बाइक राइडिंग का विचार आते ही हमारे दिमाग में लड़कों का ख्याल आने लगता है, लेकिन मौजूदा दौर में महिलाएं राइडिंग में भी दूसरे क्षेत्रों की तरह पुरुषों को बराबरी से टक्कर दे रही हैं. आज हम यहां ऐसी ही कुछ भारत की स्टाइलिश महिला बाइकर्स का जिक्र करने जा रहे हैं जो अपनी ड्राइव से कई Stereotype तोड़ रही हैं:
पेशे से एक डेंटिस्ट, डॉ नेहारिका यादव ने बाइक के लिए एक जुनून विकसित किया और इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया. दोनों को बैलेंस करते हुए, नेहारिका जल्द ही बाइकिंग की दुनिया में एक जाना माना नाम बन गई और यहां तक कि ‘इंडियाज फास्टेस्ट लेडी सुपर बाइकर’ का खिताब भी हासिल कर लिया. एक ट्रैक रेसर, नेहारिका को अक्सर डुकाटी पैनिगेल 899 की सवारी करते हुए देखा जाता है और वह मोटरसाइकिल रेस में भाग लेती है.
‘हिजाबी बाइकर’ के रूप में पॉपुलर रोशनी मिस्बाह बाइकिंग की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम है और उन्होंने कम उम्र में ही इस खेल के प्रति जुनून पैदा कर लिया था. एक रूढ़िवादी परिवार में पली-बढ़ी रोशनी ने बाधाओं को तोड़ दिया और कुछ हटकर करने का फैसला किया. रिपोर्ट्स के अनुसार, रोशिनी ने अपने कॉलेज में अपनी पहली बाइक ‘बजाज एवेंजर क्रूजर 220’ चलाकर कई लोगों को चौंका दिया. बाइक चलाने का उनका जुनून जारी रहा और वह वर्तमान में 100 से अधिक मोटरसाइकिलों की सवारी कर चुकी हैं और सुपरबाइक्स के एक स्टोर की मालकिन हैं.
एक इंडियन सर्किट और ऑफ-रोड मोटरसाइकिल रेसर, ऐश्वर्या पिस्से की बाइकिंग में रुचि कम उम्र में विकसित हुई और 21 साल की उम्र में, उन्होंने टीवीएस वन-मेक रेस चैंपियनशिप में अपना डेब्यू किया. सालों से, ऐश्वर्या ने यह साबित करना जारी रखा है कि महिलाएं भी बाइकर हो सकती हैं. अपने परफॉर्मेंस के लिए कई अवॉर्ड जीतकर, ऐश्वर्या 2019 में विश्व खिताब जीतने वाली पहली भारतीय मोटरस्पोर्ट्स एथलीट बनीं
4 ईशा गुप्ता
ईशा गुप्ता ने एक एमएनसी कंपनी की नौकरी छोड़ दी और बाइक ट्रिप पर जाने लगी. 2014 में, उन्होंने मुंबई-दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई Golden Quadrilateral से होते हुए 40 दिनों में अपनी बाइक पर 7,000 किलोमीटर की दूरी तय की.
रोशनी शर्मा को पॉपुलैरिटी तब मिली जब उन्होंने 26 साल की उम्र में 11 राज्यों, कठिन इलाकों और कठिन माउंट रेंजेस को कवर करते हुए कन्याकुमारी से कश्मीर तक अकेले सवारी करने का फैसला किया. अपनी जर्नी के साथ, रोशनी ने यह साबित करना जारी रखा है कि महिलाएं कुछ भी हासिल कर सकती हैं, अगर वे ठान लें. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोशनी को कम उम्र में ही बाइक राइडिंग का शौक पैदा हो गया था.
‘बाइकिंग क्वीन’ की फाउंडर, डॉ. सारिका मेहता का जन्म सूरत के एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ था, जो महिलाओं को शिक्षित करने को महत्व नहीं देता था. हालाँकि, उनके माता-पिता ने उनका सपोर्ट किया और अपनी बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने के लिए सभी परंपराओं को खत्म कर दिया. डॉ सारिका मेहता ने पढ़ाई जारी रखी और Behavioral Science में पीएचडी पूरी की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाइक चलाने वाली महिलाओं पर एक दोस्त के कमेंट करने के बाद सारिका ने बाइकिंग की दुनिया में कदम रखा. पहले उन्होंने अपने पति की मदद से बाइक चलाना सीखा और जल्द ही लोगों के महिला बाइकर्स को देखने के तरीके को बदलना शुरू कर दिया. 2015 में, उन्होंने सूरत में महिला बाइकिंग क्लब ‘बाइकिंग क्वींस’ शुरू किया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उर्वशी पटोले ने 14 साल की उम्र में बाइक चलाना शुरू कर दिया था और इस खेल के प्रति अपने जुनून को बरकरार रखा. वह all-women motorcycling group ‘बाइकरानी’ की को-फाउंडर भी हैं, जिसे 2011 में 11 सदस्यों के साथ शुरू किया गया था और अब 2000 से अधिक सदस्यों के साथ दुनिया भर में जाना जाता है.