Kerala Governor Arif mohammad khan: केरल के राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच की तल्खियत कम होने का नाम नहीं ले रही है। यही वजह है कि इन दिनों राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अक्सर गुस्से में लाल-पीले दिख रहे हैं। हाल ही में कुलपतियों से इस्तीफा मांगने का मुद्दा फिलहाल गरम बना हुआ है।
तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इन दिनों इतने गुस्से में क्यों हैं? केरल सरकार पर लगातार वह हमलावर क्यों हैं? क्यों उनका राज्य की लेफ्ट सरकार से टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है? यह सवाल तब उठे जब पिछले कुछ दिनों से राज्य में राज्यपाल बनाम राज्य सरकार के बीच बयानबाजी और तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है और फिलहाल यह थमने का नाम नहीं ले रही है? मामला कोर्ट की चौखट तक पहुंचा लेकिन उसके बाद भी कोई बीच का रास्ता नहीं निकला है।
पहले कुलपतियों पर आया गुस्सा
पिछले दिनों केरल के राज्यपाल ने सार्वजनिक रूप से ट्वीट कर कहा कि उन्होंने राज्य के 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस्तीफा देने का निर्देश दिया है। इसके बाद राज्य सरकार सहित कुलपतियों ने उनके आदेश को मानने से इनकार कर दिया तो उन्हें गुस्सा आ गया। हालांकि, बाद में केरल हाई कोर्ट ने उन नौ में से आठ विश्वविद्यालयों के कुलपति से कहा कि वह अपने-अपने पद पर रहकर काम जारी रखें।
तभी वित्त मंत्री आ गए निशाने पर
यह विवाद चल ही रहा था कि राज्य के वित्त मंत्री पर उनका गुस्सा भड़क गया। वित्त मंत्री बाल गोपाल पर राज्यपाल इतने गुस्से में आए कि उन्होंने सीएम पी. विजयन से उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने तक को कह दिया। उन्होंने सीएम को विजयन को लिखे अपने पत्र में कहा कि वित्त मंत्री ने 19 अक्टूबर को एक यूनिवर्सिटी में एक भाषण दिया जिसमें उन्होंने क्षेत्रीयता और प्रांतीयता की आग को भड़काने और भारत की एकता को कमजोर करने का प्रयास किया था। साथ ही उन्होंने अपने शपथ की शर्तों की अवहेलना की। उस भाषण में केरल के वित्त मंत्री ने राज्यपाल पर तीखी टिप्पणी की थी। हालांकि, सीएम ने बात मानने से इनकार कर दिया और कहा कि बाल गोपाल मंत्री बने रहेंगे। इसके बाद राज्यपाल और गुस्से में आ गए और कहा कि मंत्री को हटाने के लिए अनुशंसा करना उनका संवैधानिक अधिकार है। तभी से यह मुद्दा और जोर पकड़ रहा है।
राज्यपाल बने तब से विवादों का सिलसिला
आरिफ मोहम्मद खान जब से केरल के गवर्नर बने हैं तब से अक्सर कुछ न कुछ मुद्दों पर गुस्से में रहे। 2019 के सितंबर महीने में वह केरल के राज्यपाल बने थे। उसी साल दिसंबर 2019 आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया था कि इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के दौरान उनके साथ धक्का-मुक्की की गई थी।
इसके बाद भी कई मौकों पर उनका राज्य सरकार से विवाद आया। मुखर स्वभाव के माने जाने वाले आरिफ अपने बयानों को लेकर पहले भी विवादों में आते रहे हैं। अभी उन्होंने बयान दिया कि केरल तेजी से ‘ड्रग्स की राजधानी’ के रूप में पंजाब की जगह लेता जा रहा है। इसके बाद राज्य में लेफ्ट पार्टी ने उनकी आलोचना की। लेफ्ट सरकार ने कहा कि वह बीजेपी और आरएसएस के अजेंडे को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक रूप से परिपक्व माने जाने वाले आरिफ मोहम्मद खान ने बीच-बीच में लेफ्ट सरकार से संबंध बेहतर बनाने की भी कोशिश की। पिछले दिनों एक लेफ्ट नेता की मौत के बाद वे उनके घर गए।
राज्यपाल-सरकार के विवाद का सिलसिला
हाल के वर्षों में विपक्षी शासित राज्यों में राज्य सरकार और वहां के बीच राज्यपाल के बीच विवाद का यह कोई पहला ट्रेंड नहीं है। अभी पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी सरकार का तत्कालीन गर्वनर जगदीप धनकड़ के साथ लगातार कई दिनों तक विवाद चला। बाद में धनकड़ उपराष्ट्रपति हो गए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार से एलजी का विवाद होता रहा है। कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु के गवर्नर आर. एन. रवि का भी डीएमके सरकार के साथ विवाद शुरू हुआ। विपक्षी शासित राज्यों का आरोप है कि केंद्र राज्यपाल के माध्यम से उन्हें परेशान करना चाहता है। केंद्र का आरोप है कि विपक्षी शासित राज्य संवैधानिक पद का अपमान कर रहे हैं।