भाजपा का दावा है कि इस बार राजनीतिक चक्र टूट जाएगा। जिस तरह से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई है, उसी तरह हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा दोबारा से सत्ता में आएगी।देवभूमि, हिमाचल प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं की बैठकें और सभाओं के दौर शुरू हो गए हैं। सभी दलों के अपने-अपने दावे हैं। पिछले तीन दशक से ‘देवभूमि’ में सत्ता का चक्र कुछ इस तरह घूमता रहा है कि पांच साल कांग्रेस तो पांच साल भाजपा को शासन करने का मौका मिलता है। इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनाव में ताल ठोक रही है। हालांकि, भाजपा नेता इसे यह कह कर नकार रहे हैं कि प्रदेश में तीसरे दल के लिए अभी कोई स्थान नहीं है। केजरीवाल की पार्टी, हिमाचल में खाता नहीं खोल पाएगी। यहां के लोग ‘रेवड़ी’ कल्चर को पसंद नहीं करते।
हिमाचल में भाजपा दोहराएगी यूपी-उत्तराखंड
कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व से लेकर प्रदेश इकाई तक उथल-पुथल का दौर चल रहा है। भाजपा का दावा है कि इस बार राजनीतिक चक्र टूट जाएगा। जिस तरह से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई है, उसी तरह हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा दोबारा से सत्ता में आएगी।
पढ़िये हिमाचल में बढ़ती चुनावी हलचल को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से अमर उजाला डॉटकॉम की विशेष बातचीत:
सवाल: हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन दशकों से एक राजनीतिक चक्र चलता रहा है। हर पांच साल में सरकार बदल जाती है। भाजपा को ऐसा क्यों लगता है कि इस बार वह ‘चक्र’ टूट जाएगा? आखिर ऐसा कौन सा विकास कार्य रहा है, जिसके बलबूते भाजपा लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की बात कह रही है?
सीएम ठाकुर: हिमाचल प्रदेश में सर्वांगीण विकास हुआ है। प्रदेश ने हर क्षेत्र में तरक्की की है। ऐसा जरूरी भी नहीं है कि विकास ही चुनाव का आधार हो। हिमाचल प्रदेश में लोगों का रुझान और लगाव, केंद्रीय नेतृत्व के प्रति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिमाचल के लोगों के साथ एक भावुक रिश्ता है। वह रिश्ता किसी न किसी तरह, हिमाचल के लोगों को और मोदी जी को नजदीक लाता है। इसका फायदा भाजपा को मिलता है। कोरोना संक्रमण के दौरान विकास एक बड़ी चुनौती थी। सरकार ने इसके बावजूद सराहनीय कार्य किया है। परंपरा से हटकर काम किया है। साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में हर तबके के लोगों के लिए काम हुआ है। खासतौर पर, गरीब वर्गों को फोकस कर योजनाएं लागू की गई हैं। निश्चित तौर से चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिलेगा।
सवाल: पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में ‘रेवड़ी’ शब्द का जिक्र कर एक बहस को जन्म दे दिया था। इस मुद्दे पर खासतौर से, भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच खूब बयानबाजी हुई थी। क्या हिमाचल प्रदेश में ‘रेवड़ी’ कल्चर का एजेंडा कामयाब हो सकता है?
सीएम ठाकुर: मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि हिमाचल प्रदेश में तीसरे दल को विकल्प के रूप में कभी भी स्वीकार नहीं किया गया। पहले भी ऐसी कोशिशें हुई, कई दलों ने प्रयास किया, मगर उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बार पंजाब में ‘आप’ को सफलता मिली, क्योंकि वहां पर उनका नेटवर्क था। उनके सांसद थे, विधायक थे। हिमाचल प्रदेश में ऐसा कुछ नहीं है। इस राज्य में ‘आप’ के लिए अभी बड़ी चुनौतियां हैं। पार्टी जो भी संगठन खड़ा करती है, वह बिखरता जा रहा है। उनका स्टेट यूनिट भंग हो गया। प्रभारी झंझट में फंसे हुए हैं। दिल्ली के डिप्टी चीफ मिनिस्टर, हिमाचल प्रदेश में आकर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, जबकि वे खुद बड़ी बड़ी बातों में उलझ कर रह गए हैं। हिमाचल प्रदेश के लोगों के मन में अभी इस पार्टी के लिए जगह नहीं है। उनकी स्वीकार्यता तो दूर की बात है। वे कोशिश करें, ईमानदारी से प्रयास करे। अपना संगठन खड़ा करे। लोकतंत्र में सभी को अधिकार है। मुझे नहीं लगता कि वह पार्टी अपना खाता भी खोल पाएगी। हिमाचल प्रदेश में तीसरे दल के लिए अभी कोई जगह नहीं है।
सवाल: हिमाचल प्रदेश में क्या सेब उत्पादकों की नाराजगी, एक चुनावी मुद्दा बन सकता है। सेब उत्पादक, जीएसटी ’12 से 18′ प्रतिशत करने को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं। चूंकि सेब के कारोबार में लाखों लोग जुड़े हैं और इसका कारोबार भी लगभग 5000 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। ऐसे में क्या यह मुद्दा, चुनाव में भाजपा के लिए नुकसान का सबब बन सकता है?
