शिमला 06 नवंबर : यदि आपसे प्रतियोगितामक परीक्षा या फिर क्विज में यह सवाल पूछा जाए कि आजाद भारत के प्रथम मतदाता कौन थे, तो आप सरल सा जवाब दे सकते है…श्याम शरण नेगी। लेकिन, अगर यह पूछ लिया जाए कि हिमाचल प्रदेश के ट्राइबल इलाके से एक शख्स कैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था की शुरुआती प्रणाली में देश का पहला मतदाता बन गया तो आप अटक भी सकते हैं।
यह संस्मरण बेहद ही दिलचस्प है। दिवंगत नेगी को भी इस बात का इल्म नहीं था कि वो आजाद भारत के पहले मतदाता होंगे। खुद भी दिवंगत नेगी को इस बात का 90 साल की उम्र में पता चला कि वो आजाद हिंदुस्तान के पहले मतदाता हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि अगर वो वोट डालने का जज्बा नहीं दिखाते तो आज भारत की चुनावी प्रणाली के इतिहास में रिकॉर्ड दर्ज नहीं करवा सकते थे। संसार को भी उस समय अलविदा किया,जब उनके पैतृक प्रदेश में चुनावी माहौल पूरे परवान पर है।
कुदरत का ये भी कमाल देखिए…. आजाद भारत के पहले मतदाता को लंबी आयु प्राप्त हुई।1951 के बाद से हर बार चुनाव में वो मत का इस्तेमाल करते रहे। शनिवार रात 2 बजे श्याम सरन नेगी का निधन हो गया था। इसके बाद न केवल पहाड़ी प्रदेश से बल्कि देश भर से नेगी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाने लगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शनिवार सुबह ही ट्वीट कर नेगी के निधन पर शोक जाहिर किया था।
यह है वह संस्मरण….
स्वतंत्र भारत में पहले चुनाव के मतदान की तिथि 12 फरवरी 1952 को तय हुई। चूंकि यह ऐसा समय था, जब ट्राइबल इलाके में बर्फबारी हो जाती है। यही कारण था कि जनजातीय क्षेत्र में सामान्य चुनाव से 4 महीने पहले 25 अक्टूबर 1951 को मतदान का फैसला लिया गया। शिक्षक होने के नाते श्याम सरन नेगी की भी चुनावी ड्यूटी लगी थी। नेगी को ड्यूटी से पहले अपना वोट भी डालना था।
लिहाजा, वो तड़के ही गांव के नजदीकी मतदान केंद्र कल्पा पहुंच गए। वोट डालने के बाद उन्हें समय पर चुनावी ड्यूटी पर भी जाना था। सुबह 6:00 बजे के आसपास श्याम सरन नेगी ने मतदान अधिकारी को जल्द से जल्द वोट डलवाने का आग्रह किया। ताकि वह पैदल ही चुनावी ड्यूटी के लिए दूसरे मतदान केंद्र तक पहुंच सके। ऐसे में श्याम सरन नेगी ने सुबह 6:15 बजे के आसपास अपना वोट डाल दिया। नेगी से पहले पूरे आजाद देश में किसी ने भी वोट नहीं डाला था।
इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि एक 34 साल के शिक्षक को 1951 में इस बात का मामूली सा भी इल्म नहीं था कि आने वाले समय में वह भारत के पहले मतदाता तो होंगे ही, साथ ही भगवान इतनी लंबी उम्र देगा कि वह बार-बार वोट डालते रहेंगे।
देश के पहले मतदाता “श्याम सरन नेगी” ने जीवन में लोकसभा विधानसभा चुनाव सहित कुल 44 बार मतदान किया। उधर, भारतीय चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त राजीव कुमार भी शनिवार को देश के प्रथम मतदाता श्याम सरन नेगी को श्रद्धांजलि देने पैतृक घर पहुंचे। सूचना मिलने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त हेलीकॉप्टर से शनिवार दोपहर बाद रिकांगपिओ पहुंचे। इसके बाद सड़क मार्ग से दिवंगत नेगी के घर पहुंचे।
यह भी खास… 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। लोकतांत्रिक प्रणाली को धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा था। फर्स्ट वोटर ऑफ़ इंडिया ने 2 नवंबर 2022 को जीवन का अंतिम मतदान किया। 2007 में देश को इस बात का पता पहली बार चला कि आजाद भारत में सबसे पहले वोट डालने वाले हिमाचल के ट्राइबल जिला किन्नौर के श्याम सरन नेगी थे। उस समय चुनाव आयोग ने यह रिकॉर्ड खंगालने की कोशिश की कि पहला वोट किसने डाला था। तमाम रिकॉर्ड को खंगाले जाने लगा।
भारतीय निर्वाचन आयोग को इस बात का अंदाजा था कि सबसे पहले मतदान हिमाचल प्रदेश के ट्राइबल इलाकों में हुआ है। लिहाजा पहले मतदाता को ढूंढने के लिए ट्राईबल एरिया को फोकस किया गया। ऐसी भी जानकारी है कि खुद शाम सरन नेगी को इस बात का पता 90 साल की उम्र में चला कि वह देश के पहले मतदाता हैं। हिमाचल के चुनाव विभाग ने तमाम तथ्यों को खंगालने के बाद इस बात की तस्दीक की थी कि श्याम सरन ही देश के पहले मतदाता है। इसके लिए निर्वाचन विभाग द्वारा श्याम सरन नेगी के अलावा परिवार से भी बातचीत की गई।
2 नवंबर को आखिरी मतदान…. हालांकि मौजूदा विधानसभा चुनाव में भी श्याम सरन नेगी पोलिंग बूथ पर ही जाकर 12 नवंबर को मतदान करना चाहते थे, लेकिन शायद इस बात का अंदाजा परिवार के साथ साथ प्रशासन को भी हो रहा था कि तबीयत खराब है, लिहाजा मोबाइल पोलिंग बूथ के माध्यम से उनका वोट 2 नवंबर को डलवा लिया गया।
कुदरत का खेल देखिए कि देश का पहला वोटर आज इस दुनिया में यह जानने के लिए मौजूद नहीं रहा है कि जिसको जीवन का अंतिम वोट दिया वह जीता या हारा। बता दें कि इस बार चुनाव आयोग ने बुजुर्ग मतदाताओं के लिए मोबाइल पोलिंग बूथ के माध्यम से वोट डलवाने का निर्णय लिया है, इसका फायदा उम्रदराज वोटर्स को मिल रहा है।
पंचतत्व में विलीन…. भारत के पहले वोटर रहे श्याम सरन नेगी जब अंतिम सफर पर निकले तो हर आंख नम थी। पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर शोंग ठोंग स्थित सतलुज किनारे श्मशान घाट तक ले जाया गया। जहां पर होमगार्ड बैंड की धुन पर राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई। इस दौरान किन्नौर पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। नेगी के अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। जिससे यह पता चलता है कि नेगी कई लोगों के दिल में बसते थे।