खजुराहो: यह खुद में एक विश्व है, एक-एक पत्थर में छिपा हुआ है प्रेम और कला

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कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन (अज्ञेय) ने कहा था, ‘खजुराहो एक अचरज है’. हरिवंश राय बच्चन ने कुछ पंक्तियां लिखी हैं:-

खजुराहो के निडर कलाधर, अमर शिला में गान तुम्‍हारा ।

पर्वत पर पद रखने वाला

मैं अपने क़द का अभिमानी,

मगर तुम्‍हारी कृति के आगे

मैं ठिगना, बौना, बे-बानी

बुत बनकर निस्‍तेज खड़ा हूँ ।

अनुगुंजिन हर एक दिशा से,

खजुराहो के निडर कलाधर, अमर शिला में गान तुम्‍हारा ।

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मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में एक छोटा सा गांव खजुराहो. पूरी दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि भारत में ताजमहल के बाद दुनियाभर के पर्यटकों के लिए प्रमुख केंद्र खजुराहो ही रहता है. स्थापत्य और वास्तुकला के केंद्र के रूप में जाना जाने वाले खजुराहो को चंदेल शासकों ने सन् 900 से 1130 के बीच बनवाया था.

खजुराहो को लेकर तमाम तरह की कहानियां हैं. कहा जाता है कि हेमवती कमलताल में पूर्णिमा की रात को स्नान कर रही थीं. चंद्र देव उन्हें देखकर मोहित हो गए. वह राजकुमार के वेश में आए और हेमवती से जुड़े. इससे चंद्रत्रेय का जन्म हुआ. चंद्रत्रेय ने ही चंदेल राजवंश की स्थापना की.

तमाम इतिहासकार बताते हैं कि सन् 950 से 1250 के बीच कई चरणों में चंदेल राजाओं ने इन मंदिरों का निर्माण करवाया. मंदिर घने जंगलों के बीचोंबीच थे. ऐसे में ये विदेशी आक्रमणाकारियों से बच गए. साल 1839 में ईस्ट इंडिया कंपनी के टीएस बर्ट जंगल में भटकते हुए खजुराहो पहुंचे और वहां की कलाकृति को देखकर दंग रह गए. इसके बाद से ही वहां लोगों का जाना शुरू हुआ.

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खजुराहो में हिंदू और जैन मूर्तिकला से सजे करीब 25 मंदिर और 3 संग्रहालय हैं. मूर्तियों का सौंदर्य आज भी वैसा ही है. ये मूर्तियां वास्तुकला और प्राचीन मूर्तिकला के बेमिसाल उदाहरण हैं. यहां 10 मंदिर विष्णु को समर्पित है. 9 मंदिर शिव, 1 सूर्य देवता, एक रहस्यमय देवियों और 5 दिगंबर जैन संप्रदाय के तीर्थकारों के हैं.

इस मंदिर को बलुआ पत्थर से निर्मित की गई है और कलाकृति उकेरी गई है. हालांकि, चौंसठयोगिनी, ब्रह्मा और ललगुआं महादेव के मंदिर को ग्रेनाइट से बनाया गया है. यहां किसी तरह का परोकाट नहीं है और मंदिर ऊंचे चबूतरे पर ही निर्मित हैं.

मंदिर की मूर्तियों को अलग-अलग भागों में बांट दिया गया है. इसमें प्रतिमा परिवार, अप्सरा, विविध प्रतिमाएं, मिथुन (सम्भोगरत) प्रतिमाएं शामिल हैं. ये शिल्पकला का अन्यतम उदाहरण हैं.

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चौसठ योगिनी मंदिर को लेकर भी तमाम तरह के मत हैं. कुछ लोग इसे तंत्र का स्थान मानते हैं तो कुछ ज्योतिष का केंद्र. चौसठ योगिनी मंदिर दूसरी जगहों पर गोल है, लेकिन खजुराहो में आयताकार. यहां बाद में चंदेल वंश के राजा यशोवर्मन ने लक्ष्मण मंदिर और राहिल चंदेल ने पार्श्वनाथ मंदिर बनवाया. अब खजुराहो में तीन मंदिर समूह हैं. पश्चिमी समूह विश्व धरोहर में है. यहां लक्ष्मण मंदिर, कंदरिया महादेव मंदिर, मंगतेश्वर मंदिर, जगदंबा मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, लगुन महादेव और विश्वनाथ महादेव के मंदिर हैं.

इसी तरह पूर्वी समूह में ब्रह्मा मंदिर, विष्णु मंदिर, धंटाई मंदिर है. पार्श्वनाथ और आदिनाथ दो जैन मंदिर भी है. वहीं, दक्षिणी समूह में दूलादेव, चतुर्भूज और वैद्यनाथ मंदिर है. हालांकि, वहां एक जगह हिंदू और जैन के साथ-साथ बोद्ध धर्म के अनुयायियों के अराधना करने के भी प्रमाण मिले हैं.

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पद्मभूषण विद्यानिवास मिश्र कहते हैं, खजुराहो स्वयं में एक विश्व है. इस विश्व में जाने से पहले अन्य विश्वों की स्मृति को विसर्जित करके जाना ठीक होगा…