एक सप्ताह के भीतर केरल दो बड़े वाकयों का गवाह बना- पहला जब एक 10 साल के बच्चे ने कथित तौर पर भड़काऊ नारा दिया और दूसरा, जब एक नेता ने अपमानजनक बयान देते हुए एक जज के ‘अंडरवियर’ के रंग के बारे में टिप्पणी की. स्लोगन मामले में पुलिस ने बच्चे के पिता समेत 26 लोगों को गिरफ़्तार किया है.
सोमवार को केरल के महाधिवक्ता ने पीएफ़आई (पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया) के एक नेता के ख़िलाफ़ केरल हाई कोर्ट के मौजूदा जज के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी के मामले में मानहानि संबंधी कार्यवाही शुरू करने की याचिका दायर की है.
महाधिवक्ता के सामने पेश की गई याचिका में वकील अरुण रॉय ने आरोप लगाया है कि पीएफ़आई नेता याहया थंगल ने हाई कोर्ट के एक जज के ख़िलाफ़ “बेहद गंभीर और बिल्कुल आधारहीन आरोप लगाए हैं” और “ऐसा इशारा किया है कि हाई कोर्ट के एक जज ने एक आदेश केवल इसलिए दिया क्योंकि वो एक ऐसे वकील के जूनियर रह चुके थे जो बीजेपी नेता भी थे.”
पीएफ़आई के प्रवक्ता मोहम्मद शाक़ेब ने बीबीसी से कहा, “बात एक जज की हो, दो की या फिर सौ जजों की, पीड़ित के तौर पर हम न्याय के लिए उनके पास जाते हैं. आज की तारीख़ में पीड़ित कोर्ट में भी नि:सहाय हैं.”
लेकिन जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक और एशियानेट (टेलीविज़न) नेटवर्क के सलाहकार एमजी राधाकृष्णन ने बीबीसी से कहा, “10 साल के बच्चे का मामला केवल पहले से मौजूद बीमारी का लक्षण भर है. अगर बच्चे के माता-पिता कट्टर रूढ़िवादी विचार रखते हैं तो आप ये नहीं कह सकते कि उनके बच्चे इससे बचे रहेंगे. ये तो होना ही था.