आईपीसी के धारा 279 के तहत रैश ड्राइविंग के प्रावधान केवल तब ही लागू हो सकते हैं जब इससे किसी इंसान को नुकसान पहुंचा हो। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर रैश ड्राइविंग के चलते किसी पालतू जानवर को चोट लगती है तो उस दशा में इसके प्रावधानों का इस्तेमाल नहीं हो सकता।
आईपीसी की धारा 279 सार्वजनिक मार्गों पर रैश ड्राइविंग से संबंधित है। इसके अनुसार, दोषी पर 6 महीने की जेल, 1,000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। हाई कोर्ट ने बेंगलुरु के कुरुबलाहल्ली निवासी प्रताप कुमार जी की याचिका को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया। जस्टिस सूरज गोविंदराज ने 21 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि आईपीसी की रैश ड्राइविंग से संबंधित धारा व्यक्ति के अलावा किसी अन्य जीव जन्तु के घायल होने पर लागू नहीं हो सकता। ऐसी दशा में इसे अपराध नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला
प्रताप कुमार जी पर फरवरी 2018 को एक पालतू कुत्ते को गाड़ी से रौंदने का आरोप है। डॉग ओनर ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का जिक्र किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- ‘कोई भी प्राणी इंसान से श्रेष्ठ नहीं है और जानवरों के साथ भी समान व्यवहार किया जाना चाहिए। उन्हें भी जीने का अधिकार है।’
इस पर हाई कोर्ट के जज ने कहा कि यह टिप्पणी पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम की धारा 3 और 11 के तहत की गई थी। जज ने कहा, ‘यह टिप्पणी आईपीसी की धारा 279 लागू करने के लिए काफी नहीं है, जब तक कि प्रावधान में किसी विशेष कृत्य को अपराध की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता। ऐसे में किसी जानवर को लगी चोट या मौत के लिए इस धारा का इस्तेमाल नहीं कर सकते।’
एसयूवी की टक्कर से हुई थी पालतू डॉग की मौत
हाई कोर्ट के जज ने आगे कहा, ‘अगर शिकायतकर्ता के वकील का सबमिशन स्वीकार कर लिया जाता है और प्रावधान में ‘व्यक्ति’ शब्द की व्याख्या एक जानवर को शामिल करने के लिए की जाती है तो आईपीसी की धारा 302 (हत्या से संबंधित) भी लागू हो सकती है जो कि आईपीसी का आशय नहीं है।’
अपनी शिकायत में दिलराज रखेजा ने बताया कि फरवरी 2018 में उनकी मां अपने दो पालतू डॉग को वॉक पर ले गई थीं। इस दौरान एक एसयूवी ने एक डॉग को टक्कर मार दी। वेटरिनरी क्लीनिक में तीन साल के डॉग की मौत हो गई। शिकायत के आधार पर विजयनगर पुलिस ने एसयूवी ड्राइवर प्रताप के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसे चुनौती देते हुए प्रताप ने दावा किया कि वह बेकसूर है।