केसीसी बैंक में करोड़ों के ऋण की वसूली के लिए बड़ा एक्शन हुआ है। करोड़ों के कर्ज के मामले की जांच में अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने बैंक से जुड़े सात लोगों की जिम्मेदारी तय की है। इसके तहत ऋणधारक से कर्ज की वसूली करने को कहा गया है। इसमें कहा गया है कि किसी कारण अगर कर्जधारक अगर भरपाई नहीं करता है, तो इन लोगों से यह पैसा वसूल किया जाए।
कुल 28 पन्नों की जांच रिपोर्ट में चेयरमैन समेत कुल सात लोगों की जिम्मेदारी तय की गई है। अब इसमें पंजीयक सहकारी सभाएं की ओर से भी कार्रवाई होने का इंतजार है। ऋण का यह बहुचर्चित मामला साल 2019 से शुरू हुआ था। इसमें मंडी के रहने वाले एक व्यक्ति को ऊना की एक ब्रांच से 20 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया था। इसके तहत मनाली में होटल बनाया जाना था। बताया जाता है कि कर्जधारक ने तीन साल बाद भी इस पैसे का पूरी तरह उपयोग न किया।
इस पर साल 2019-20 के आडिट में आडिटर ने इसे गलत करार दिया था। इसके बाद पंजीयक सहकारी सभाएं शिमला द्वारा इसकी जांच करवाई गई। इसमें भी नियमों की अनदेखी सामने आई है। मौजूदा समय में यह कर्ज 20 करोड़ से काफी ज्यादा बताया जाता है। हाल ही में अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी सभाएं ने सहकारी अधिनियम 1968 की धारा 69 (2) के तहत जांच में बैंक से जुड़े सात लोगों की जिम्मेदारी फिक्स की है।
इसके तहत कहा गया है कि त्रणधारक अगर कर्ज भरने में असमर्थ रहता है,तो उपरोक्त सात लोगों से यह पैसा वसूला जाए। इस बारे में अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी सभाएं सुखदेव सिंह ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट बनाकर भेज दी है। इस मामले उन्हें जो कमियां नजर आई हैं, उनका जिक्र कर दिया है।
रजिस्ट्रार राजेश शर्मा ने क्या कहा
इस बारे में रजिस्ट्रार सहकारी सभाएं राजेश शर्मा ने कहा कि धारा 69 (2) की जांच पूरी हो चुकी है। इसमें ऋण वसूली के लिए जिम्मेदारी फिक्स हुई है। नियमानुसार ऐसे मामलों में कर्ज की वसूली के लिए जिम्मेदार लोगों को कहा जाता है। ऋणधारक से अगर कर्ज की वसूली न हो पाए, तो जिम्मेदार लोगों से वसूली का प्रावधान है।गौर रहे कि केसीसी (KCC) बैंक पांच जिलों में अठारह लाख ग्राहकों को सेवा देता है। इससे करीब पंद्रह सौ कर्मचारी जुड़े हैं। कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक प्रबंधन पर कर्ज बांटने को लेकर यह बड़ा मामला है।