बहुत कम लोग दूसरों की ज़िन्दगी संवारने, ज़रूरतमंदों की मदद करने या समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कुछ कर पाते हैं. कर्नाटक के हावेरी ज़िले के कुनीकेरी गांव की हन्चम्मा चौदरी (Hunchchamma Chowdri) शायद उन सबसे से भी एक क़दम आगे निकल गईं. 75 वर्षीय दादी कई दशकों से इस गांव में रह रही थीं लेकिन इस गांव में कोई स्कूल नहीं था. दादी इतनी बड़े दिलवाली हैं कि उन्होंने गांव की अपनी ज़मीन स्कूल और खेल-कूद का मैदान बनाने के लिए दान कर दी. गांववालों ने बताया कि ज़मीन की क़ीमत लगभग 1 करोड़ रुपये है.
एक रिपोर्ट की मानें तो कुनीकेरी बसप्पा चौदरी (Kunikeri Basappa Chowdri) से शादी करने के बाद हन्चम्मा कुनीकेरी गांव पहुंची. लगभग 3 दशक पहले उनके पति बसप्पा की मौत हो गई. वो खेतों में काम करतीं और साधारण ज़िन्दगी जीती. जब दादी को पता चला कि सरकारी अधिकारी स्कूल बनाने के लिए ज़मीन तलाश कर रही है तब उन्होंने ख़ुद आधा एकड़ ज़मीन दान करने का निर्णय लिया.
कुछ दिनों बाद दादी को पता चला कि अधिकारी खेल-कूद का मैदान बनाने के लिए ज़मीन तलाश रहे हैं. दादी ने आगे बढ़कर बाक़ी बची ज़मीन भी दान कर दी. हनचम्मा दादी अब उसी स्कूल में मिड डे मील बनाती हैं. हन्मचम्मा को स्कूल के बच्चे प्रेम से अज्जी दादी) कहकर बुलाते हैं.
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हन्चम्मा के शब्दों में, ‘मैंने जन्म दिया. लेकिन ये बच्चे मुझे अज्जी कहते हैं. रोज़ 300 बच्चों को खाना खिलाने में मुझे बहुत ख़ुशी होती है.’
दादी कहती हैं कि उन्हें सिर्फ़ भूख मिटाने के लिए खाना चाहिए, जो उन्हें मिल जाता है. दादी के शब्दों में, ‘मैं पैसों को क्या करूंगी? ये बच्चे मुझे याद रखेंगे, है न. बस यही मेरे लिए काफ़ी है.’