिन विक्रम बतरा की जीवनी किसी पाठ्यक्रम में शामिल न होने का उन्हें आज भी मलाल है। 

परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बतरा

कारगिल युद्ध में देश की रक्षा करते शहादत पाने वाले परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के परिजनों को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है, लेकिन विक्रम बतरा की जीवनी किसी पाठ्यक्रम में शामिल न होने का उन्हें आज भी मलाल है। परिजन चाहते हैं कि उनके बेटे के कारगिल युद्ध की जीवनी किसी पाठ्यक्रम में शामिल हो। इससे आने वाले बच्चे उनकी बहादुरी के प्ररेणा ले सकें।  इस बाबत परिजनों ने प्रदेश सरकार को कई साल पहले पत्र भी लिखा था, लेकिन अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई।

पिता जीएल बतरा ने कहा कि बेटे की शहादत की गाथा सीबीएसई या प्रदेश शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल हो। अभी तक इस मांग पर कुछ नहीं हुआ है, इसका उन्हें दुख है। विक्रम बतरा की बहादुरी के किस्सों की पाकिस्तान में भी चर्चा होती है। कैप्टन विक्रम बतरा कारगिल युद्ध में सात जुलाई 1999 को शहीद हुए थे। उनका यह नारा ‘दिल मांगे मोर’ हर भारतीय की जुबां पर है। विक्रम बतरा ने 4,875 चोटी फतह कर ली थी। वह जीत की खुशी में यह नारा लगा ही रहे थे कि एक गोली उनका सीना चीरती हुई निकल गई। मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कैप्टन दीपक गुलेरिया : शहीदी पार्क बना, सड़क से नहीं जुड़ा

मंडी जिले के टिहरा उपमंडल के चोलथरा गांव में 1999 में शहीद हुए कैप्टन दीपक गुलेरिया की याद में बना शहीदी पार्क सड़क सुविधा से वंचित है। सरकार ने सड़क बनाने का वादा किया था। शहीद के पिता मोहनलाल सीआरपीएफ से बतौर डीआईजी रिटायर हुए थे। करीब तीन साल पूर्व उनका देहांत हो गया। एसडीएम सरकाघाट राहुल जैन ने बताया कि मामला ध्यान में है। इस संदर्भ में जो उचित कार्रवाई होगी, अमल में लाई जाएगी।

30 साल की उम्र में हो गए कुर्बान
कैप्टन दीपक गुलेरिया ने 30 साल की उम्र में शहादत पाई। उन्हें सेना मेडल अवार्ड से सम्मानित किया गया था। फौजी परिवार से संबंध रखने वाले कैप्टन दीपक गुलेरिया 1992 में सीडीएस के जरिए बतौर लैफ्टिनेंट भर्ती हुए  थे। सीनियर सेकेंडरी स्कूल चोलथरा का नाम शहीद कैप्टन दीपक गुलेरिया रखा गया है। कांस्य प्रतिमा भी स्कूल में स्थापित की गई है।