Karnataka Congress News: मैं सीएम बनना चाहता हूं… डीके शिवकुमार को सिद्धारमैया का क्या मेसेज? कर्नाटक कांग्रेस में नई जंग

कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के आंतरिक सर्वे के नतीजे उसके लिए अच्छे नहीं है। लेकिन पार्टी में इस वक्त सीएम चेहरे को लेकर खींचतान चल रही है। पिछले दिनों शिवकुमार ने खुलेआम अपने सीएम बनने की इच्छा जाहिर की थी।

बेंगलुरु: कर्नाटक में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के आंतरिक सर्वे कराए थे। सर्वे के अनुसार, पार्टी को बहुमत के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। हालांकि उससे पहले ही कांग्रेस यहां दो गुटों में बंटी नजर आ रही है। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया के बीच मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर खींचतान चल रही है।

अभी तक पार्टी के अंदरूनी सूत्रों तक ही यह चर्चा सीमित थी लेकिन पिछले दिनों शिवकुमार ने खुलेआम अपने सीएम बनने की इच्छा जाहिर की। पिछले हफ्ते उन्होंने ऐसा तीन बार किया। शिवकुमार ने एक कम्युनिटी फंक्शन में कहा, ‘एसएम कृष्णा के बाद, वोक्कालिगा के लिए अपनी बिरादरी से मुख्यमंत्री चुनने का मौका है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप (वोक्कालिगा) इस मौके को कैसे इस्तेमाल करते हैं?’

शिवकुमार के बयान के मायने क्या?
सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार के बयान एक सुनियोजित कदम हैं ताकि पार्टी पदाधिकारी, खासकर सिद्धारमैया कैंप तक एक संदेश पहुंत जाए कि वह भी पद के लिए लड़ाई लड़ेंगे। शिवकुमार ने बयान ऐसे समय पर दिए हैं जब सिद्धारमैया के 75वें जन्मदिन की ग्रैंड तैयारी चल रही है, जिसे नेता प्रतिपक्ष को सीएम चेहरे के रूप में पेश करने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।

पार्टी के एक पदाधिकारी के अनुसार, इससे शिवकुमार और उनके सलाहकारों की चिंता बढ़ गई है कि अगर अब चुप बैठे तो रेस में पीछे छूट जाएंगे। पदाधिकारी ने यह भी बताया कि कैसे 2013 के चुनाव में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की चुप्पी ने उन्हें सीएम पद की रेस से बाहर कर दिया था।

शिवकुमार के सामने चुनौती
वोक्कालिगा से अपील भी रणनीति का हिस्सा है। सिद्धारमैया को अधिकांश कुरुबाओं का समर्थन मिला हुआ है लेकिन शिवकुमार अभी भी वोक्कालिगा का उतना मजबूत चेहरा नहीं बन पाए हैं। जब तक कि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और उनका परिवार राजनीति में सक्रिय है, शिवकुमार के लिए यह एक कड़ी चुनौती है लेकिन उनके पास समुदाय को लुभाने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।

डीके शिवकुमार की क्या हैं उम्मीदें?
एक पदाधिकारी ने बताया, ‘साधारणतया, समुदाय उस उम्मीदवार का समर्थन करता है जिसके पास सीएम बनने का अवसर है। बीएस येदियुरप्पा (2008 में लिंगायत समुदाय) और सिद्धारमैया (2013 में अहिंदा समुदाय) के मामले में साबित हो चुका है। शिवकुमार इसी तरह के समर्थन की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अगर वह वोक्कालिगा बहुल ओल्ड मैसूर क्षेत्र में कांग्रेस के लिए बड़ी संख्या में सीटें हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं, तो यह कुर्सी पर उनके दावे को मजबूत करेगा।’

कांग्रेस के दूसरे पदाधिकारी का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य सिद्धारमैया को रोकना भी है। उन्होंने कहा, ‘शिवकुमार उम्मीद कर रहे हैं कि उनके बयान से प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी, जिससे आलाकमान को हस्तक्षेप करने और सिद्धारमैया को अगले सीएम के रूप में पेश करने से रोकने पर मजबूर होना पड़ेगा।’