तीखी भुजिया का स्वाद चखना हो या फिर रसगुल्लों के रस का आनंद लेना हो, ‘बीकानेरवाला’ का नाम लोगों की जुबान पर आ ही जाता है. एक छोटी दुकान से शुरू हुई यह फ़ूड चेन आज विश्व भर में लोगों की पसंद बन चुकी है. इसे ख़ास पहचान दिलाने का श्रेय 83 साल के लाला केदारनाथ अग्रवाल (काका जी) और उनके परिवार को जाता है.
‘बीकानेरवाला’ का सफ़र 1955 से शुरू हुआ. यह वह समय था, जब काका जी अपने भाई के साथ दिल्ली पहुंचे और हमेशा के लिए यहां के हो गए. शुरुआत में उनके पास रहने की कोई जगह नहीं थी. लिहाज़ा उन्होंने कई रातें एक धर्मशाला में गुज़ारीं. गुज़ारे के लिए पैसे चाहिए थे इसलिए उन्होंने बाल्टी में भर कर बीकानेरी रसगुल्ले और नमकीन बेचनी शुरू कर दी.
जब लोग हलवे, रसगुल्ले और नमकीन के दीवाने हुए
बिक्री बढ़ी, तो जल्द ही उन्होंने पुरानी दिल्ली में एक दुकान किराए पर ले ली. दुकान पर काम करने की ज़रूरत पड़ी, तो बीकानेर से कुछ कारीगरों को बुला लिया. देखते ही देखते उनका काम चल पड़ा. दीवाली आते-आते लोग उनके बनाए मूंग के हलवे, रसगुल्ले और नमकीन के दीवाने हो चुके थे. इसका फ़ायदा उन्हें त्यौहार के दौरान मिला.
उनकी मिठाई इतनी बिकी कि उन्होंने नियम बना दिया कि वह एक आदमी को 10 से ज़्यादा रसगुल्ले नहीं देगे. इस समय तक लोग काका जी की दुकान को बीकानेरी भुजिया भंडार के नाम से ही जानते थे. यही उनका ट्रेड मार्क था.
आगे अपने बड़े भाई जुगल किशोर की सलाह पर उन्होंने इसका नाम बदलकर ‘बीकानेरवाला’ कर दिया. इसके पीछे तर्क था कि इससे उनके शहर बीकानेर का भी नाम होगा. यह सही साबित हुआ और लोगों की ज़ुबान पर ‘बीकानेरवाला’ का नाम चढ़ गया.
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बड़े ब्रांड के रूप में 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कंपनी
1972-73 में उन्होंने दिल्ली के करोलबाग में एक दुकान खरीद ली. और इसके बाद उन्होंने पलटकर नहीं देखा. देखते ही देखते, इन दुकानों की संख्या बढ़ती गई. अब यह एक बड़े ब्रांड के रूप में 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कंपनी है.
इस पूरे सफ़र में सबसे अच्छी बात यह रही कि ‘काका जी’ नहीं बदले. उनके चेहरे की मुस्कान और काम के प्रति उनकी लगन पहले जैसी ही है. उनके परिवार के कई लोग अपने इस पुस्तैनी बिज़नेस से जुड़े हैं और ‘काका’ के काम को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं.
बीकानेरवाला फू़ड्स प्राइवेट लिमिटेड के वर्तमान प्रबंध निदेशक, श्याम सुंदर अग्रवाल है. 1968 में 16 साल की उम्र में वह अपने पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े और मिठाई बनाने की कला सीखी. 1980 के दशक में, जब पश्चिमी फ़ास्ट-फ़ूड पिज़्ज़ा की भारतीय बाजार में एंट्री हुई, तो अग्रवाल परिवार ने बाजार की डिमांड महसूस की और अपने आउटलेट्स का विस्तार किया.
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…और ब्रांड विश्व स्तर पर मशहूर हो गया
1988 में ब्रांड को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए, उन्होंने एयर-टाइट पैकेजिंग में मिठाई और नमकीन बेचने के लिए बिकानो लॉन्च किया. इसी क्रम में साल 1995 में, बीकानेरवाला ने हरियाणा के फ़रीदाबाद में एक नया प्लांट खोलते हुए, पेप्सीको के ब्रांड ‘लहर’ के लिए नमकीन का उत्पादन करने का एक विशेष समझौता किया.
2003 में कंपनी ने बिकानो चैट कैफ़े खोलने शुरू किए. ये एक किस्म का फ़ास्ट फ़ूड सर्विस रेस्टोरेंट है. ‘बीकानेरवाला’ ने हैदराबाद के बंजारा हिल्स में एक बुटीक होटल भी लॉन्च किया, जो काफ़ी सुर्खियों में रहा.