Karman line controversy: अब आकाश में भी हो रही है ‘सीमाओं की जंग’, वै​ज्ञानिक दे रहे नए-नए तर्क

Earth

सीमा विवाद. ये शब्द नया नहीं है..भारत-पाकिस्तान, भारत-नेपाल, भारत-चीन..भारत समेत दुनिया के बाकी तमाम देशों में भी सीमाओं के विवाद चल रहे हैं. गली मोहल्ले में नालियों की सीमाओं से लेकर देश की सीमाओं तक हर जगह ये जंग जारी है! किसका किस पर कहां और कितना हक है? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है.

ये सवाल जरूरी है. तभी तो अब विवाद सरजमीं से निकलकर अंतरिक्ष तक जा पहुंचा है! जी हां.. यह एक नए तरह की जंग है जो वैज्ञानिकों के बीच चल रही है. इस जंग के बीच अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि आखिर धरती की सीमा कहां खत्म होती है और आकाश का दायरा कहां से शुरू होता है. कल्पनाओं में शायद आप इस आसान से सवाल का सीधा सा जवाब दे भी दें..पर ये इतना आसान भी नहीं है!

टूरिज्म ने शुरू किया विवाद

Space Tourism Cxocontent

असल में सारा मसला तब शुरू हुआ है, जब टूरिज्म ने अंतरिक्ष में प्रवेश किया. असल में 11 जुलाई 2021 को नामी व्यवसायी रिचर्ड ब्रैनसन स्पेस की सैर करने चले गए. यह उनकी कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक के स्पेसक्राफ्ट की मदद से संभव हो पाया. खैर विवाद असल में यह है कि स्पेस में घूमने जाने का पहला प्लान बनाया था, एक और नामी व्यवसायी जेफ बेज़ोस ने पर चक्कर लगाकर आ गए ब्रैनसन. 

ब्रैनसन के जाने पर भी मीडिया ने उनका जमकर कवरेज किया और आने के बाद भी जमकर इंटरव्यू हुए. उनके अनुभव जाने गए. लोगों को लगा कि अब स्पेस की सैर आसान हो गई है. जैसे वो विदेश घूमते हैं, वैसे अब अंतरिक्ष भी घूम पाएंगे. खैर कमाल तो तब हुआ जब बेज़ोस की कंपनी ने दावा किया कि ब्रैनसन सबको बेवाकूफ बना रहे हैं. वो तो केवल अंतरिक्ष की सीमा को छूकर वापिस आ गए हैं. ये खबर सोशल मीडिया पर आग की तरफ फैल गई और लोगों के मन में सवाल उठे कि अंतरिक्ष की सीमा कहां हैं? कहां से शुरू होती है? ये कौन तय करेगा?

क्या है वो विवादित सीमा?

Spaceship Journeytechversions

अंतरिक्ष पर जनता का ये सवाल लाजमी है. अधिकांश लोग ये मानते हैं कि अंतरिक्ष वहां से शुरू होता है जहां से पृथ्वी का वायुमंडल समाप्त होता है. लेकिन ये समाप्ति अचानक नहीं होती, बल्कि धीरे-धीरे होती है. ये सभी जानते हैं कि पृथ्वी के वायुमंडल में कई तरह की गैसे हैं, जो गुरूत्वाकर्षण के कारण एक दूसरे को थामें हुए हैं. आप समुद्रतल से जितना ऊपर जाएंगे, गुरूत्वाकर्षण उतना कम होता जाएगा. गैसें पतली होती जाएंगी और फिर वो धीरे-धीरे लुप्त हो जाती हैं. 

बस विवाद यहीं हैं. क्योंकि ​वैज्ञानिक आपसी सहमति से ये तय नहीं कर पाएं हैं कि आखिर ये गैंसे कितनी ऊंचाई पर जाकर समाप्त होती हैं? आम जानकारी के हिसाब से समुद्रतल से 32 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच वायुमंडल की 99% हवा मौजूद है. 32 किलोमीटर से लेकर 1000 किलोमीटर के बीच बाकी बची 1 प्रतिशत हवा है. 

