Kargil Vijay Diwas: कैप्टन लीला राम बोले- 36 जांबाज साथियों की शहादत को याद कर भर आती हैं आंखें

कारगिल युद्ध जीतकर टाइगर हिल पर विजय पताका (तिरंगा) फहराने वाले हिमाचल के ददाहू के कैप्टन लीला राम की आंखें आज भी अपने जांबाज साथियों की शहादत को याद करके भर आती हैं। उन्होंने अपने यूनिट के 36 जांबाजों की मौत को अपनी आंखों के सामने देखा। 

ददाहू के कैप्टन लीला राम अन्य सैनिक के साथ।

 पूरा देश कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन कारगिल युद्ध का मंजर कुछेक लोगों के जहन में आज भी है। कारगिल युद्ध जीतकर टाइगर हिल पर विजय पताका (तिरंगा) फहराने वाले हिमाचल के ददाहू के कैप्टन लीला राम की आंखें आज भी अपने जांबाज साथियों की शहादत को याद करके भर आती हैं। उन्होंने अपने यूनिट के 36 जांबाजों की मौत को अपनी आंखों के सामने देखा। उस दौरान वह भारतीय सेना की 18 ग्रेनेडियर्स यूनिट में नायब सूबेदार के पद पर सेवारत थे, जिसका नेतृत्व ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर कर रहे थे।

चार जुलाई 1999 को 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने का गौरव भी कैप्टन लीला राम को प्राप्त हुआ। वर्ष 2008 में कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त होकर घर लौटे कैप्टन लीला राम ने बताया कि कारगिल युद्ध भले ही इतिहास के पन्नों पर लिखा गया है लेकिन इस युद्ध में उन्होंने मौत को नजदीक से देखा है। मौत का वो मंजर उनकी आंखों के आगे घूम कर आज भी रौंगटे खड़े कर देता है। उन्होंने कहा कि भले ही पूरा देश आज कारगिल विजय दिवस का जश्न मना रहा है, लेकिन उन शूरवीरों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता, जिन्होंने मौत को गले लगाकर इस युद्ध को जीतने में अपना बलिदान दिया। 

कई साल देते रहे युवाओं को भर्ती का प्रशिक्षण
कैप्टन लीला राम ने बताया कि उन्हें गर्व है कि सर्वाधिक वीरता व बहादुरी पुरस्कार उनकी यूनिट को ही प्राप्त हुए। उनकी यूनिट में शहीद हुए 36 जांबाजों में से चार जवान हिमाचल से थे। सेवानिवृत्त होने के बाद कैप्टन लीला राम कई वर्षों तक स्थानीय युवाओं को सेना में भर्ती होने का प्रशिक्षण भी देते रहे। उनसे प्रेरणा लेकर क्षेत्र के करीब 12 युवा सेना में भर्ती हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना की सराहना करते हुए कहा कि इससे युवाओं को देश सेवा करने का मौका मिलेगा।