कर्नाटक में सांप्रदायिक तनाव और ध्रुवीकरण लगातार बढ़ रहा है। गुरुवार देर रात को ही महमूद गवान मदरसे में घुसकर जबरन नारेबाजी से तनाव फैलते-फैलते बचा। ऐसे में कांग्रेस यहां बड़ी सावधानी से फूंक-फूंक आगे बढ़ रही है।
शुक्रवार शाम को राहुल गांधी और उनके सह पदयात्रियों ने मांड्या जिले के नगामंगला तालुक स्थित आदिचुनचुनगिरी मठ का दौरा किया। यह वोक्कालिगा समुदाय के सबसे बड़े और सम्मानित मठों में से एक है। राहुल गांधी के इस दौरे को बैलेंसिंग ऐक्ट के रूप में देखा गया। दरअसल अगस्त महीने में राहुल ने लिंगायतों के चित्रदुर्ग स्थित मुरुगा मठ का दौरा किया था जहां उन्होंने लिंगदीक्षा प्राप्त की थी। भारत जोड़ो यात्रा के पदयात्रियों के लिए आदिचुनचुनगिरी मठ से जुड़े नजदीक स्टेडियम में रुकने की व्यवस्था की गई।
कांग्रेस की दोहरी चुनौती
सात दिन पहले ही यात्रा ने कर्नाटक में प्रवेश किया है। चुनावी राज्यों में ‘टेंपल रन’ प्रथा की शुरुआत करने वाले राहुल ने कर्नाटक में सर्व धर्म सम भाव का रवैया अपनाया है। मैसूर में उन्होंने चामुंडेश्वरी मंदिर के दर्शन किए, उसके बाद मस्जिद-ए-आजम और सेंट फिलोमिना चर्च में भी दौरा किया।
चुनावी मौसम में इस यात्रा के जरिए बीजेपी सत्ता के खिलाफ मुद्दों को उठाते हुए कर्नाटक कांग्रेस के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को रोकने की दोहरी चुनौती है। राज्य में 13 फीसदी मुस्लिम और 84 फीसदी हिंदू हैं। इनमें 15 फीसदी लिंगायत अधिकतर बीजेपी समर्थक हैं जबकि 15 फीसदी ही वोक्कालिगा जेडीएस, कांग्रेस और बीजेपी में बंटे हुए हैं। अपनी चुनावी गणित सटीक बिठाने के लिए राजनीतिक दल अलग-अलग सामाजिक समूहों को अपने पाले में करने के लिए जोर लगा रहे हैं।
‘हर फ्रंट में फेल बीजेपी सरकार’
कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद कहते हैं, ‘कर्नाटक में पूरी तरह से भ्रष्ट बीजेपी सरकार सभी फ्रंट पर फेल हो चुकी है, खासकर आम लोगों की परेशानी में मदद करने में। सत्ता विरोधी लहर से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी अब सांप्रदायिक चाल में लिप्त है लेकिन हम कांग्रेसी अपनी खेल योजना से इसे विफल करने के लिए दृढ़ हैं।’
राहुल ने बताया कर्नाटक का डीएनए
यात्रा के जरिए कांग्रेस किसान, बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक समानता और सांप्रदायिक सद्भाव का मुद्दा उठा रही है। शुक्रवार की यात्रा के आखिर में अपनी जनसभा में राहुल गांधी ने कहा कि ‘यात्रा में शामिल लोग मानवता की नदी हैं जो धर्म, जाति और पंथ के आधार पर भेदभाव नहीं करते बल्कि जरूरतमंद की मदद करते हैं। यही कर्नाटक का डीएनए है.. महान बसवन्ना (बसवेश्वर) ने यही उपदेश दिया था। बसवन्ना कहा करते थे किसी से नफरत मत करो और दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम अपने साथ करते हो। हम भी यही कर रहे हैं।’
कर्नाटक से निकलते ही बढ़ेगी कांग्रेस की मुश्किल
कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल ने अपनी पार्टी इकाई को भी जोड़ने की कोशिश की। यात्रा के जरिए वह पूर्व सीएम सिद्धारमैया और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच कोल्ड वार को खत्म करते दिए। वह दोनों को साथ लेकर यात्रा में चले और विरोधियों को एक मेसेज देने की कि कोशिश की कर्नाटक कांग्रेस में ‘ऑल इज वेल’ है। हालांकि इस महीने के आखिर में तेलंगाना में प्रवेश करते ही कर्नाटक कांग्रेस के लिए चुनाव के वक्त इसी तरह एकजुट रहने की चुनौती और बढ़ जाएगी।