Pm Narendra Modi: केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुराना नाता है। वह युवावस्था के दिनों से केदारनाथ की छाया में एकांत साधना करते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद से वह 6 बार केदारनाथ धाम आ चुके हैं। इनमें उनका वह दौरा भी शामिल है, जब वह साल 2019 में लोकसभा चुनाव मतगणना से ठीक पहले केदारनाथ आए थे और 17 घंटे तक रुद्र गुफा में ध्यान किया था।
केदारनाथः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को एक बार फिर केदारनाथ के दौरे पर आ चुके हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह छठवां मौका है, जब पीएम केदारनाथ के दौरे पर आए हैं। यहां वह सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास करेंगे। बाद में शंकराचार्य की समाधि के दर्शन का कार्यक्रम भी है। केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण काम का भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निरीक्षण करेंगे। प्रधानमंत्री के दौरे से पहले केदारनाथ मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से मंदिर को सजाया गया है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी अब तक 6 बार केदारनाथ धाम आ चुके हैं। इससे पहले 3 मई 2017, 30 अक्टूबर 2017, 7 नवंबर 2018, 18 मई 2019 और 5 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री केदारनाथ आए थे। जाहिर है कि केंद्र सरकार के 8 साल के कार्यकाल में 5 बार केदारनाथ आने वाले मोदी का यहां से गहरा लगाव है। पीएम बनने के पहले भी वह कई बार यहां का दौरा कर चुके हैं। केदारनाथ और भगवान शंकर दरअसल, मोदी की आध्यात्मिक चेतना से गहरे जुड़े हुए हैं। यह रिश्ता उनके जवानी के दिनों से है, जब उन्होंने राजनीति में भी कदम नहीं रखा था।

केदारनाथ धाम में पीएम मोदी
भगवान शंकर के भक्त मोदी
भगवान शंकर के प्रति मोदी की अगाध आस्था के बारे में हर कोई जानता है। चाहे काशी विश्वनाथ धाम का जीर्णोद्धार हो या फिर उज्जैन के महाकाल मंदिर का, मोदी ने दोनों ही प्रोजेक्ट्स में व्यक्तिगत रूचि दिखाई तो इसके पीछे महादेव के प्रति उनकी भक्ति भावना ही थी। इसी के चलते प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2013 की त्रासदी में तबाह हो चुके केदारनाथ धाम के जीर्णोद्धार का जिम्मा भी उन्होंने उठाया और समय-समय पर उसके लिए हो रहे कामों का निरीक्षण करने के लिए भी केदारपुरी आते रहे।
केदारनाथ से रिश्ता पुराना
केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री मोदी का रिश्ता काफी पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि पीएम जब अपनी युवावस्था में थे, तब उन्होंने शांति और ईश्वर की तलाश में घर छोड़ दिया था। इस दौरान तकरीबन तीन सालों तक वह हिमालय की पहाड़ियों में रहे। उन्होंने अपना पूरा समय तपस्या और साधना में बिताया। इस दौरान केदारनाथ की बर्फीली वादियों में पीएम मोदी का काफी समय गुजरा था। कहते हैं कि इस दौरान किसी साधु ने उनकी युवावस्था का हवाला देकर उन्हें समाजसेवा करने की सलाह दी, जिसके बाद मोदी वापस गुजरात लौट आए।
महादेव के तीर्थ में जन्म
मोदी ने इसके बाद ही राजनीति के जरिए जनसेवा की राह चुनी। हिमालय और केदारनाथ के सान्निध्य का ही असर है कि प्रधानमंत्री के भाषणों तथा विचारों में यदा-कदा आध्यात्मिक झलक दिखाई देती है। भगवान शिव के एक बड़े तीर्थ कहे जाने वाले वडनगर में जन्मे मोदी का महादेव से गहरा लगाव है। शायद यही वजह हो कि उन्होंने साल 2014 में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद पहली बार संसदीय चुनाव में जब ताल ठोकी तो अखाड़े के तौर पर भगवान भोलेनाथ की नगरी वाराणसी को चुना।

बाबा के दरबार में मोदी