राजस्थान के बीकानेर में करणी माता का मंदिर 25000 चूहों के कारण काफी लोकप्रिय है। इन काले और सफेद चूहों को माता की संतान माना जाता है, इसलिए भक्तों को चूहों का झूठा प्रसाद दिया जाता है।
मंदिर की वास्तुकला –
करणी माता मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा किया गया था। मंदिर की पूरी संरचना संगमरमर से बनी है और इसकी वास्तुकला मुगल शैली से मिलती जुलती है। बीकानेर की करणी माता की मूर्ति मंदिर के अंदर गर्भगृह के भीतर विराजमान है, जिसमें वह एक हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए हैं। देवी की मूर्ति के साथ उनकी बहनों की मूर्ति भी दोनों ओर है।
प्रसाद में दी जाती है चूहों की जूठन –
बीकानेर में करणी माता मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए ही लोकप्रिय नहीं है, बल्कि यह मंदिर 25,000 से ज्यादा चूहों का घर है, जिन्हें अक्सर ही यहां घूमते देखा जाता है। आमतौर पर कोई भी चूहों की झूठी चीज खाने के बजाय फेंक देता है, लेकिन यहां पर भक्तों को चूहों का झूठा प्रसाद ही दिया जाता है। यह इस मंदिर की पवित्र प्रथा है। यही वजह है कि भारत और विदेशों के विभिन्न कोनों से लोग इस अद्भुत नजारे को देखने आते हैं।
चूहों को मारना है महापाप –
इतना ही नहीं चूहों के लिए दूध, मिठाई और अन्य प्रसाद भी लाते हैं। सभी चूहों में से, सफेद चूहों को खासतौर से पवित्र माना जाता है क्योंकि उन्हें करणी माता और उनके पुत्रों का अवतार माना जाता है। हालांकि, गलती से भी चूहे को चोट पहुंचाना या मारना इस मंदिर में एक गंभीर पाप है। इस अपराध को अंजाम देने वाले लोगों को तपस्या के तौर पर मरे हुए चूहे को सोने से बने चूहे से बदलना होता है। इसलिए यहां लोग पैर उठाकर चलने के बजाय घसीटकर चलते हैं, ताकि कोई चूहा पैरों के नीचे ना आ जाए। इसे अशुभ माना जाता है।
करणी माता की कहानी –
रीति-रिवाजों के अलावा, करणी माता मंदिर से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां भी हैं। इन कहानियों में सबसे प्रचलित करणी माता के सौतेले पुत्र लक्ष्मण की कहानी है। एक दिन कोलायत तहसील में कपिल सरोवर से पानी पीने की कोशिश करते समय लक्ष्मण उसमें डूब जाते हैं। अपने नुकसान से दुखी, करणी माता ने देवता यम से काफी प्रार्थना की। यमराज को विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनजीर्वित करना पड़ा।
मंगला आरती में बिल से बाहर आ जाते हैं चूहे –
इन चूहों की विशेषता यह भी है कि सुबह पांच मंदिर में होने वाली मंगला आरती और सांध्य आरती के समय चूहे अपने बिलों से निकलकर बाहर आ जाते हैं।
साल में दो बार लगता है भव्य मेला –
करणी माता मंदिर में पुजारियों द्वारा मंगला की आरती की जाती है। मंदिर में आने वाले भक्त देवी और चूहों को प्रसाद भी चढ़ाते हैं। इसके अलावा, बीकानेर में करणी माता मंदिर में नवरात्रि में लगने वाला मेला बड़ा मशहूर है। यह मेला साल में मार्च से अप्रैल के बीच और सितंबर से अक्टूबर के बीच लगता है। इन मेलों के दौरान हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है। खास बात है कि इस प्रसाद को खाने के बाद अब तक किसी के बीमार होने की खबर नहीं मिली है।
कैसे पहुंचे करणी माता मंदिर –
फ्लाइट से – बीकानेर से सबसे पास में जोधपुर एयरपोर्ट है, जिसकी दूरी यहां से 220 किमी है। एयरपोर्ट से करणी माता मंदिर के लिए टैक्सी बुक कर सकते हैं।
ट्रेन से – यहां से सबसे पास रेलवे स्टेशन लगभग 30 किमी दूर बीकानेर है। यह दिल्ली, कोलकाता, आगरा, जयपुर, इलाहाबाद आदि शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शानदार ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ राजस्थान के अपने आठ दिन की विजिट में बीकानेर को भी कवर करती है। स्टेशन पर पहुंचकर करणी माता मंदिर के लिए लोकल ट्रांसपोर्ट आसानी से मिल जाता है।