Kartik Purnima 2022 कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया, इसलिए 7 नवंबर को मनाई जाएगी देव दीपावली

कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार चंद्र ग्रहण लग रहा है इस कारण से धर्म विशेषज्ञों का कहना है कि देव दीपावली 7 नवंबर को ही मना ला जाएगी। 7 नवंबर की शाम को दीपक जलाए जाएंगे। 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण होने की वजह से देव दीपावली का कार्यक्रम 7 नवंबर को ही हो जाएगा। आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा का महत्‍व और मान्‍यताएं।

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कार्तिक पूर्णिमा 8 नवंबर को है ओर इसी दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। सूतक का आरंभ इस दिन सूर्योदय से ही हो जाने की वजह से इस बात को लेकर चर्चा है कि सूतक काल में स्‍नान और दान पुण्‍य कैसे किया जाएगा। ऋषिकेश पंचाग के अनुसार चंद्र ग्रहण शाम को 5:10 बजे से 6:11 बजे तक रहेगा और सुबह करीब 8:10 बजे से सूतक लग जाएगा। इससे पूर्व मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाएगा। इस दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजे से लेकर सूर्योदय तक है। वैसे पूरे दिन स्नान किया जा सकता है।

सनातन धर्म में कार्तिक माह को सभी महीनों में सबसे शुभ फलदायी माना गया है। इस माह पड़ने वाले कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के लिए पवित्र नदियों के तट पर लाखों की भीड़ उमड़ती है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा स्नान 8 नवंबर को है। आइए, कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और मान्‍यताएं।
कार्तिक माह में भगवान विष्णु ने लिया था मत्स्य अवतार

कार्तिक का महीना भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय महीना है। मान्यता है कि कार्तिक माह में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। साल में कुल 12 पूर्णिमा होती है। इनमें कार्तिक माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति किसी पवित्र नदी में स्नान और दान पुण्य करता है तो उसे इस पूरे महीने की गई पूजा पाठ के बराबर फल मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजन करके बछड़ा दान करने से शिवतत्व और शिवलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा को महत्व जितना शैव मत में है उतना ही वैष्णवों में भी है।
कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक मान्‍यताएं

मत्स्य अवतार की अवधारणा

भगवान विष्णु के दस अवतारों में पहला अवतार मत्स्य अवतार माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा के लिए मत्स्य रूप धारण किया था। नारायण के पहला अवतार कार्तिक पूर्णिमा के दिन होने की वजह से वैष्णव मत में इसका विशेष महत्व है। मान्यता यह भी है कि कार्तिक मास में नारायण मत्स्य रूप में जल में विराजमान रहते हैं और इस दिन मत्स्य अवतार को त्यागकर वापस बैकुंठ धाम चले जाते हैं।

भगवान शिव को मिला था नया नाम

शैव मत को मानने वाले भी कार्तिक पूर्णमा को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। ऐसा मानना है कि इस दिन भगवान शिव को एक नया नाम त्रिपुरारी मिला था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने एक अनोखे रथ पर सवार होकर अजेय असुर त्रिपुरासुर का वध किया था। इस असुर के मारे जाने से तीनों लोकों में धर्म को फिर से स्थापित किया जा सका। इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। देवताओं ने खुश होकर काशी में दीए जलाए थे। इसलिए इस दिन काशी में देव दीपावली भी मनाई जाती है।
पांडवों ने किया था दीप दान

महाभारत का महायुद्ध समाप्त होने पर पांडव इस बात से बहुत दुखी थे कि युद्ध में उनके सगे-संबंधियों की असमय मृत्यु हुई। अब उनकी आत्मा की शांति कैसे हो। पांडवों की चिंता को देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को पितरों की तृप्ति के उपाय बताए। इस उपाय में कार्तिक शुक्ल अष्टमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक की विधि शामिल थी। कार्तिक पूर्णिमा को पांडवों ने पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए गढ़ मुक्तेश्वर में तर्पण और दीप दान किया। इस समय से ही गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा स्नान और पूजा की परंपरा चली आ रही है।

