उत्तराखंड बजट मैन्युअल के अनुुच्छेद 183 के मुताबिक वित्तीय वर्ष की समाप्ति में खर्च की तेजी से बचना चाहिए। लेकिन प्रदेश की सरकार ने 2020-21 में 20 मुख्य विभागों में 50 प्रतिशत से अधिक बजट केवल वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने यानी मार्च में खर्च किया।
करोड़ों रुपये का आम बजट भले ही वित्तीय वर्ष की शुरुआत से लागू होता है, लेकिन उत्तराखंड की सरकार इसे आखिरी महीने में खर्च करने में यकीन करती है। सीएजी की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि 20 विभागों में कुल बजट का 69 फीसदी से ज्यादा खर्च केवल मार्च के महीने में किया गया है।
उत्तराखंड बजट मैन्युअल के अनुुच्छेद 183 के मुताबिक वित्तीय वर्ष की समाप्ति में खर्च की तेजी से बचना चाहिए। लेकिन प्रदेश की सरकार ने 2020-21 में 20 मुख्य विभागों में 50 प्रतिशत से अधिक बजट केवल वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने यानी मार्च में खर्च किया।
शहरी विकास विभाग ने अपने बजट का 82.77 प्रतिशत, अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 67.92 प्रतिशत, सूचना विभाग ने 57.19 प्रतिशत, प्राकृतिक आपदा से राहत में 68.81 प्रतिशत, मत्स्य पालन में 50.84 प्रतिशत, खाद्य भंडारण और गोदाम का 57.35 प्रतिशत, सहकारी विभाग का 63.43 प्रतिशत, पुलिस पर पूंजीगत व्यय का 50.24 प्रतिशत, लोक निर्माण विभाग में पूंजीगत व्यय का 72.01 प्रतिशत, चिकित्सा और लोक स्वास्थ्य में 72.42 प्रतिशत, आवास का 70.52 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण का पूंजीगत व्यय का 67.95 प्रतिशत, मत्स्य पालन पर पूंजीगत व्यय का 67.67 प्रतिशत, वानिकी और वन्य जीव पर पूंजीगत व्यय का 77.15 प्रतिशत, मुख्य सिंचाई पर पूंजीगत व्यय का 51.74 प्रतिशत, बाढ़ नियंत्रण परियोजना पर पूंजीगत व्यय का 66.52 प्रतिशत, ऊर्जा परियोजनाओं पर पूंजीगत व्यय का 75.55 प्रतिशत बजट मार्च के महीने में खर्च किया गया।
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