थ्योरी के हिसाब से 1000 किलोमीटर के करीब हम उस जगह पहुंच जाएंगे जहां 1 प्रतिशत भी हवा नहीं होगी. पर सही अनुमान कोई नहीं दे पाया है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन समुद्रतल से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करता है. हबल स्पेस टेलिस्कोप 500 किलोमीटर की ऊंचाई पर है. कई सारी सैटेलाइट्स इस 1000 किलोमीटर की बाउंड्री के नीचे ही परिक्रमा कर रही हैं. इसलिए 1000 किलोमीटर को अंतरिक्ष की सीमा कह दिया जाए तो दिक्कत है! कुल मिलाकर अंतरिक्ष की सही सीमा बता पाना अभी भी मुमकिन नहीं हो पाया है.

ह्यूमन स्पेसफ्लाइट की सुविधा देने वाली कंपनी फेडरेशन एयरोनॉटिक इंटरनेशनल ने अपने ग्राहकों को जानकारी दी है कि वो समुद्रतल से करीब 100 किलोमीटर ऊपर घुमाने ले जाएंगे. इस जगह को कारमान लाइन कहा जाता है. जो धरती और आकाश के बीच का विवादित सीमा क्षेत्र है. कारमान लाइन के बारे में 1957 में फिज़िसिस्ट और एयरोस्पेस इंजीनियर थियोडोर वॉन कारमान ने बताया था. उन्होंने कहा कि इस लाइन के ऊपर कोई वायुयान नहीं उड़ सकता.

अभी भी यह जंग जारी है…

Space Journey spaceref

1960 में जब एफएआई ने कारमान लाइन की ऊंचाई 100 किलोमीटर तय की थी, बस तभी लोगों को विश्वास नहीं हुआ. क्योंकि वॉन कारमान ने कहा था कि अंतरिक्ष की सीमा तो समुद्रतल से 83.5 किलोमीटर के बाद ही शुरू हो जाती है. साठ के दशक में यूएस और सोवियत रूस के बीच इस बात को लेकर मतभेद ही रहा. इसके बाद अमेरिका और रूस की संयुक्त टीम ने तय किया कि इस सीमा को 100 किलोमीटर ही तय रखा जाए और फैसला हो गया!

सीमा तय करने के लिए नया गणित लगाया ना गुणा किया गया. ना विज्ञान! बस तर्क दिए हो सीमा तय कर दी. 2018 में हार्वर्ड-स्मिथसॉनिअन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिज़िक्स में एक पेपर पब्लिश हुआ. इसे लिखने वाले जॉनाथन सी मैकडॉवल ने खुलासा किया कि 100 किलोमीटर को इसलिए चुना गया था क्योंकि ये एक अच्छा राउंड फिगर है. 

लेकिन यहां फिज़िकल साइंस के नज़रिए से देखने की ज़रूरत है. इसके बाद अलग-अलग दावे आते रहे. डरल एविएशन एड्मिनिस्ट्रेशन, य़ूएस एयरफोर्स, NOAA औऱ NASA आमतौर पर 80 किलोमीटर को सीमा आरंभ मानते हैं. वहीं नासा का मिशन कंट्रोल 122 किलोमीटर को अंतरिक्ष की शुरुआत मानता है. कुल मिलाकर हर संस्था ने अपने अपने हिसाब से अंतरिक्ष की सीमा तय कर ली है.

खैर हम और आप आम आदमी हैं. हमें कोई वल्र्ड टूर ही करवा दे तो बहुत है. पर फिर भी महान देश इसकी सीमाओं पर विवाद मचाए हुए हैं. 1967 में अंतरिक्ष को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय संधि बनी. नाम है आउटर स्पेस ट्रीटी. इसके मुताबिक अंतरिक्ष हर किसी के लिए खुला है. बस इसलिए जब धरती के सारे पर्यटन स्थलों तक पर्यटक पहुंच गए तो कंपनियों ने अंतरिक्ष को नया पर्यटन क्षेत्र बताकर इस सीमा विवाद को गरमा दिया है! अब अगर आप में से कोई सौभाग्यशाली अंतरिक्ष की सैर का सौभाग्य पाता है तो वो यहां जरूर बताए कि जा कर कैसा लगा?