Man Eater Tigers Of India: चंपावत की उस जख्मी बाघिन का नेपाल और कुमाऊं के इलाकों में आतंक था। जिम कॉर्बेट के हाथों मारे जाने से पहले उस बाघिन ने कम से कम 436 इंसानों को शिकार बनाया।
बिहार में आदमखोर बाघ का आंतक है। साढ़े तीन साल का यह बाघ सितंबर से इंसानों को शिकार बना रहा है। बिहार सरकार ने बाघ को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए हैं। 500 फॉरेस्ट ऑफिशियल्स की टीम इस काम में लगी है। बिहार के इस बाघ ने अबतक सात लोगों को मारा है। इलाके में दहशत का माहौल है। लोग बाहर कदम रखने में डर रहे हैं। अब सोचिए, उस बाघिन का कितना खौफ रहा होगा जिसने 400 से ज्यादा इंसानों को अपनी खुराक बनाया। ‘द चंपावत टाइग्रेस’ के नाम से मशहूर वह बाघिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में दर्ज है। उसके नाम पर सबसे ज्यादा इंसानों की जिंदगी लेने का रेकॉर्ड है। आदमघोर बाघों का समय-समय पर देश के अलग-अलग हिस्सों में आतंक रहा है। एक नजर देश के 5 सबसे आदमघोर बाघों पर।
चंपावत की वो घायल बाघिन जो 400 से ज्यादा को खा गई

उसके आतंकी की शुरुआत 20वीं सदी के साथ हुई। ‘चंपावत की राक्षसी’, ‘चंपावत की आदमखोर’… उसके कई नाम हैं। नेपाल और कुमाऊं के एरिया में उसका खौफ था। जंगलों में दर्जनों बच्चों, पुरुषों और महिलाओं को निशाना बना चुकी थी। देखने वाला जिंदा नहीं बच पाता था। चंपावत की उस बाघिन ने 436 लोगों को मारा, जिनका ब्योरा दस्तावेजों में है। पूरी दुनिया में इतनी ज्यादा संख्या में इंसानों को किसी और जानवर ने नहीं मारा।
ऐसा कहते हैं कि एक बार उस बाघिन के चेहरे पर गोली लगी। दाहिनी तरफ से ऊपर का जबड़ा टूट गया। अब वह जानवरों का शिकार नहीं कर सकती थी इसलिए उसने ऐसा करने वालों को ही भोजन बनाना शुरू किया। सबको लगा कि एक से ज्यादा आदमखोर हैं पर नहीं, वह अकेले ही रोज इंसानों को मार रही थी।
नेपाल के रुपल गांव से शुरू हुआ उसका आतंक भारत कैसे पहुंचा? जब उसके शिकार लोगों की संख्या 200 के पार हुई तो नेपाली सेना को भेजा गया। वह भी उसे मार नहीं पाए लेकिन उसे भारत में खदेड़ने में कामयाब रहे। अब वह उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके में थी। यहां भी उसने इंसानों को खाना शुरू कर दिया।
जिसने उस बाघिन को मारा, उसे दुनिया जिम कॉर्बेट के नाम से जानती है

कहते हैं कि हर एक इंसान को मारने के साथ वह बाघिन और खूंखार हो जाती थी। वह सुबह और शाम के धुंधलके और रात के अंधेरों के बजाय दिनदहाड़े शिकार करने लगी। लोग अपने घरों से बाहर तक नहीं निकलते थे। हालांकि, ज्यादातर आदमखोर जानवरों की तरह इस बाघिन का हश्र भी वही हुआ। उसके आतंक का खात्मा करने का बीड़ा उठाया जिम कॉर्बेट ने। जी हां, वही जिम कॉर्बेट जो भारत में जंगली जानवरों के संरक्षण के सबसे बड़े पैरोकार बने। उत्तराखंड का एक नैशनल पार्क उनके नाम पर है।
उस बाघिन ने एक बच्ची को शिकार बनाया था। उसके पीछे छोड़े हुए मांस के टुकड़ों और खून के निशानों का पीछा करते कॉर्बेट उसतक पहुंचे। कॉर्बेट ने 1911 में उस बाघिन को मारा। इलाके के लोगों ने राहत की सांस ली। वे इतने खुश थे कि उन्होंने कॉर्बेट को साधु बना दिया।
सुंदरबन के आदमघोर… हर साल 50-60 इंसानों की लेते हैं जान

सुंदरबन के खूबसूरत जंगलों में 500 से ज्यादा बंगाल टाइगर्स रहते हैं। एक जगह पर बाघों की इतनी बड़ी आबादी देश में दूसरी जगह नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव यहीं पर है। पूरा सुंदरबन बाघों के हमलों के लिए कुख्यात है। वे गांवों के बेहद पास ही घूमते रहते हैं। हर साल 50 से 60 लोगों को यहां के बाघ शिकार बनाते हैं। खौफ ऐसा है कि रात के अंधेरे में कोई बाहर निकलने की गलती नहीं करता।
कुमाऊं के आदमखोर बंगाल टाइगर…

उत्तराखंड का कुमाऊं क्षेत्र बाघों की घनी आबादी के लिए जाना जाता है। यहां पर भी आदमखोर बंगाल टाइगर्स बहुतायत में पाए जाते हैं। चौगढ़ के कुख्यात बाघों की जोड़ी भी इसी इलाके में सक्रिय थी जिसने कथित रूप से 64 लोगों को मारा। चंपावत टाइगर के बारे में आपने पढ़ ही लिया।
दुधवा नैशनल पार्क में था बाघों का आतंक

उत्तर प्रदेश का दुधवा नैशनल पार्क 70 के दशक में कुख्यात था। दुधवा टाइगर रिजर्व का यह हिस्सा इंसानों के लिए रात तो दूर, दिन में भी खतरे से खाली नहीं है। उस वक्त यहां कई आदमखोर बाघ सक्रिय थे। ‘तारा’ नाम की बाघिन को मारे जाने से पहले वह 24 लोगों की जान ले चुकी थी।