Kite Flying Ban news: एक जनहित याचिका में हाई कोर्ट से पतंग उड़ाने पर बैन लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने मांग यह कहते हुए ठुकरा दी कि यह एक सांस्कृतिक गतिविधि है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि एनजीटी ने चीनी सिंथेटिक ‘मांझे’ पर पूर्ण प्रतिबंध पहले से ही लगा रखा है। यहां तक कि दिल्ली पुलिस भी इस बाबत अधिसूचना जारी कर रही है और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
अदालत पतंग उड़ाने, इसकी बिक्री, खरीद, भंडारण और परिवहन पर प्रतिबंध को लेकर एस. पाल सिंह की ओर से दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि शीशे के लेप वाले धागों के कारण मनुष्य एवं पक्षी भी घायल होते हैं या मारे जाते हैं।
पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि पतंग उड़ाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है, क्योंकि यह ‘सांस्कृतिक गतिविधि’ है और इसे ‘धार्मिक गतिविधि’से जोड़कर भी देखा जाता है।
अदालत ने राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वे चीनी ‘मांझे’ के इस्तेमाल और बिक्री को लेकर एनजीटी के आदेश पर अमल सुनिश्चित करें। दिल्ली पुलिस के वकील संजय लाव ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली सरकार ने पहले ही एक अधिसूचना जारी की है कि चीनी मांझा 2017 से ही प्रतिबंधित है और इसके उल्लंघन के लिए भारतीय दंड संहिता तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत 255 व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि पुलिस उपायुक्त चीनी मांझे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध से संबंधित दूसरा आदेश भी जारी करने जा रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा एवं सरकारी वकील अनिल सोनी ने कहा कि पतंग उड़ाने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि इससे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य जुड़े हैं।