देवी तुलसी का प्राकट्
पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को देवी तुलसी का भगवान के शालिग्राम स्वरूप से विवाह हुआ था और पूर्णिमा तिथि को देवी तुलसी का बैकुंठ में आगमन हुआ था। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी तुलसी की पूजा का खास महत्व है। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देवी तुलसी का पृथ्वी पर भी आगमन हुआ है। इस दिन नारायण को तुलसी अर्पित करने से अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।

प्रकाशोत्सव

सिख धर्म में भी कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। सिख धर्म के प्रथम गुरु बाबा नानक देवजी का जन्म भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस दिन को सिख धर्म में प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गुरुद्वारों में इस दिन विशेष कार्यक्रमों और लंगर का आयोजन होता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर क्या करें

– इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी नदी या तालाब में जाकर स्नान करें। यदि ऐसा करना संभव न हो तो घर में पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
– कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में किसी नदी, तालाब में दीपदान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में किसी नदी या तालाब में दीप प्रज्ज्वलित कर प्रवाहित कर दें। यदि ऐसा संभव न हो तो अपने घर के पास किसी मंदिर में जाकर भी आप दीपदान कर सकते हैं। इसके बाद घर आकर पूजा करें। ऐसा कहा जाता है कि दीप दान करने से घर परिवार में सुख समृद्धि आती है।

– कार्तिक पूर्णिमा के दिन चावल का दान करना शुभ माना गया है। चावल का संबंध चंद्रमा से है इसलिए वह शुभ फल देता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है।

– कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान, पूजा और दान करने का विशेष महत्व है। साथ ही आप सुबह भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनें तो परम सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों का तोरण बांधें और द्वार पर रंगोली भी बना सकते हैं।

– कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष समृद्धि योग बन रहा है, इसलिए शिवलिंग पर जल अवश्य चढ़ाएं और 108 बार ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

– माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पीपल की पूजा करें और उसके चारो तरफ दीपक जलाएं। पीपल में लक्ष्मी का वास माना गया है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है।

– पुराणों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को बहुत पवित्र माना गया है इसलिए प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का सेवन, अंडा जैसे तामसिक भोजन से बचना चाहिए। पूर्णिमा के दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

– कार्तिक पूर्णिमा के दिन आप सभी देवी-देवताओं को प्रसन्न कर सकते हैं। यह आध्यात्मिक दिन है इसलिए घर में इस दिन शांति और सद्भाव बनाकर पूर्वजों को याद करना चाहिए। भूलकर भी घर का माहौल लड़ाई-झगड़े से खराब नहीं करना चाहिए।

– भगवान कब और किस रूप में आ जाएं, कहा नहीं जा सकता है इसलिए ना केवल कार्तिक पूर्णिमा के दिन बल्कि कभी भी गरीब और असहाय लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए। हमेशा अतिथि और भिखारी को खाना-पानी देकर ही विदा करना चाहिए।

इसलिए 7 नवंबर को मनेगी देव दीपावली
कार्तिक माह की पूर्णिमा 8 नवंबर को है, लेकिन इस दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है। ऐसे में देव दिवाली इस साल एक दिन पहले 7 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसे ही सूर्य ग्रहण के कारण दिवाली भी एक दिन पहले ही मना ली गई थी। ग्रहण के सूतक काल में शहर के मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे, हालांकि सुबह 7 बजे तक मंदिरों में पूजा अर्चना की जा सकेगी। कार्तिक माह की पूर्णिमा की शुरुआत 7 नवंबर की शाम 4 बजकर 15 मिनट से हो रही है, जिसका समापन 08 नवंबर की शाम 4 बजकर 31 मिनट पर हो रहा है। चंद्रग्रहण के चलते देव दीपावली 7 नवंबर को मनाई जाएगी। 7 नवंबर को दीपदान करने का शुभ मुहूर्त शाम 5:14 बजे से 7:49 मिनट तक है। वहीं, गुरुपर्व 8 नवंबर को ही मनाया जाएगा।