नौकरी अगर मोटी सैलरी वाली हो तो खेती-किसानी भला कौन करना पसंद करता है. यह बात हम सालों से सुनते आए हैं, किन्तु बदलाव के इस दौर में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी जिद और जज्बे के चलते नई राह पकड़ रहे हैं. कर्नाटक के रायचूर जिले से आने वाली कविता मिश्रा एक ऐसा ही नाम हैं.
शादी के बाद इनफ़ोसिस जैसी बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ जिस तरह से कविता ने खेती-बाड़ी शुरू की और सफलता की बुलंदियों तक का सफ़र तय किया वो लोगों के लिए एक मिसाल है. करीब 11 साल पहले कविता ने परिवार की 8 एकड़ बंजर जमीन पर आधुनिक तरीके से फलों की खेती शुरू की.
शुरुआत में कविता के लिए खेती-बाड़ी बहुत मुश्किल थी. उन्हें तमाम तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा, मगर उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत से डटी रहीं. सबसे पहले उन्होंने अनार की खेती की. इसके बाद उन्होंने चंदन की खेती में अपना हाथ अजमाया. यह कविता के लिए एकदम नया प्रयोग था.
कविता को इस बात का आभास था कि जिस रास्ते पर वो निकली हैं, बिना जानकारी के उस पर चलना नुक्सानदायक हो सकता है. यही कारण है कि खेती करने से पहले उन्होंने चंदन की खेती से जुड़े हर पहलू पर खूब रिसर्च की. इसके बाद ही जैविक उर्वरकों का प्रयोग करते हुए पेड़ों को बड़ा करना शुरू किया.
अंतत: कविता की मेहनत रंग लाई और चंदन की खेती से उन्हें लाखों का मुनाफा हो रहा है. चंदन के अलावा कविता के खेतों 8,000 से अधिक फल-फूल वाले पेड़ मौजूद हैं. कविता का खेती करने का ढ़ग कैसा है. इसको इसी से समझा जा सकता है कि इलाके भर के लोग अब उनसे खेती के गुर सीखने आते हैं.