सीएम ठाकुर: हां, ये बात सही है, लेकिन वह नाराजगी पूरे हिमाचल प्रदेश में नहीं है। सेब उत्पादकों का आंदोलन कुछ ही इलाके में सीमित रहा है। शिमला जिले में उसका प्रभाव देखने को मिला था। सरकार, सेब उत्पादकों के प्रति हमेशा गंभीर रही है। राजनीतिक लोग, इसे सरकार के खिलाफ मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें इसका राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा। देखिये, मुद्दा इतना सा था कि पैकेजिंग मटेरियल पर छह फीसदी जीएसटी बढ़ गया था। सरकार ने कहा, उसकी क्षतिपूर्ति कर देंगे। इसके बाद वह मुद्दा खत्म हो जाता है। जो पार्टियां अपना जनाधार तलाश रही हैं, वे इस मुद्दे को हवा देने का प्रयास कर रही हैं। मैं बताना चाहता हूं कि उन्हें अपने प्रयास में सफलता नहीं मिलेगी। सेब उत्पादकों की नाराजगी दूर हो गई है। सरकार, उन्हें आर्थिक नुकसान नहीं होने देगी।
सवाल: हिमाचल प्रदेश में विपक्षी दल, बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं। युवा भी नौकरी को लेकर खुश नहीं हैं। विधानसभा में भी यह सवाल उठा था कि प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या आठ लाख के आंकड़े को पार कर गई है?
सीएम ठाकुर: बेरोजगारी एक वैश्विक विषय है। ये केवल हिमाचल प्रदेश का नहीं, देश का नहीं, बल्कि दुनिया का मुद्दा है। मुझे इतना ही कहना है कि बेरोजगारी, केवल चार वर्ष के कार्यकाल में नहीं बढ़ी है। जो पार्टी लंबे समय तक सत्ता में रही है, बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी करने में उस पार्टी का योगदान है। ये बात सही है कि कोई भी चुनाव, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे के बिना संपन्न नहीं होता। इस बार भी चुनाव में ये मुद्दे हैं। बेरोजगार नौजवान जानते हैं कि उन्हें कौन गुमराह कर रहा है। वे अच्छे से समझते हैं कि किस पार्टी ने उनके नाम पर वोट मांगे हैं। बेरोजगारों को मालूम है कि उस पार्टी ने कभी उनके लिए कुछ नहीं किया। उस पार्टी की खुद की बेरोजगारी तो दूर हो गई, मगर युवाओं की स्थिति वैसी ही रही। उस पार्टी ने युवाओं के लिए कुछ नहीं किया। जो पार्टी अब बेरोजगारी का मुद्दा उठा रही है, उसे चुनाव में कोई फायदा मिलेगा, मैं ऐसा नहीं मानता।
सवाल: समाज के कमजोर वर्ग को मदद, ‘गरीब के करीब हमारी सरकार’, क्या इसका फायदा विधानसभा चुनाव में मिलेगा?
सीएम ठाकुर: हमारा मकसद केवल इतना सा था कि सरकार की योजनाओं का फायदा, गरीब को मिलना चाहिए। इस वर्ग की अनदेखी न होने पाए, पिछले चार साल में इस पर फोकस किया गया है। अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं। केवल शुरु ही नहीं की गई, अपितु उन्हें समय-समय पर चेक किया गया कि गरीब तक उनका लाभ मिला है या नहीं। इसी के चलते भाजपा सरकार ने कई दूसरी योजनाएं भी शुरु की। ‘गरीब के करीब हमारी सरकार’ इसी नीति को आधार मानकर योजनाओं का तानाबाना बुना गया। हमारी सरकार ने मजदूर की दिहाड़ी 50 रुपये बढ़ा दी तो उसे महीने में 1500 रुपये का फायदा हो गया। प्रदेश में हर वर्ग की मदद की गई है। विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका फायदा मिलेगा। हिमाचल प्रदेश में कोरोनाकाल के दौरान, सरकार ने बेहतरीन कार्य किया है। लोग इसे समझते हैं। महामारी के दौरान लोगों को आर्थिक, सामाजिक सुरक्षा देने की बात हो या विकास कार्य, इस रफ्तार को थमने नहीं दिया गया। आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर प्रदेश में हिमकेयर योजना शुरू की गई। गृहिणी सुविधा योजना प्रारंभ कर, प्रदेश को धुआंमुक्त बनाया गया है। बिलासपुर एम्स का, रिकॉर्ड समय में तैयार होना और अटल टनल, इन विकास कार्यों को हिमाचल प्रदेश की जनता ने करीब से देखा है।
सवाल: केंद्र और राज्य सरकारों में ‘पुरानी पेंशन व्यवस्था’ लागू हो, इसके लिए विभिन्न कर्मचारी संगठन, सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में भी पिछले दिनों सरकारी कर्मी, इस मांग को लेकर सड़कों पर उतरे थे। चुनाव के मद्देनजर, सरकार इस मुद्दे को कैसे देखती है।
सीएम ठाकुर: बिल्कुल, ये मुद्दा रहा है। केवल हिमाचल ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी इस बाबत आवाज उठ रही हैं। केंद्र सरकार व राज्य सरकार, इस मामले में कर्मियों को कोई नुकसान न हो, ऐसी नीति पर काम रही है। पुरानी पेंशन के मुद्दे पर कर्मियों में नाराजगी रही है। वे एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम का विरोध कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में डेढ़ लाख से अधिक रिटायर्ड कर्मचारी हैं। जो कर्मी सेवा में हैं, उनकी तादाद भी अच्छी खासी है। यह मुद्दा, मुख्यमंत्रियों के सम्मलेन में भी उठा है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने, इस बाबत कर्मियों के साथ बातचीत की है। आगे भी बातचीत होती रहेगी। सरकार का प्रयास रहेगा कि उन्हें कोई आर्थिक नुकसान न हो। जहां तक चुनाव में इस मुद्दे की बात है तो इससे भाजपा को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि सरकार ने काफी हद तक कर्मियों को समझाने में सफलता हासिल की है।